Tuesday, 2 May 2017

वर्षा डोंगरे के पोस्ट पर सरकारी नोटिस ------ छत्तीसगढ़ खबर

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 "जबकि संविधान अनुसार 5 वी अनुसूची में शामिल होने के कारण सैनिक सरकार को कोई हक नहीं बनता आदिवासियों के जल जंगल और जमींन को हड़पने का.... 

आखिर ये सबकुछ क्यों हो रहा है । नक्सलवाद खत्म करने के लिए... लगता नहीं । सच तो यह है कि सारे प्राकृतिक खनिज संसाधन इन्ही जंगलों में है जिसे उद्योगपतियों और पूंजीपतियों को बेचने के लिए खाली करवाना है । आदिवासी जल जंगल जमींन खाली नहीं करेंगे क्योंकि यह उनकी मातृभूमि है । वो नक्सलवाद का अंत तो चाहते हैं लेकिन जिस तरह से देश के रक्षक ही उनकी बहू बेटियों की इज्जत उतार रहे हैं, उनके घर जला रहे हैं, उन्हे फर्जी केशों में चार दिवारी में सड़ने भेजा जा रहा है । तो आखिर वो न्याय प्राप्ति के लिए कहां जाऐ... ये सब मैं नहीं कह रही CBI रिपोर्ट कहता है, सुप्रीम कोर्ट कहता है, जमीनी हकीकत कहता है । जो भी आदिवासियों की समस्या समाधान का प्रयत्न करने की कोशिश करते हैं चाहे वह मानव अधिकार कार्यकर्ता हो चाहे पत्रकार... उन्हे फर्जी नक्सली केशों में जेल में ठूस दिया जाता है । अगर आदिवासी क्षेत्रों में सबकुछ ठीक हो रहा है तो सरकार इतना डरती क्यों है । ऐसा क्या कारण है कि वहां किसी को भी सच्चाई जानने के लिए जाने नहीं दिया जाता । " --- वर्षा डोंगरे

वर्षा डोंगरे के पोस्ट पर सरकारी नोटिस  :

 May 1, 2017 cg khabar 0 Comment varsha dongre, वर्षा डोंगरे






http://www.cgkhabar.com/chhattisgarh-issue-notice-varsha-dongre-20170501/


राय पुर की डिप्टी जेलर वर्षा डोंगरे का नक्सल समस्या पर यह स्टेट्स👇

मुझे लगता है कि एक बार हम सभी को अपना गिरेबान झांकना चाहिए, सच्चाई खुदबखुद सामने आ जाऐगी... घटना में दोनों तरफ मरने वाले अपने देशवासी हैं...भारतीय हैं । इसलिए कोई भी मरे तकलिफ हम सबको होत है । लेकिन पूँजीवादी व्यवस्था को आदिवासी क्षेत्रों में जबरदस्ती लागू करवाना... उनकी जल जंगल जमीन से बेदखल करने के लिए गांव का गांव जलवा देना, आदिवासी महिलाओं के साथ बलात्कार, आदिवासी महिलाऐं नक्सली है या नहीं इसका प्रमाण पत्र देने के लिए उनका स्तन निचोड़कर दुध निकालकर देखा जाता है । टाईगर प्रोजेक्ट के नाम पर आदिवासियों के जल जंगल जमीन से बेदखल करने की रणनीति बनती है जबकि संविधान अनुसार 5 वी अनुसूची में शामिल होने के कारण सैनिक सरकार को कोई हक नहीं बनता आदिवासियों के जल जंगल और जमींन को हड़पने का.... 
आखिर ये सबकुछ क्यों हो रहा है । नक्सलवाद खत्म करने के लिए... लगता नहीं । सच तो यह है कि सारे प्राकृतिक खनिज संसाधन इन्ही जंगलों में है जिसे उद्योगपतियों और पूंजीपतियों को बेचने के लिए खाली करवाना है । आदिवासी जल जंगल जमींन खाली नहीं करेंगे क्योंकि यह उनकी मातृभूमि है । वो नक्सलवाद का अंत तो चाहते हैं लेकिन जिस तरह से देश के रक्षक ही उनकी बहू बेटियों की इज्जत उतार रहे हैं, उनके घर जला रहे हैं, उन्हे फर्जी केशों में चार दिवारी में सड़ने भेजा जा रहा है । तो आखिर वो न्याय प्राप्ति के लिए कहां जाऐ... ये सब मैं नहीं कह रही CBI रिपोर्ट कहता है, सुप्रीम कोर्ट कहता है, जमीनी हकीकत कहता है । जो भी आदिवासियों की समस्या समाधान का प्रयत्न करने की कोशिश करते हैं चाहे वह मानव अधिकार कार्यकर्ता हो चाहे पत्रकार... उन्हे फर्जी नक्सली केशों में जेल में ठूस दिया जाता है । अगर आदिवासी क्षेत्रों में सबकुछ ठीक हो रहा है तो सरकार इतना डरती क्यों है । ऐसा क्या कारण है कि वहां किसी को भी सच्चाई जानने के लिए जाने नहीं दिया जाता ।
मैनें स्वयं बस्तर में 14 से 16 वर्ष की मुड़िया माड़िया आदिवासी बच्चियों को देखा था जिनको थाने में महिला पुलिस को बाहर कर पूरा नग्न कर प्रताड़ित किया गया था । उनके दोनों हाथों की कलाईयों और स्तनों पर करेंट लगाया गया था जिसके निशान मैने स्वयं देखे । मैं भीतर तक सिहर उठी थी...कि इन छोटी छोटी आदिवासी बच्चियों पर थर्ड डिग्री टार्चर किस लिए...मैनें डाक्टर से उचित उपचार व आवश्यक कार्यवाही के लिए कहा ।
हमारे देश का संविधान और कानून यह कतई हक नहीं देता कि किसी के साथ अत्याचार करें...।
इसलिए सभी को जागना होगा... राज्य में 5 वी अनुसूची लागू होनी चाहिए । आदिवासियों का विकास आदिवासियों के हिसाब से होना चाहिए । उन पर जबरदस्ती विकास ना थोपा जावे । आदिवासी प्रकृति के संरक्षक हैं । हमें भी प्रकृति का संरक्षक बनना चाहिए ना कि संहारक... पूँजीपतियों के दलालों की दोगली नीति को समझे ...किसान जवान सब भाई भाई है । अतः एक दुसरे को मारकर न ही शांति स्थापित होगी और ना ही विकास होगा...। संविधान में न्याय सबके लिए है... इसलिए न्याय सबके साथ हो... 
हम भी इसी सिस्टम के शिकार हुए... लेकिन अन्याय के खिलाफ जंग लड़े, षडयंत्र रचकर तोड़ने की कोशिश की गई प्रलोभन रिश्वत का आफर भी दिया गया वह भी माननीय मुख्य न्यायाधीश बिलासपुर छ.ग. के समक्ष निर्णय दिनांक 26.08.2016 का para no. 69 स्वयं देख सकते हैं । लेकिन हमने इनके सारे ईरादे नाकाम कर दिए और सत्य की विजय हुई... आगे भी होगी ।
अब भी समय है...सच्चाई को समझे नहीं तो शतरंज की मोहरों की भांति इस्तेमाल कर पूंजीपतियों के दलाल इस देश से इन्सानियत ही खत्म कर देंगे ।
ना हम अन्याय करेंगे और ना सहेंगे....
जय संविधान जय भारत
रायपुर जेल की डिप्टी जेलर

वर्षा डोंगरे की वाल से

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 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश

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