Friday, 23 May 2014

पद्म पुरस्कारों की ललक में ---

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अंकित गौरव श्रीवास्तव अपने पिता श्री ए के श्रीवास्तव के साथ जो सिचाई विभाग के मंडलीय अभियंता कार्यालय में ACCOUNTS OFFICER के नाते बनारस में सेक्टर मेजिस्ट्रेट की हैसियत से EVM हासिल कर सके


इंजीनियर अंकित गौरव श्रीवास्तव BJP का चुनाव प्रचार करते हुये




 उपरोक्त सभी चित्र अपनी कहानी स्पष्ट करने में सक्षम हैं। पहले व दूसरे चित्र 'हिंदुस्तान' अखबार के संपादकों से संबन्धित हैं। शेष के बारे में कुछ भी कहने की आवश्यकता नहीं है। साफ है कि योग्य संपादकों ने खुद ही माना है कि यह लोकतान्त्रिक निर्वाचन नहीं पहले से तय 'राजतिलक' है। राजतिलक कैसे संभव हुआ ब्लाग पोस्ट व EVM के चित्रों से स्पष्ट है। लेकिन 1857 ई की विफल क्रांति की स्मृति में अपना अनुमान मैंने 10 मई 2014 को ही प्रकट कर दिया था।

संकलन-विजय माथुर

Tuesday, 20 May 2014

चुनाव की ईमानदार कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान---'कोहराम'

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Published On: Mon, May 19th, 2014

ईवीएम घर पर- क्या यह है निष्पक्ष चुनाव का दावा ?

कोहराम न्यूज़ नेटवर्क  20th May ’14
ईवीएम का उपयोग इस चुनाव मे पूरे भारत मे किया गया है और बटन दबाकर वोट डालने का इससे आसान तरीका और किया हो सकता है!
मगर जिस ईवीएम से हम सब को इतनी आसानी हो गयी की वोट्स कैंसिल होने का खतरा ख़त्म हो गया और गिनती भी आसान हो गयी क्या वो वाकई मे सुरक्षित हैं?
कम से कम इस चुनाव मे जिस तरह न्यूज़ आई हैं और कुछ ईवीएम जिस तरह गड़बड़ी पाई गयी हैं उससे चुनाव की ईमानदार कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान लग जाता है !
अब इस तस्वीर को ही देख लीजिए किस तरह यह नौजवान एक साथ चार पाँच ईवीएम लिए अपने घर  क्या कर रहा है? गौरतलब है की  ईवीएम में दो सील लगाई जाती है एक सील मशीन पर तथा दूसरी सील उसे ब्रीफकेस में रखने के बाद, ज़ाहिर सी बात है बिना सील खोले मशीन ब्रीफकेस से बाहर नहीं आ सकती, तो ये ईवीएम स्ट्रोंग रूम में कैसे जमा कराइ गयी? यह फ़ोटो वाराणसी मे चुनाव से एक दिन पहले का अपलोड किया हुआ है जैसे की तारीख अंकित है! और जो नौजवान इस फोटो में है वो भी वाराणसी का ही निवासी है |
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https://www.facebook.com/ankitgaurav.srivastava?fref=photo
ankit garg
फ़ेसबुक में वायरल हो रही यह तस्वीर अंकित गौरव श्रीवास्तव नामक किसी नौजवान की है जो इस तस्वीर पर आ रहे सवालों के कोई जवाब नहीं दे रहा है !एक बात और ध्यान देने वाली है की अंकित गौरव श्रीवास्तव भाजपा समर्थक भी है! वाराणसी के रहने वाले अंकित श्रीवास्तव की प्रोफाइल मे जो जानकारी दी गयी उसके आधार पर वो नोएडा के जेएसएस अकॅडमी ऑफ टेक्निकल एजुकेशन नोएडा मे कार्यरत है

और पढ़ें  -Calculation is not exact in Varanasi Votes?

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यह सब चीज़ें चुनाव के पूरे सिस्टम को सवालों के घेरे मे खड़ा कर देती हैं?

पढ़ें  Ten Reasons for Banning EVMs

कैसे असम मे ईवीएम सिर्फ़ भाजपा के खाते मे ही वोट दे रही थी ?
कैसे बनारस लोकसभा चुनाव की गिनती उत्तर प्रदेश से आते आते दिल्ली चुनाव आयोग की वेबसाइट पर बदल जाती है?
यह पहली बार नहीं है की ई वी एम पर यह आरोप लगा है इससे पहले भी  पीएमके नेता जी. के. मनी की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के एक खंडपीठ ने मनी से कहा है कि वह 27 अगस्त को निर्वाचन आयोग में साबित करें कि ईवीएम से छेड़छाड़ संभव है। मनी ने अपनी याचिका में कहा था कि कई सॉफ्टवेयर विशेषज्ञों ने ईवीएम में छेड़छाड़ को संभव बताया है। लोकसभा चुनाव में ईवीएम के साथ छेड़छाड़ किए जाने का आरोप लगाते हुए मनी ने अदालत से आग्रह किया था कि वह मामले की जांच के लिए सरकारी और गैर सरकारी सॉफ्टवेयर विशेषज्ञों की एक समिति गठित करे।
और पढ़ें – क्या आपको पता है दिल्ली हाई कोर्ट ने भी ये माना था के ईवीएम से छेड़छाड़ संभव है क्लिक करें - ईवीएम का इतिहास -
पढ़ें  Shocking EVMs at Home ? Question mark on Free and Fair Elections ?
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 संकलन-विजय माथुर

Tuesday, 6 May 2014

मोदी संप्रदाय तानाशाही का पक्का रास्ता है ---रामचन्द्र गुहा

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डॉ अंबेडकर के निर्वाण दिवस 06 दिसंबर को बाबरी विध्वंस करने वाली भाजपा ने साम्राज्यवादी हितों के मद्देनजर 'तानाशाह' मनोवृति के मोदी को पी एम के लिए इसीलिए प्रोजेक्ट किया था क्योंकि वह डॉ अंबेडकर के योगदान से निर्मित संविधान को ध्वस्त करना चाहती है। इस तरह की घोषणा ही असंवैधानिक है क्योंकि संविधान के अनुसार लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता प्रधानमंत्री होता है। चुनाव पूर्व पी एम का ऐलान करके ही भाजपा ने अपने संविधान विरोधी रुख को उजागर कर दिया था। देश में दंगे कराके अव्यवस्था फैलाना व सौहार्द को नष्ट करना ही मोदी का अभीष्ट है अतः लोकतन्त्र समर्थकों तथा संविधान के हितैषियों का परम कर्तव्य है कि मोदी और उनकी भाजपा की हार सुनिश्चित करें। इसके लिए केजरीवाल और उनकी आ आ पा के झांसे से बचना होगा जो मोदी के विकल्प के रूप में प्रस्तुत किए गए हैं।



 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश

Sunday, 4 May 2014

आधार कार्ड स्कीम(UID project) एक षड्यंत्रकारी कुचक्र ---डॉ शिखा सिंह

आधार कार्ड बनवा चुके या फिर बनवाने की सोच रहे लोगों को उनके विरुद्ध हो रही एक भयावह साज़िश का अनुमान होना चाहिए ! आधार कार्ड स्कीम(UID project) नामक षड्यंत्रकारी कुचक्र के जनक नंदन निलेकणी को इनाम के रूप में बैंगलोर से कांग्रेस की टिकेट मिली है ! बैंगलोर में हमने 12 से 17 अप्रैल को चुनाव से पहले निलेकणी की इस कुचक्री स्कीम का पोल खोल अभियान चलाया! इस विषय कुछ ज़रूरी बिंदु साझा करना चाहूंगी जो हमें जानना ज़रूरी है ! जून 2010 में ब्रिटिश गृह सचिव , Theresa May ने UID project को साफ़ खारिज करते हुए कहा कि ये अब तक की सबसे घटिया सरकारी योजना है , नागरिकों के जीवन में घुसपैठ , दबंगई है , और हर नागरिक की व्यक्तिगत आज़ादी पर हमला है !
लेकिन सच तो ये है कि UID आधार कार्ड स्कीम इससे कहीं बड़ा षड्यंत्र है! बिना संसद में या देशव्यापी चर्चा के इसे जबरन देश पर थोपा गया है और ये विडम्बना है कि UPA सरकार इसे तब लाई है जब दुनिया के अधिकाँश देश (अमेरिका , ब्रिटेन , ऑस्ट्रेलिया , चीन , कनाडा , जर्मनी ) इससे मिलती जुलती परियोजना को कूड़े के डब्बे में फेंक चुके हैं !
इस स्कीम को लाने के पीछे सरकार ये कारण दे रही है कि इससे हर नागरिक को पहचान आधार मिलेगा और सरकारी योजनाओं और सुविधाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने में आसानी होगी! मनमोहन और निलेकणी को इतने नहीं पता कि तमाम studies बताती हैं कि सरकारी परियोजनाओं के अप्रभावी होने के पीछे कारण अपनी पहचान को न साबित कर पाना नहीं बल्कि ताकतवर , रसूखदार और इन परियोजनाओं के कर्ता धर्ताओं द्वारा अपने फायदे के लिए सिस्टम को तोड़ना मरोड़ना है ! जहाँ BPL परिवार अपने राशन कार्ड का इस्तेमाल नहीं कर पाते , जहाँ गरीब छात्रों को उनकी स्कालरशिप नहीं मिल रही , जहाँ महिला मजदूरों को NREGA के तहत अपने हक़ की सही मजदूरी नहीं मिल पाती , इन समस्याओं का कारण इनका अपनी पहचान न साबित कर पाना नहीं और इसीलिए सरकार का इस परियोजना को लाने का तर्क ही खोखला साबित होता है !
अब असली मुद्दे पर आते हैं ! बिल में एक बिंदु ये कहता है कि National Identification Authority of India (NIDAI) किसी भी नागरिक का पर्सनल डाटा , सरकारी ख़ुफ़िया विभागों को कभी भी देने को स्वतंत्र है और यदि इन कुख्यात सरकारी एजेंसीयों(RAW, IB, NIA इत्यादि) के अनुसार आप राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं , तो वो आधी रात को भी आपके घर का दरवाज़ा तोड़कर आपको उठवा सकती है ! ये सीधे सीधे संविधान की "Right to privacy" का उल्लंघन है और मानवाधिकारों का हनन है ! याद रहे कि द्वितीय विश्व युद्ध में नाजियों ने IBM के साथ मिलकर कुछ इसी दिशा में database बनाए थे और यहूदियों की संपत्ति हड़पने , उन्हें उठवाने और उन्हें मरवाने के लिए इस्तेमाल किया था ! कुल मिलाकर UID स्कीम देश के हर नागरिक को एक संभावित अपराधी, और देश की सुरक्षा के लिए खतरा मानती है !
World Bank जो सीधे सीधे साम्राज्यवादी ताकतों से गलबहियां क
रते आई एक कुख्यात संस्था है , वो कई schemes में भारत सरकार को फण्ड भी करती है तथा उसके साथ मिलकर काम भी करती है ! तो हर नागरिक की गुप्त जानकारी वर्ल्ड बैंक भी साझा होगी और इससे हम पूरी दुनिया के साम्राज्यवादी ताकतों के सीधे निशाने पर होंगे, जी हाँ एक एक individual नागरिक ! गौरतलब रहे कि world bank ने कई बार CIA और MOSSAD जैसी साम्राज्यवादी ख़ुफ़िया एजेंसीयों के षड्यंत्रों में सहायक की भूमिका निभाई है !
इस कुचक्री स्कीम पर जनता के इतने ज्यादा पैसे खर्च होने वाले हैं जिसका फायदा नगण्य और हानियाँ - खामियां भयावह हैं ! 45000 करोड़ तो सिर्फ इसे पहले चरण में लागू करने में ही खर्च होने का अनुमान है ! उसके बाद NREGA और public distribution system में इसे लागू करने के लिए हर पंचायत ऑफिस और राशन दूकान पर finger-print reader लगाना होगा ! देश के 6 लाख गाँव में हर PDS outlet पर fingerprint reader लगाने की जो भयानक लागत आएगी वो अब तक सरकार calculate कर रही है ! ज़रा सोचिए , देश को कंगाल करने वाली इस परियोजना जिसका फायदा नगण्य और खामियां इतनी अधिक हो , उसे बिना संसद में लाए , बिना चर्चा के ज़बरदस्ती थोपने से सरकार की किस खतरनाक मंशा का पता चलता है !

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