Friday, 17 August 2012

स्वाधीनता पर प्रश्न चिन्ह

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    • Madan Tiwary ६५ साल गुजर गयें , और कितने साल ?
    • Vijai RajBali Mathur
      बेहद वाजिब सवाल है आपका मदन तिवारी जी कि,"६५ साल गुजर गयें , और कितने साल ?" मान्यवर इसका जवाब यह है कि तब तक जब तक कि,प्रगतिशील-बामपंथी 'वास्तविक धर्म'=सत्य,अहिंसा (मनसा-वाचा-कर्मणा ),अस्तेय,अपरिग्रह,ब्रह्मचर्य-को स्वीकार करके अधार्मिक (घो
      र सांप्रदायिक-हिन्दू,मुस्लिम,सीख,ईसाई आदि-आदि )को बेनकाब नहीं करते और जनता को नहीं समझाते कि वह सब धर्म नहीं-ढोंग-पाखंड है। केवल धर्म की आलोचना का अभिप्राय है कि आप इन सद्गुणों से दूर रहना चाहते है तो रूस मे आपने साम्यवाद खो दिया और चीन मे साम्यवादी-पूंजीवाद ढल गया। हिंसा का सहारा लेकर अपने बुद्धिजीवी नौजवानों को गवाते रह कर उद्देश्य नहीं प्राप्त किया जा सकत। जब तक 'राम' की तुलना 'ओबामा' से करके गर्व किया जाएगा जनता से कटे रहना होगा ,बिना जनता के सहयोग के जन-कल्याण की बात करना भी 'ढोंग' ही है। 'स्टालिन' के विरुद्ध लिख कर 'डाकटरेट' हासिल करना और नेताजी सुभाष बोस को 'नेगेटिव सोच'वाला बताना जब तक प्रगतिशीलता का मान दंड रहेगा लक्ष्य भी आपसे दूर ही रहेगा।














 (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं ) संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

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