Saturday 23 December 2017

चौधरी चरण सिंह जयंती पर ------ विजय राजबली माथुर

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*चौधरी चरण सिंह जी जिस मेरठ कालेज, मेरठ के छात्र रहे उसी कालेज का 1969-71 मैं भी छात्र रहा हूँ। हमारे सोशियोलाजी के एक प्रोफेसर साहब जो चौधरी साहब की जाति से ही संबन्धित थे और चौधरी साहब के नाम से मशहूर थे तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी चरण सिंह जी के कई कार्यों की सामाजिक समीक्षा किया करते थे , हालांकि यह कोर्स से हट कर होती थी। उनके अनुसार छपरौली में चौधरी चरण सिंह के कार्यकर्ता दलित बस्तियों को घेर कर उन लोगों को निकलने नहीं देते थे और उनके वोट चौधरी साहब को डाल लिए जाते थे। अखबारों की सुर्खियों में रहता था चौधरी साहब को दलितों का भरपूर समर्थन।
*इस वक्त  बिहार के राज्यपाल (भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल रह चुके )उस वक्त के SYS (समाजवादी युवजन सभा ) नेता और मेरठ कालेज छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष सतपाल मलिक साहब जिनकी दौराला की शुगर फेक्टरियों से चौधरी चरण सिंह जी को भरपूर चन्दा मिलता था उनके छात्रसंघ 'एच्छिक ' किए जाने के निर्णय से क्षुभ्ध होकर उनको चप्पलों की माला पहनाने की घोषणा कालेज कैंपस में कर गए थे।
*मुख्यमंत्री रहते ही चरण सिंह जी एक बार मेरठ के तत्कालीन जज जगमोहन लाल सिन्हा साहब के पास घर पर किसी केस के सिलसिले में पहुंचे थे। सिन्हा साहब ने अर्दली से पुछवाया था कि, पूछो चौधरी चरण सिंह मिलना चाहते हैं या मुख्यमंत्री चौधरी चरण सिंह। चौधरी साहब ने जवाब भिजवाया था कि, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री चौधरी चरण सिंह जज साहब से मिलना चाहते हैं।  सिन्हा साहब ने बगैर मिले ही उनको लौटा दिया था यह कह कर कि, उनको मुख्यमंत्री से नहीं मिलना है। केस का निर्णय चौधरी साहब के चहेते के विरुद्ध आया था । सिन्हा साहब को एहसास था कि उसी की सिफ़ारिश मुख्यमंत्री करना चाहते थे जिस कारण वह उनसे नहीं मिले थे। 1975 में इन सिन्हा साहब ने ही इलाहाबाद हाई कोर्ट में इन्दिरा गांधी के निर्वाचन के विरुद्ध निर्णय दिया था।
*संविद सरकार ने चौधरी चरण सिंह के स्थान पर  राज्यसभा सदस्य त्रिभुवन नारायण सिंह जी (लाल बहादुर शास्त्री जी के मित्र और वैसे ही ईमानदार ) को मुख्यमंत्री बना लिया था। उनको छह माह के भीतर विधायक बनना था गोरखपुर के मनीराम क्षेत्र से उनको उप चुनाव लड़ना था। कांग्रेस ने अमर उजाला के अलीगढ़ स्थित पत्रकार  राम कृष्ण दिवेदी को खड़ा किया था चौधरी चरण सिंह जी ने गुपचुप उनको समर्थन दिला दिया और अपने मोर्चे के उम्मीदवार टी एन सिंह को हरवा दिया वह त्याग-पत्र देकर वापस राज्यसभा चले गए।
*1971 के लोकसभा के मध्यवधी चुनाव में चौधरी चरण सिंह शामली संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी थे उनके विरुद्ध भाकपा के ठाकुर विजय पाल सिंह खड़े थे। चौगटा मोर्चे का भी प्रत्याशी मैदान में था लेकिन उसके वोट कम्युनिस्ट विजयपाल सिंह जी को डलवाए गए और चौधरी चरण सिंह जी को हरवा दिया गया। तब जनसंघ के ए बी बाजपेयी साहब ने खुल्लमखुल्ला कहा था कि, हमने मनीराम की हार का बदला ले लिया।

*1977  में जब  बाबू जगजीवन राम को पी एम बनाने का सवाल आया था चौधरी चरण सिंह जी अड़ गए थे कि वह दलित प्रधानमंत्री नहीं कुबूल करेंगे जिस कारण फिर मोरारजी देसाई  पी एम बने थे और जब 1979 में उनके बाद फिर से बाबू जगजीवन राम जी का नाम आया तब चंद्रशेखर जी उनको न बनाने के लिए अड़ गए थे जिससे चौधरी चरण सिंह जी इन्दिरा जी के समर्थन से पी एम बन सके थे।








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