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पंजाब की कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे और खालिस्तान आंदोलन का विरोध करने के कारण शहीद हुये लाला जगत नारायण द्वारा स्थापित अखबार द्वारा गलत दलील पेश की जा रही है।
'खुदा ' अर्थात जो खुद ही बना हो और जिसे किसी इंसान ने बनाया नहीं हो और जिसका कार्य उत्पत्ति (GENERATE), स्थिति (OPERATE),संहार (DESTROY)होता है जो भूमि (भ ),ग (गगन-आकाश ),व (वायु - हवा ),I (अनल-अग्नि ),न (नीर - जल ) का समन्वय होता है।
प्रकृति ने सृष्टि 'सत ' , ' रज ' और 'तम ' के परमाणुओं से की है। ये सदैव विषम अवस्था में रहते हैं और परस्पर ' संसर्ग ' करते रहते हैं जिस कारण इसे संसार कहा जाता है। जब भी सत, रज और तम के परमाणु सं अवस्था में हो जाते हैं तब वह अवस्था ' प्रलय ' की होते है जिसमें सम्पूर्ण सृष्टि या संसार नष्ट हो जाता है। ' मनन ' करने वाला प्राणी ' मनुष्य ' कहलाता है। यदि कोई मनन नहीं करता है तो उसे मनुष्य तन धारी पशु ही कहा जाता है। मनुष्य सदैव कुछ न कुछ ' कर्म ' करता है जिस कारण उसे ' कृतु ' भी कहा जाता है। कर्म तीन प्रकार के होते हैं - सदकर्म, दुष्कर्म और अकर्म । सदकर्म का परिणाम सुफल , दुष्कर्म का परिणाम विफल होता है। अकर्म वह कर्म होता है जो किया जाना चाहिए था और किया नहीं गया । यद्यपि संसार के नियमों में यह अपराध नहीं है और समाज ऐसे कृत्य को दंडित नहीं करता है किन्तु प्रकृति, खुदा, GOD, भगवान की निगाह में यह दंडित होता है।
खुदा की कलम से तकदीर नहीं लिखी जाती तकदीर तो इंसान खुद गढ़ता है इसलिए खुदा को दोष देने की बात पूर्णतया: गलत है।
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश
पंजाब की कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे और खालिस्तान आंदोलन का विरोध करने के कारण शहीद हुये लाला जगत नारायण द्वारा स्थापित अखबार द्वारा गलत दलील पेश की जा रही है।
'खुदा ' अर्थात जो खुद ही बना हो और जिसे किसी इंसान ने बनाया नहीं हो और जिसका कार्य उत्पत्ति (GENERATE), स्थिति (OPERATE),संहार (DESTROY)होता है जो भूमि (भ ),ग (गगन-आकाश ),व (वायु - हवा ),I (अनल-अग्नि ),न (नीर - जल ) का समन्वय होता है।
प्रकृति ने सृष्टि 'सत ' , ' रज ' और 'तम ' के परमाणुओं से की है। ये सदैव विषम अवस्था में रहते हैं और परस्पर ' संसर्ग ' करते रहते हैं जिस कारण इसे संसार कहा जाता है। जब भी सत, रज और तम के परमाणु सं अवस्था में हो जाते हैं तब वह अवस्था ' प्रलय ' की होते है जिसमें सम्पूर्ण सृष्टि या संसार नष्ट हो जाता है। ' मनन ' करने वाला प्राणी ' मनुष्य ' कहलाता है। यदि कोई मनन नहीं करता है तो उसे मनुष्य तन धारी पशु ही कहा जाता है। मनुष्य सदैव कुछ न कुछ ' कर्म ' करता है जिस कारण उसे ' कृतु ' भी कहा जाता है। कर्म तीन प्रकार के होते हैं - सदकर्म, दुष्कर्म और अकर्म । सदकर्म का परिणाम सुफल , दुष्कर्म का परिणाम विफल होता है। अकर्म वह कर्म होता है जो किया जाना चाहिए था और किया नहीं गया । यद्यपि संसार के नियमों में यह अपराध नहीं है और समाज ऐसे कृत्य को दंडित नहीं करता है किन्तु प्रकृति, खुदा, GOD, भगवान की निगाह में यह दंडित होता है।
यह संसार एक परीक्षालय है यहाँ निरंतर परीक्षा चलती रहती है।खुदा = GOD=भगवान =भूमि,गगन,वायु,अग्नि,जल किसी भी प्राणी के कार्य में हस्तक्षेप नहीं करते हैं वे एक निरीक्षक (Investigator) के तौर पर इंसान - मनुष्य के कार्यों का सिर्फ अवलोकन करते हैं। परंतु एक परीक्षक (Examinar) के तौर पर उसके कार्यों के लेखा- जोखा के आधार पर पुरस्कृत करते व दंड देते हैं।
खुदा की कलम से तकदीर नहीं लिखी जाती तकदीर तो इंसान खुद गढ़ता है इसलिए खुदा को दोष देने की बात पूर्णतया: गलत है।
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश
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