Wednesday, 15 July 2020

जन - विरोधी लाकडाउन का कहर

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यह लाकडाउन वस्तुतः बड़े व्यापारियों और उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया है। इससे साधारण जनता, किसान, मजदूर, छोटा व्यापारी, निजी क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारी सभी त्रस्त हो रहे हैं । सरकारी आदेश है 50% कर्मचारियों को ही ड्यूटी पर बुलाने का अतः प्रतिष्ठानों के मालिक कर्मचारियों को अधिकतम आधा ही पारिश्रमिक भुगतान कर रहे हैं। 
जो लोग दूसरे शहरों में कार्यरत हैं उनको मकान के किराये समेत सभी भुगतान पूरे करने हैं, सभी चीजें मेंहगी है और वेतन आधा मिल रहा है उनका ख्याल न केंद्र सरकार को है न प्रदेश सरकार को। 
छोटे दुकानदार, फेरी वाले सभी की  आमदनी कम हो गई है उनका जीवन दूभर हो रहा है। 
मस्त- मौला लोग लाकडाउन बढ़ते जाने की कवायद करते हैं और सरकार उनकी ख्वाहिश पूरा करके जनता का दमन तेज करती जा रही है। 

विपक्षी दलों के नेतागण भी महामारी के धोखे का शिकार हैं फिर जनता का ख्याल कौन करे ? ------





यह लाकडाउन अवैध कार्य करने वालों के लिए स्वर्णिम अवसर भी लेकर आया है। प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग से संबंधित कुछ प्राचार्य / अधिकारी जो पहले से ही अपने पद का दुरुपयोग करके कार्यस्थल क्षेत्र के खेत खरीद कर प्रापर्टी डीलिंग में संलग्न थे लाकडाउन काल में तेजी से निर्माण कराने में भी सफल रहे। इनके विरुद्ध किसी कारवाई के बजाए सत्ता का वरद - हस्त होने से यह लोगों को भयभीत करके मन  - मुराद पूरी करने के लिए लाकडाउन को मुफीद पाते हैं और ऐसे ही सारे लोग मिल कर सरकार से बार - बार लाकडाउन बढ़वा लेते हैं। महामारी के भय के आगे जनता तो बेबस है ही विपक्षी दलों द्वारा भी कर्तव्य पालन नहीं किया जाना जनता की बर्बादी का हेतु बन रहा है।  

 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश

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