कुछ
लोग फेसबुक आदि पर उत्तराखंड,दिल्ली आदि में वर्षा-बाढ़ की तबाही से चिंता
प्रकट कर रहे हैं किन्तु समय रहते बचाव के उपाय करना उन्ही लोगों को पसंद
नहीं हैं। अभी 14 जून तक 'सूर्य' और 'मंगल' वृष राशि में थे जिस का भी
प्रभाव रहा और इसके अलावा 8 मई शनिवार को 'अमावस्या' एवं 23 जून रविवार को
'पूर्णिमा' पड़ने का ही यह प्रभाव है। आजकल वैज्ञानिक 'हवन'-'यज्ञ'पद्धति
को ठुकरा कर 'ढोंग-पाखंड-आडंबर' को धर्म के नाम पर महिमामंडित करने का यह
प्राकृतिक पुरस्कार है। चाहे सहर्ष स्वीकार करें अथवा चिंतित होकर जब उपाय
नहीं करेंगे तो पीड़ा तो होगी ही।
जब तक हवन पद्धति प्रचलन में रही प्राकृतिक प्रकोप नियंत्रण में रहे क्योंकि अब मनुष्य प्रकृति के स्थान पर 'जड़' की पूजा करता है तो प्रकृति की कृपा कहाँ से?कैसे हो?........य ह जानते हुये भी कि खुद को 'प्रगतिशील',वामपंथी,विज्ञान प्रेमी आदि-आदि घोषित करने वाले लोग इसका विरोध करके पोंगा-पंथ को संरक्षण प्रदान करेंगे।
मैंने समय-समय पर ब्लाग्स व फेसबुक के माध्यम से चेतावनियाँ दी हैं और उपहास का पात्र तथाकथित वामपंथी-प्रगतिशीलों एवं पोंगापंथियों दोनों के द्वारा बनाया गया हूँ। ये प्रगतिशील नहीं पोंगापंथियों के संरक्षक हैं।
'कुम्भ' हादसा एवं उल्का पिंड गिरने से पूर्व लिखा था-
18 मार्च 2013 को लिखा था- http://vijaimathur.blogspot.in/2013/03/blog-post_18.html 11 मार्च,2013 को प्रकाशित समाचार मे मौसम विभाग की आशंका प्रकाशित हुई थी जो ज्योतिष के आंकलन के अनुरूप ही थी और 15 मार्च को प्रकाशित समाचार द्वारा उसके सही सिद्ध होने की पुष्टि भी हो गई। 'कोटा',राजस्थान के जिन महान ज्ञाता की टिप्पणी उस सूचना के विरुद्ध आई थी उनके राजस्थान मे भी तेज़ आंधी और बारिश होने की सूचना फेसबुक पर वहीं के लोगों ने दी थी और 'मोहाली' मे तो क्रिकेट मैच भी बारिश के कारण स्थगित करना पड़ा था। तथाकथित प्रगतिशील/वैज्ञानिक विद्वान वास्तव मे पोंगापंथियों/शोषकों के उत्पीड़न और शोषण पर पर्दा डालने हेतु ही जनता को वास्तविक स्थिति से अवगत नहीं होने देना चाहते हैं तभी जागरूकता के प्रयासों की निंदा व विरोध करते हैं। इन जन-विरोधी लोगों से सदा ही सतर्क रहना चाहिए।
26 मई को यह लिखा था-http://krantiswar.blogspot.in/2013/05/blog-post_26.html
04 मई से 29 मई 2013 तक वृष राशि में 'गुरु' व 'शुक्र' ग्रह एक साथ होने का परिणाम है आज कल ग्रीष्म का प्रचंड -प्रकोप । 'राहू' व 'मंगल' तथा 'शनि' व 'मंगल' के मध्य बना 180 डिग्री का संबंध अमेरिका के तूफानी बवंडर ,बस्तर आदि की आतंकवादी घटनाओं के कारक हैं (निर्णय सागर पंचांग के पृष्ठ-32एवं 33 पर पूर्व चेतावनी दी गई थी-
"राहू भौम सप्तम गति,शनि भौम संम सप्त।
भूक्रंदनजन धन क्षति,मनसा मानस तप्त। ।
चक्रवात आंधी पवन,सागर देश विदेश।
संहारक रचना गति,जन धन मध्य विशेष। । "
26 मई से 23 जून के मध्य सीमा क्षेत्रों में यातना तथा सम्पूर्ण विश्व में आतंकवादी हिंसा बढ्ने की चेतावनी दी गई है।
परंतु खेद के साथ कहना और लिखना पड़ रहा है कि कोई भी इस ओर उसी प्रकार ध्यान नहीं देगा जैसा कि पूर्व में हुआ था जो कि निम्नांकित के अवलोकन से सिद्ध हो जाएगा। :-----
बुधवार, 6 अप्रैल 2011
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
जब तक हवन पद्धति प्रचलन में रही प्राकृतिक प्रकोप नियंत्रण में रहे क्योंकि अब मनुष्य प्रकृति के स्थान पर 'जड़' की पूजा करता है तो प्रकृति की कृपा कहाँ से?कैसे हो?........य ह जानते हुये भी कि खुद को 'प्रगतिशील',वामपंथी,विज्ञान प्रेमी आदि-आदि घोषित करने वाले लोग इसका विरोध करके पोंगा-पंथ को संरक्षण प्रदान करेंगे।
मैंने समय-समय पर ब्लाग्स व फेसबुक के माध्यम से चेतावनियाँ दी हैं और उपहास का पात्र तथाकथित वामपंथी-प्रगतिशीलों एवं पोंगापंथियों दोनों के द्वारा बनाया गया हूँ। ये प्रगतिशील नहीं पोंगापंथियों के संरक्षक हैं।
'कुम्भ' हादसा एवं उल्का पिंड गिरने से पूर्व लिखा था-
18 मार्च 2013 को लिखा था- http://vijaimathur.blogspot.in/2013/03/blog-post_18.html 11 मार्च,2013 को प्रकाशित समाचार मे मौसम विभाग की आशंका प्रकाशित हुई थी जो ज्योतिष के आंकलन के अनुरूप ही थी और 15 मार्च को प्रकाशित समाचार द्वारा उसके सही सिद्ध होने की पुष्टि भी हो गई। 'कोटा',राजस्थान के जिन महान ज्ञाता की टिप्पणी उस सूचना के विरुद्ध आई थी उनके राजस्थान मे भी तेज़ आंधी और बारिश होने की सूचना फेसबुक पर वहीं के लोगों ने दी थी और 'मोहाली' मे तो क्रिकेट मैच भी बारिश के कारण स्थगित करना पड़ा था। तथाकथित प्रगतिशील/वैज्ञानिक विद्वान वास्तव मे पोंगापंथियों/शोषकों के उत्पीड़न और शोषण पर पर्दा डालने हेतु ही जनता को वास्तविक स्थिति से अवगत नहीं होने देना चाहते हैं तभी जागरूकता के प्रयासों की निंदा व विरोध करते हैं। इन जन-विरोधी लोगों से सदा ही सतर्क रहना चाहिए।
26 मई को यह लिखा था-http://krantiswar.blogspot.in/2013/05/blog-post_26.html
04 मई से 29 मई 2013 तक वृष राशि में 'गुरु' व 'शुक्र' ग्रह एक साथ होने का परिणाम है आज कल ग्रीष्म का प्रचंड -प्रकोप । 'राहू' व 'मंगल' तथा 'शनि' व 'मंगल' के मध्य बना 180 डिग्री का संबंध अमेरिका के तूफानी बवंडर ,बस्तर आदि की आतंकवादी घटनाओं के कारक हैं (निर्णय सागर पंचांग के पृष्ठ-32एवं 33 पर पूर्व चेतावनी दी गई थी-
"राहू भौम सप्तम गति,शनि भौम संम सप्त।
भूक्रंदनजन धन क्षति,मनसा मानस तप्त। ।
चक्रवात आंधी पवन,सागर देश विदेश।
संहारक रचना गति,जन धन मध्य विशेष। । "
26 मई से 23 जून के मध्य सीमा क्षेत्रों में यातना तथा सम्पूर्ण विश्व में आतंकवादी हिंसा बढ्ने की चेतावनी दी गई है।
परंतु खेद के साथ कहना और लिखना पड़ रहा है कि कोई भी इस ओर उसी प्रकार ध्यान नहीं देगा जैसा कि पूर्व में हुआ था जो कि निम्नांकित के अवलोकन से सिद्ध हो जाएगा। :-----
बुधवार, 6 अप्रैल 2011
[२७ अप्रैल २०१० को लखनऊ के एक स्थानीय समाचार पत्र में पूर्व प्रकाशित आलेख ]
दंतेवाडा त्रासदी - समाधान क्या है? http://krantiswar.blogspot.in/2011/04/blog-post_06.html
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर