Saturday 27 September 2014

'आधा है चन्द्रमा रात आधी, रह न जाए तेरी मेरी बात आधी':महेंद्र कपूर ---ध्रुव गुप्त


श्रधांजलि / महेंद्र कपूर:
Mahendra Kapoor (January 9, 1934, Amritsar,British India – September 27, 2008, Mumbai, ) was a playback singer.
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=526799474063322&set=a.379477305462207.89966.100001998223696&type=1 
 चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों !
1958 में फिल्म 'नवरंग' के लिए गाए अपने पहले गीत 'आधा है चन्द्रमा रात आधी, रह न जाए तेरी मेरी बात आधी' से अपना फिल्म कैरियर शुरू करने वाले बेहतरीन गायक महेंद्र कपूर ने चार दशकों में हिंदी सहित विभिन्न भारतीय भाषाओं में पचीस हज़ार से ज्यादा गीत गाए थे। मोहम्मद रफ़ी, मुकेश और किशोर कुमार के दौर में भी अपना एक अलग मुक़ाम बनाने वाले इस गायक ने हिंदी सिनेमा को कुछ कालजयी गीत भी दिए जिनके ज़िक्र के बगैर हिंदी फिल्म संगीत का इतिहास नहीं लिखा जा सकेगा। उनके गाए कुछ ऐसे ही गीत हैं - आधा है चन्द्रमा रात आधी, तुम्हारा चाहने वाला खुदा की दुनिया में मेरे सिवा भी कोई और हो खुदा न करे, तुम अगर साथ देने का वादा करो, नीले गगन के तले धरती का प्यार पले, किसी पत्थर की मूरत से मुहब्बत का इरादा है, न मुंह छुपा के जियो और न सर झुका के जियो, चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों, आप आए तो ख्याले दिले नाशाद आया, और नहीं बस और नहीं ग़म के प्याले और नहीं, भारत का रहने वाला हूं भारत के गीत सुनाता हूं, मेरे देश की धरती सोना उगले, ऐ मां तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी, मेरा प्यार वो है जो मरके भी तुझको जुदा अपनी बाहों से होने न देगा, अगर मुझे न मिले तुम तो मैं ये समझूंगा, ऐ जाने चमन तेरा गोरा बदन जैसे खिलता हुआ गुलाब, लाखों हैं यहां दिलवाले पर प्यार नहीं मिलता, तेरे प्यार का आसरा चाहता हूं, ये किसका लहू है कौन मरा, जिसके सपने हमें रोज़ आते रहे, हम जब सिमट के आपकी बांहों में आ गए, ये कली जब तलक फूल बनकर खिले, भूल सकता है भला कौन तुम्हारी आंखें, हाथ आया है जबसे तेरा हाथ में, मेरी सांसों को जो महका रही है, बदल जाए अगर माली चमन होता नहीं खाली, रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा कलजुग आएगा, चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है। महेंद्र कपूर की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रधांजलि, उनके गाए भोजपुरी फिल्म 'बिदेसिया' के एक गीत के साथ !
हंसि हंसि पनवा खिअवले बेइमनवा
कि अपना बसे रे परदेश
कोरी रे चुनरिया में दगिया लगाईं गईले
मारी के करेजवा में ठेस

चढत फगुनवा सगुनवा मनावे गोरी
चैता करे रे उपवास
गरमी बेशरमी ना बेनिया डोलावे माई
डारे सईया गरवा में फांस

कजरी नजरिया से खेले रे बदरिया
कि बरसे रकतवा के नीर
दरदी के मारे छाई जरदी चनरमा पे
गरदी मिली रे तकदीर !

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