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पहले नया नक्शा पास किया । विवादित क्षेत्र अपने नक्शे में दर्शाए । फिर सीमा पर तनाव की स्थिति बनाई । भारतीय न्यूज चैनल पर प्रतिबंध लगाया । अब यह बयान अयोध्या राम आदि पर आया है ।
शुरू में यह मात्र भारतीय विस्तारवाद की राजनैतिक लाइन पर ही बात थी । जो कि नेपाल में वर्षों से प्रमुख मुद्दा रहा है । सीमा विवाद भी बहुत समय से है । और उस पर कोई बात न होने के चलते वह बढ़ता गया है । नेपाल में आये भूकम्प के बाद भारतीय सरकार की प्रतिक्रिया से जो नाराजगी बनी थी उसने इसमें थोड़ा और बढ़ोतरी की थी । भारत की सरकार के नाकेबंदी वाले कदम ने भी सम्बन्धों को कडुवाहट में बदलने के साथ नेपाल को चीन के और करीब किया । उसके बाद नोटबन्दी विवाद ने इस खाई को और चौड़ा और गहरा किया । भारत सरकार बन्द किये करेंसी को लेने को तैयार न हुई ।
इस तरह पिछले कुछ सालों में दूरियां बढ़ती गयीं । किन्तु यह राजनैतिक थीं कूटनीतिक थीं ।
भारत नेपाल की जनता का आपसी सम्बन्ध यथावत रहता आया है । सांस्कृतिक एकता में फर्क नहीं आया । किन्तु संवादहीनता ने व भारतीय मीडिया की प्रतिक्रिया ने वापसी के संवाद के रास्ते भी बन्द करने शुरू किए । नेपाल भारत की सेना के तुनात्मक व्यौरे दिए जाने लगे । नेपाल के प्रधानमंत्री के चीनी राजदूत के साथ रिश्ते जोड़ते हुए अनाप शनाप , बेहूदा भाषा में खबरें चलाई जाने लगी । इसकी प्रतिक्रिया वहां से होनी ही थी हुई । किन्तु सरकार की तरफ से आधिकारिक रूप से कोई पहल नहीं दिखाई दी ।
अब जो बयान आया है नेपाल के प्रधानमंत्री का वह ज्यादा चिंताजनक व गम्भीर है । अयोध्या राम को लेकर । भले ही उसको लेकर तमाम हंसी ठिठोली हो रही है , पर यह गम्भीर चिंता का विषय होना चाहिए । क्योंकि अब तक जो भी हुआ वह राजनैतिक कूटनीतिक दूरी ही बन रही थी । जो भविष्य में सरकारों के बदलने पर सामान्य हो सकती थी । जिसमें बातचीत, समझौते, सन्धियों के जरिये पुनः सम्बन्धों को पटरी पर लाया जा सकता था, पुनर्बहाल किया जा सकता था । किंतु यह बयान भारत नेपाल के बीच जो सांस्कृतिक सम्बन्ध रहे हैं वर्षो वर्ष से उस पर चोट है । उन सम्बन्धों को भी समाप्त करने की तरफ पहल है । भारत नेपाल की जनता के मध्य जो रोटी बेटी का नाता रहा है यह बयान उन रिश्तों को चुनौती है । इसलिए इस बयान को गम्भीरता से लिया जाना चाहिए । किन्तु भारत में जिस तरह का माहौल बना दिया गया है और शीर्ष नेतृत्व जिस तरह की आत्ममुग्धता और अहम का शिकार है उसमें यह उम्मीद करना कि वह इसकी गम्भीरता को
समझ कोई पहल करेगा, बेमानी है ।
सोसियल मीडिया में तो इस बयान का हल्के फुल्के में मजा लिया जा सकता है पर वास्तविक समाज में यह भविष्य में बड़ी चुनौती बनेगा ।
चीन ने धमकाते हुए कहा ही है कि यदि भारत ने सीमा पर गलती की तो तीन तरफ से मोर्चे खुलेंगे । अमेरिका इजरायल बहुत दूर हैं आग लगेगी तो पानी लेकर दौड़े भी तो तब तक सब राख हो चुकेगा । पड़ोसी बदले नहीं जा सकते वक़्त जरूरत वही बाल्टी ले खड़े हो सकते हैं । उनसे सम्बन्ध बिगाड़ना घातक होगा । खासकर नेपाल से ।
साभार :
https://www.facebook.com/atul.sati.5/posts/3148336838577510?__cft__[0]=AZWzBo4Hsjdfmeq6yXd-C8yncD41onjwTEZbdXp9ijw2w53bllxauTNZcFWkmTIHMZ_-8xX79ryEMwtJVtOw133K4o1F9LQMCDM3pgWV-4MLireRMGtKvaiUy6m-ga-DvJ9yVYkRhC6dWe_Ix1jBtvbP&__tn__=%2CO%2CP-R
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश
( नेपाली प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली का दावा कि अयोध्या और राम नेपाल के थे तो गलत हो सकता है परंतु अवध क्षेत्र पुराने फैजाबाद वाली अयोध्या को सम्राट हर्ष वर्द्धन ने ' साकेत ' नाम से बसाया था । त्रेता वाली अयोध्या तो वस्तुतः वह नहीं है । )
------ विजय राजबली माथुर
14-07-2020
पहले नया नक्शा पास किया । विवादित क्षेत्र अपने नक्शे में दर्शाए । फिर सीमा पर तनाव की स्थिति बनाई । भारतीय न्यूज चैनल पर प्रतिबंध लगाया । अब यह बयान अयोध्या राम आदि पर आया है ।
शुरू में यह मात्र भारतीय विस्तारवाद की राजनैतिक लाइन पर ही बात थी । जो कि नेपाल में वर्षों से प्रमुख मुद्दा रहा है । सीमा विवाद भी बहुत समय से है । और उस पर कोई बात न होने के चलते वह बढ़ता गया है । नेपाल में आये भूकम्प के बाद भारतीय सरकार की प्रतिक्रिया से जो नाराजगी बनी थी उसने इसमें थोड़ा और बढ़ोतरी की थी । भारत की सरकार के नाकेबंदी वाले कदम ने भी सम्बन्धों को कडुवाहट में बदलने के साथ नेपाल को चीन के और करीब किया । उसके बाद नोटबन्दी विवाद ने इस खाई को और चौड़ा और गहरा किया । भारत सरकार बन्द किये करेंसी को लेने को तैयार न हुई ।
इस तरह पिछले कुछ सालों में दूरियां बढ़ती गयीं । किन्तु यह राजनैतिक थीं कूटनीतिक थीं ।
भारत नेपाल की जनता का आपसी सम्बन्ध यथावत रहता आया है । सांस्कृतिक एकता में फर्क नहीं आया । किन्तु संवादहीनता ने व भारतीय मीडिया की प्रतिक्रिया ने वापसी के संवाद के रास्ते भी बन्द करने शुरू किए । नेपाल भारत की सेना के तुनात्मक व्यौरे दिए जाने लगे । नेपाल के प्रधानमंत्री के चीनी राजदूत के साथ रिश्ते जोड़ते हुए अनाप शनाप , बेहूदा भाषा में खबरें चलाई जाने लगी । इसकी प्रतिक्रिया वहां से होनी ही थी हुई । किन्तु सरकार की तरफ से आधिकारिक रूप से कोई पहल नहीं दिखाई दी ।
अब जो बयान आया है नेपाल के प्रधानमंत्री का वह ज्यादा चिंताजनक व गम्भीर है । अयोध्या राम को लेकर । भले ही उसको लेकर तमाम हंसी ठिठोली हो रही है , पर यह गम्भीर चिंता का विषय होना चाहिए । क्योंकि अब तक जो भी हुआ वह राजनैतिक कूटनीतिक दूरी ही बन रही थी । जो भविष्य में सरकारों के बदलने पर सामान्य हो सकती थी । जिसमें बातचीत, समझौते, सन्धियों के जरिये पुनः सम्बन्धों को पटरी पर लाया जा सकता था, पुनर्बहाल किया जा सकता था । किंतु यह बयान भारत नेपाल के बीच जो सांस्कृतिक सम्बन्ध रहे हैं वर्षो वर्ष से उस पर चोट है । उन सम्बन्धों को भी समाप्त करने की तरफ पहल है । भारत नेपाल की जनता के मध्य जो रोटी बेटी का नाता रहा है यह बयान उन रिश्तों को चुनौती है । इसलिए इस बयान को गम्भीरता से लिया जाना चाहिए । किन्तु भारत में जिस तरह का माहौल बना दिया गया है और शीर्ष नेतृत्व जिस तरह की आत्ममुग्धता और अहम का शिकार है उसमें यह उम्मीद करना कि वह इसकी गम्भीरता को
समझ कोई पहल करेगा, बेमानी है ।
सोसियल मीडिया में तो इस बयान का हल्के फुल्के में मजा लिया जा सकता है पर वास्तविक समाज में यह भविष्य में बड़ी चुनौती बनेगा ।
चीन ने धमकाते हुए कहा ही है कि यदि भारत ने सीमा पर गलती की तो तीन तरफ से मोर्चे खुलेंगे । अमेरिका इजरायल बहुत दूर हैं आग लगेगी तो पानी लेकर दौड़े भी तो तब तक सब राख हो चुकेगा । पड़ोसी बदले नहीं जा सकते वक़्त जरूरत वही बाल्टी ले खड़े हो सकते हैं । उनसे सम्बन्ध बिगाड़ना घातक होगा । खासकर नेपाल से ।
साभार :
https://www.facebook.com/atul.sati.5/posts/3148336838577510?__cft__[0]=AZWzBo4Hsjdfmeq6yXd-C8yncD41onjwTEZbdXp9ijw2w53bllxauTNZcFWkmTIHMZ_-8xX79ryEMwtJVtOw133K4o1F9LQMCDM3pgWV-4MLireRMGtKvaiUy6m-ga-DvJ9yVYkRhC6dWe_Ix1jBtvbP&__tn__=%2CO%2CP-R
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश
( नेपाली प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली का दावा कि अयोध्या और राम नेपाल के थे तो गलत हो सकता है परंतु अवध क्षेत्र पुराने फैजाबाद वाली अयोध्या को सम्राट हर्ष वर्द्धन ने ' साकेत ' नाम से बसाया था । त्रेता वाली अयोध्या तो वस्तुतः वह नहीं है । )
------ विजय राजबली माथुर
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