Wednesday, 10 May 2017

जस्टिस कर्णन पर दुख तो होता है पर उनसे सहानुभूति नहीं होती ------ कंवल भारती

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इन अखबारी खबरों के मुताबिक जस्टिस कर्णन को अधिकत्तम सजा दी गई है और साधारण औपचारिकताओं का भी निर्वहन नहीं किया गया है जबकि वह अगले महीने ही रिटायर्ड भी होने जा रहे थे। शायद न्यायपालिका के इतिहास में  उनके चरित्र को गिरा कर रखना ही अभीष्ट था। तमाम उद्योगपति, व्यापारी, अपराधी सजा से बचे रह जाते हैं और खुद न्यायाधीश ही सजा के हकदार हो जाते हैं । 
(विजय राजबली माथुर )

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