स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं )
उत्तर प्रदेश में चुनाव और ईवीएम की गड़बड़ी
Created By : डॉ. मनीषा बांगर Date : 2017-03-11 Time : 16:07:13 PM
उत्तर प्रदेश में चुनाव और ईवीएम की गड़बड़ी
एवीएम मशीन में गड़बड़ी पहले भी साबित हुई थी और इस चुनाव में भी हुआ| पहले भी कुछ लोगों ने हारने से अद्लातों में EVM मशीन में गड़बड़ी की शिकायत की थी और वे सफल भी हुए| राजनितिक पार्टियों ने कोई रूचि नहीं दिखाई| पिचाले पांच वर्षों में सुरक्षित चुनाव क्षेत्रों से चुनकर आने वाले 84 विधायकों ने उत्तर प्रदेश में कोई भी प्रतिनिधित्व नहीं किया|
सपा की बेवकूफी का फायदा लेना चाहते थे बीएसपी के लोग| कांग्रेस ने सत्ता भाजपा को सौंपने के बाद सिर्फ दिखावे के लडती है| ये तीनो कारण – एवीएम मशीन की गड़बड़ी पर चुप्पी, विधान सभा में प्रतिनिधित्व नहीं करना, सपा की नाकामियों के बदले मुफ्त में जनता से वोट लेना – ने बौद्धिक गुलामी और कर्म-विहीनता की हदे पार कर दी हैं | मनुवाद विजयी हो गया और हम उसे गलियां देते रहे।
नोटबंदी, बेरोजगारी, महंगाई, उत्पीडन, गरीबी, भ्रष्टाचार, आदि से बुद्धिजीवी और मुर्ख दोनों परेशान हैं और अपनी परेशानी को दूर करने का जो रास्ता चुना वह उत्तर प्रदेश के चुनाव में दिख गया| मानिये या मत मानिये लेकिन सच यह यह है कि मनुवाद ने हमें जकड़ लिया है और हम जिस मूर्खता के साथ अपने राजनितिक प्रतिनिधित्व का जिम्मा देते हैं उसका परिणाम हमारे सामने है| डॉ. आम्बेडकर ने हमें शिक्षित होने के लिए कहा था और हमारी राजनितिक शिक्षा का परिणाम 2014 और 2017 के चुनाव में दिख गया|
मैं सभी लोगों से निवेदन करती हूँ गुलामी से बहार निकलने के लिए जो रास्ता चुना है उसपर पुनर्विचार करें| समय, समाज और विज्ञान बहुत आगे बढ़ चुका है और हम पीछे जा रहे हैं| दोष मूर्खों का नहीं है बल्कि उनका है जो बुद्धिमान और नेता हैं| समाज के बुद्धिमान और नेता अगर पुनर्विचार करें और अपनी गलतियों को सुधार लें तो मामला संभल सकता है |
इस कदम में बजट और आर्थिक विकास के मुद्दे पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 330 और 332 के अंतर्गत चुने हुए जनप्रतिनिधियों के प्रतिनिधित्व पर प्रश्नचिन्ह लगाना और उसका समाधान निकलना| अगर संविधान की इस गरिमा का हमने सम्मान नहीं किया तो वह सब कुछ होगा जो पहले कभी नहीं हुआ और हम उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार में अभी तक जो हुआ है उससे आंकलन लगा सकते हैं – सरकारी नौकरी गयी, बजट में आबंटित पैसा गया, साधन-संपत्ति में हिस्सा गया, अदालतों के निर्णय का सम्मान गया, लोक सभा और विधान सभाओं में प्रतिनिधित्व गया, शिक्षा और स्वास्थ्य के निजीकरण में हमारी शिक्षा और स्वास्थ्य गया |
मीडिया ने पिछले दिनों मनुवाद के पक्ष में जो हवा बनाई उसके बाद एवीएम में गड़बड़ी दब गयी और भाजपा जीत गई | वही कहानी दोबारा हुई और हम हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहे |
साभार :
http://www.nationaldastak.com/story/view/opinion-on-up-election-result
हालांकि अब उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर और बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती जी ने भी EVM मशीनों से छेड़ - छाड़ की संभावना व्यक्त की है। 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान बनारस में ऐसी ही कारवाई का ज़िक्र खूब हुआ था किन्तु केंद्र में भाजपा की सरकार बन जाने से हुआ कुछ भी नहीं। अब भी इन संभावनाओं और आरोपों पर कुछ भी नहीं होने जा रहा है।
वस्तुतः ऐसी छेड़ - छाड़ हुई अथवा नहीं प्रामाणिक रूप से सिद्ध किया जाना मुश्किल ही है। परंतु यह तो तय है कि, अखिलेश जी ने जो लेपटाप छात्रों को पढ़ने के लिए दिये थे वे गरीब छात्रों ने बेच दिये थे जिनको भाजपा के लोगों ने खरीद लिया था और उनके जरिये सोशल मीडिया पर सपा व अखिलेश जी के ही विरुद्ध धुआ धार प्रचार किया गया था। उनकी सरकार ने जिन कारपोरेट कंपनियों में बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिलवाया था उन युवाओं का प्रयोग कारपोरेट कंपनियों ने भाजपा के प्रचार मे जम कर किया था।
वैसे मायावती जी के आरोप की पुष्टि नेशनल दस्तक के इस वीडियो के जरिये तो होती है। लेकिन क्या चुनाव आयोग और अदालतें इसे मानेंगी?
(विजय राजबली माथुर )
https://www.facebook.com/vijai.mathur/posts/1361124220616217
उत्तर प्रदेश में चुनाव और ईवीएम की गड़बड़ी
Created By : डॉ. मनीषा बांगर Date : 2017-03-11 Time : 16:07:13 PM
उत्तर प्रदेश में चुनाव और ईवीएम की गड़बड़ी
एवीएम मशीन में गड़बड़ी पहले भी साबित हुई थी और इस चुनाव में भी हुआ| पहले भी कुछ लोगों ने हारने से अद्लातों में EVM मशीन में गड़बड़ी की शिकायत की थी और वे सफल भी हुए| राजनितिक पार्टियों ने कोई रूचि नहीं दिखाई| पिचाले पांच वर्षों में सुरक्षित चुनाव क्षेत्रों से चुनकर आने वाले 84 विधायकों ने उत्तर प्रदेश में कोई भी प्रतिनिधित्व नहीं किया|
सपा की बेवकूफी का फायदा लेना चाहते थे बीएसपी के लोग| कांग्रेस ने सत्ता भाजपा को सौंपने के बाद सिर्फ दिखावे के लडती है| ये तीनो कारण – एवीएम मशीन की गड़बड़ी पर चुप्पी, विधान सभा में प्रतिनिधित्व नहीं करना, सपा की नाकामियों के बदले मुफ्त में जनता से वोट लेना – ने बौद्धिक गुलामी और कर्म-विहीनता की हदे पार कर दी हैं | मनुवाद विजयी हो गया और हम उसे गलियां देते रहे।
नोटबंदी, बेरोजगारी, महंगाई, उत्पीडन, गरीबी, भ्रष्टाचार, आदि से बुद्धिजीवी और मुर्ख दोनों परेशान हैं और अपनी परेशानी को दूर करने का जो रास्ता चुना वह उत्तर प्रदेश के चुनाव में दिख गया| मानिये या मत मानिये लेकिन सच यह यह है कि मनुवाद ने हमें जकड़ लिया है और हम जिस मूर्खता के साथ अपने राजनितिक प्रतिनिधित्व का जिम्मा देते हैं उसका परिणाम हमारे सामने है| डॉ. आम्बेडकर ने हमें शिक्षित होने के लिए कहा था और हमारी राजनितिक शिक्षा का परिणाम 2014 और 2017 के चुनाव में दिख गया|
मैं सभी लोगों से निवेदन करती हूँ गुलामी से बहार निकलने के लिए जो रास्ता चुना है उसपर पुनर्विचार करें| समय, समाज और विज्ञान बहुत आगे बढ़ चुका है और हम पीछे जा रहे हैं| दोष मूर्खों का नहीं है बल्कि उनका है जो बुद्धिमान और नेता हैं| समाज के बुद्धिमान और नेता अगर पुनर्विचार करें और अपनी गलतियों को सुधार लें तो मामला संभल सकता है |
इस कदम में बजट और आर्थिक विकास के मुद्दे पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 330 और 332 के अंतर्गत चुने हुए जनप्रतिनिधियों के प्रतिनिधित्व पर प्रश्नचिन्ह लगाना और उसका समाधान निकलना| अगर संविधान की इस गरिमा का हमने सम्मान नहीं किया तो वह सब कुछ होगा जो पहले कभी नहीं हुआ और हम उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार में अभी तक जो हुआ है उससे आंकलन लगा सकते हैं – सरकारी नौकरी गयी, बजट में आबंटित पैसा गया, साधन-संपत्ति में हिस्सा गया, अदालतों के निर्णय का सम्मान गया, लोक सभा और विधान सभाओं में प्रतिनिधित्व गया, शिक्षा और स्वास्थ्य के निजीकरण में हमारी शिक्षा और स्वास्थ्य गया |
मीडिया ने पिछले दिनों मनुवाद के पक्ष में जो हवा बनाई उसके बाद एवीएम में गड़बड़ी दब गयी और भाजपा जीत गई | वही कहानी दोबारा हुई और हम हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहे |
साभार :
http://www.nationaldastak.com/story/view/opinion-on-up-election-result
हालांकि अब उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर और बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती जी ने भी EVM मशीनों से छेड़ - छाड़ की संभावना व्यक्त की है। 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान बनारस में ऐसी ही कारवाई का ज़िक्र खूब हुआ था किन्तु केंद्र में भाजपा की सरकार बन जाने से हुआ कुछ भी नहीं। अब भी इन संभावनाओं और आरोपों पर कुछ भी नहीं होने जा रहा है।
वस्तुतः ऐसी छेड़ - छाड़ हुई अथवा नहीं प्रामाणिक रूप से सिद्ध किया जाना मुश्किल ही है। परंतु यह तो तय है कि, अखिलेश जी ने जो लेपटाप छात्रों को पढ़ने के लिए दिये थे वे गरीब छात्रों ने बेच दिये थे जिनको भाजपा के लोगों ने खरीद लिया था और उनके जरिये सोशल मीडिया पर सपा व अखिलेश जी के ही विरुद्ध धुआ धार प्रचार किया गया था। उनकी सरकार ने जिन कारपोरेट कंपनियों में बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिलवाया था उन युवाओं का प्रयोग कारपोरेट कंपनियों ने भाजपा के प्रचार मे जम कर किया था।
वैसे मायावती जी के आरोप की पुष्टि नेशनल दस्तक के इस वीडियो के जरिये तो होती है। लेकिन क्या चुनाव आयोग और अदालतें इसे मानेंगी?
(विजय राजबली माथुर )
https://www.facebook.com/vijai.mathur/posts/1361124220616217
No comments:
Post a Comment
कुछ अनर्गल टिप्पणियों के प्राप्त होने के कारण इस ब्लॉग पर मोडरेशन सक्षम है.असुविधा के लिए खेद है.