स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं )
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
वास्तविकता से मुंह मोड़ना है -'राजनीति' और 'राजनीतिज्ञों' पर प्रहार---विजय राजबली माथुर
July 14, 2012 at 9:27am
वास्तविकता से मुंह मोड़ना है -'राजनीति' और 'राजनीतिज्ञों' पर प्रहार
गुवाहाटी,लखनऊ के पुलिस थाना और बागपत की खाप पंचायत की आड़ मे उदभट्ट विद्वान 'राजनीति' और 'राजनीतिज्ञों' को जम कर कोस रहे हैं और इस प्रकार प्रकारांतर से वे RSS तथा भ्रष्ट IAS आफ़ीसर्स द्वारा देश मे अर्द्ध-सैनिक तानाशाही स्थापित होने पर जनता को उसका स्वागत करने हेतु तैयार कर रहे हैं।
समाज मे व्याप्त 'ढोंग-पाखंड-आडंबर' जिसे धर्म के नाम पर पूजा जा रहा है ही वस्तुतः उच्श्रंखलता हेतु उत्तरदाई है। धन और धनवानों को अनावश्यक सम्मान उसमे और इजाफा कर देता है। दक़ियानूसी और संकीर्ण सोच वाले साम्यवादी विद्वान सिर्फ और सिर्फ 'ढोंग-पाखंड-आडंबर' को ही धर्म मानते हैं। अतः वे सिरे से ही धर्म को खारिज करते हुये उसे अफीम कह कर आलोचना करते हैं परिणामतः पाखंडियों को लूट का खुला मैदान मिल जाता है।
अज्ञान या न समझने की ज़िद्द के कारण ये विद्वान जनता को वास्तविक 'धर्म' से परिचित नहीं होने देना चाहते हैं। यदि जनता को समझाया जाए कि 'धर्म' वह नहीं है जिसे पाखंडी पुरोहितवादी/ब्राह्मणवादी कहते हैं तो सभी समस्याओं पर काबू पाया जा सकता है। जड़ पर प्रहार न करके राजनीति और राजनीतिज्ञों पर हमला करना लोकतन्त्र/जनतंत्र की जड़ों मे 'मट्ठा' डालना है।
https://www.facebook.com/
गुवाहाटी,लखनऊ के पुलिस थाना और बागपत की खाप पंचायत की आड़ मे उदभट्ट विद्वान 'राजनीति' और 'राजनीतिज्ञों' को जम कर कोस रहे हैं और इस प्रकार प्रकारांतर से वे RSS तथा भ्रष्ट IAS आफ़ीसर्स द्वारा देश मे अर्द्ध-सैनिक तानाशाही स्थापित होने पर जनता को उसका स्वागत करने हेतु तैयार कर रहे हैं।
समाज मे व्याप्त 'ढोंग-पाखंड-आडंबर' जिसे धर्म के नाम पर पूजा जा रहा है ही वस्तुतः उच्श्रंखलता हेतु उत्तरदाई है। धन और धनवानों को अनावश्यक सम्मान उसमे और इजाफा कर देता है। दक़ियानूसी और संकीर्ण सोच वाले साम्यवादी विद्वान सिर्फ और सिर्फ 'ढोंग-पाखंड-आडंबर' को ही धर्म मानते हैं। अतः वे सिरे से ही धर्म को खारिज करते हुये उसे अफीम कह कर आलोचना करते हैं परिणामतः पाखंडियों को लूट का खुला मैदान मिल जाता है।
अज्ञान या न समझने की ज़िद्द के कारण ये विद्वान जनता को वास्तविक 'धर्म' से परिचित नहीं होने देना चाहते हैं। यदि जनता को समझाया जाए कि 'धर्म' वह नहीं है जिसे पाखंडी पुरोहितवादी/ब्राह्मणवादी कहते हैं तो सभी समस्याओं पर काबू पाया जा सकता है। जड़ पर प्रहार न करके राजनीति और राजनीतिज्ञों पर हमला करना लोकतन्त्र/जनतंत्र की जड़ों मे 'मट्ठा' डालना है।
https://www.facebook.com/
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
No comments:
Post a Comment
कुछ अनर्गल टिप्पणियों के प्राप्त होने के कारण इस ब्लॉग पर मोडरेशन सक्षम है.असुविधा के लिए खेद है.