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(आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं ) संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
यह
ठीक है कि,क्रांतिकारियों एवं दूसरे स्वाधीनता सेनानियों ने जैसी
'स्वतन्त्रता' की कल्पना की थी वह अभी तक पूरी नहीं हुई है अथवा पूरी करने
की कोशिश ही नहीं हुई है ;परंतु अनेक लोगों ने इस 'राजनीतिक आज़ादी' की
अपने-अपने तरीके से कड़ी आलोचना करते हुये निराशा व्यक्त की है।
जो भी हो 'आज़ादी' -आज़ादी है और उसे कोसना नहीं अपितु सँजो के रखने,सँवारने एवं समृद्ध किए जाने की आवश्यकता है तथा उसके लिए'त्याग' की भावना रखनी होगी,संघर्ष के लिए तैयार रहना होगा तभी लक्ष्य की प्राप्ति हो सकती है। स्वाधीनता दिवस पर हम समस्त देशवासियों के कल्याण एवं मंगलमय जीवन की कामना करते हैं।
जो भी हो 'आज़ादी' -आज़ादी है और उसे कोसना नहीं अपितु सँजो के रखने,सँवारने एवं समृद्ध किए जाने की आवश्यकता है तथा उसके लिए'त्याग' की भावना रखनी होगी,संघर्ष के लिए तैयार रहना होगा तभी लक्ष्य की प्राप्ति हो सकती है। स्वाधीनता दिवस पर हम समस्त देशवासियों के कल्याण एवं मंगलमय जीवन की कामना करते हैं।
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- Madan Tiwary ६५ साल गुजर गयें , और कितने साल ?Wednesday at 8:11pm · · 1
- Ramprasad Raikwar likeYesterday at 7:58am · · 1
- Vijai RajBali Mathurबेहद वाजिब सवाल है आपका मदन तिवारी जी कि,"६५ साल गुजर गयें , और कितने साल ?" मान्यवर इसका जवाब यह है कि तब तक जब तक कि,प्रगतिशील-बामपंथी 'वास्तविक धर्म'=सत्य,अहिंसा (मनसा-वाचा-कर्मणा ),अस्तेय,अपरिग्रह,ब्रह्मचर
्य-को स्वीकार करके अधार्मिक (घो र सांप्रदायिक-हिन्दू,मुस्लिम,सीख,ईसाई आदि-आदि )को बेनकाब नहीं करते और जनता को नहीं समझाते कि वह सब धर्म नहीं-ढोंग-पाखंड है। केवल धर्म की आलोचना का अभिप्राय है कि आप इन सद्गुणों से दूर रहना चाहते है तो रूस मे आपने साम्यवाद खो दिया और चीन मे साम्यवादी-पूंजीवाद ढल गया। हिंसा का सहारा लेकर अपने बुद्धिजीवी नौजवानों को गवाते रह कर उद्देश्य नहीं प्राप्त किया जा सकत। जब तक 'राम' की तुलना 'ओबामा' से करके गर्व किया जाएगा जनता से कटे रहना होगा ,बिना जनता के सहयोग के जन-कल्याण की बात करना भी 'ढोंग' ही है। 'स्टालिन' के विरुद्ध लिख कर 'डाकटरेट' हासिल करना और नेताजी सुभाष बोस को 'नेगेटिव सोच'वाला बताना जब तक प्रगतिशीलता का मान दंड रहेगा लक्ष्य भी आपसे दूर ही रहेगा।
(आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं ) संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
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