आज
04 अगस्त को प्रातः शनि के पुनः 'तुला राशि' मे संक्रमण को कुछ अखबारों मे
प्रकाशित ज्योतिषियों के हवाले से 'शुभ' बताया गया है और फेसबुक पर भी ऐसी
ही धारनाएं व्यक्त की गई हैं। किन्तु 14 अगस्त को प्रातः 09-50 पर 'मंगल'
तुला राशि मे 'शनि' के साथ फिर आ जाएगा। जो कि यह युति 28 सितंबर रात्री
08-44 तक बनाए रखेगा। इस योग का परिणाम यह होगा कि 'ताप' की अधिकता होगी और
'पवन' का वेग भी तीव्र होगा। अर्थात अग्न
िवात,हिंसा,अस्त्र-शस्त्र
भंडार क्षति तो होगी ही जन-धन की भी क्षति होगी। संक्रामक रोग मनुष्यों व
पशुओं मे भी फैलेंगे। 'गुरु' और 'राहू' के 180 डिग्री पर रहने के कारण राहत
कार्यों पर धन व्यय होगा,सरकार द्वारा जन-सौख्य के कदम उठाए जाएँगे। परंतु
वरिष्ठ नेताओं को आपदा का सामना करना पड़ेगा,कृषकों को चिंता होगी,उत्पादन
न्यून होगा और विश्व अर्थ-व्यवस्था असंतुलित हो जाएगी।
28 सितंबर से 'मंगल' 'राहू' के साथ आकार 09 नवंबर प्रातः 09-39 तक रहेगा जिसके फल्स्व्रूप यान-खान दुर्घटना,भूकंप आदि भी होंगे। ये निष्कर्ष 'चंन्ड-मार्तंड' पंचांग से लिए गए हैं।
अब देखने की बात यह होगी कि जो लोग वैज्ञानिकता के नाम पर या साम्यवादी होने के नाम पर या नास्तिक होने के नाम पर 'ज्योतिष' को नहीं मानते उन लोगों को ये ग्रह 'मुक्त' कैसे रखेंगे?
28 सितंबर से 'मंगल' 'राहू' के साथ आकार 09 नवंबर प्रातः 09-39 तक रहेगा जिसके फल्स्व्रूप यान-खान दुर्घटना,भूकंप आदि भी होंगे। ये निष्कर्ष 'चंन्ड-मार्तंड' पंचांग से लिए गए हैं।
अब देखने की बात यह होगी कि जो लोग वैज्ञानिकता के नाम पर या साम्यवादी होने के नाम पर या नास्तिक होने के नाम पर 'ज्योतिष' को नहीं मानते उन लोगों को ये ग्रह 'मुक्त' कैसे रखेंगे?
·
'बकवास' कहना और लिखना कितना आसदान है लेकिन क्या ग्रहों की चाल को रोका या टाला जा सकता है?यदि हाँ तो वित्त मंत्रालय,महाराष्ट्र के सी एम आफिस,नेल्लोर मे तामिल नाडू एक्स्प्रेस मे अग्निकांड क्यों नहीं रोके जा सके। ईरान की भूकंप त्रासदी को क्यों नहीं रोका जा सका। ईरान का घोर शत्रु भी आज ईरान को मानवीय मदद का प्रस्ताव दे रहा है पहले उसके वैज्ञानिकों ने चेतावनी देकर आबादी को क्यों नहीं हटवाया या भूकंप को रोक लिया।लेकिन विरोध के लिए विरोध करना फैशन है तो करते हैं जन-कल्याण बाधित करने के लिए।
राजनेताओं मे कैप्टन डॉ लक्ष्मी सहगल,के बाद केंद्रीय मंत्री विलास राव देशमुख को भी क्यों नहीं बचाया जा सका?
यू पी सरकार के नेताओं मे मतभेदों के बारे मे भी आंकलन पहले ही दिया जा चुका है।
http://krantiswar.blogspot.in/2012/03/blog-post_16.html?
हाँ बचाव हो सकता है यदि वैज्ञानिक विधि से 'हवन' का सहारा लिया जाये तो। चेतावनी देने का अभिप्राय बचाव के वैज्ञानिक उपाय अपनाने का अवसर प्रदान करना होता है। 'बकवास' नहीं जैसा कि विदेश स्थित प्रो साहब के अनुयाई कहते हैं।
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
No comments:
Post a Comment
कुछ अनर्गल टिप्पणियों के प्राप्त होने के कारण इस ब्लॉग पर मोडरेशन सक्षम है.असुविधा के लिए खेद है.