Friday 11 March 2016

जेएनयू के कन्हैया कुमार, खालिद उम्र और अन्य देश के होनहार और क्षमता स्वस्थ छात्र हैं : अशोक कुमारगांगुली,पूर्व न्यायाधीश

***** अंग्रेजों ने गांधी, नेहरू और मौलाना आजाद जैसे लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया था मगर कॉलेजों और विश्वविद्यालय के छात्रों के खिलाफ कभी भी इस अधिनियम को लागू नहीं किया गया मगर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार देश के शैक्षिक संस्थानों में एक विशेष सिद्धांत और चिंता को थोपने के लिए इस बदनाम ज़माने के अधिनियम का उपयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण प्रक्रिया है और देश विभाजन की ओर बढ़ रहा है।*****

मौजूदा मोदी सरकार अंग्रेजी उपनिवेशवादियों से भी बदतर है : पूर्व न्यायाधीश अशोक कुमारगांगुली

कोलकाता: जेएनयू के छात्र कन्हैया कुमार, खालिद उम्र और अन्य लोगों के खिलाफ देशद्रोह का आरोप आयद किए जाने का कड़ा विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व और पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार गांगुली ने कहा कि इंडियन पैनल कोड में 124 ए में जो धारा शामिल है वह अंग्रेजी सम्राज्य की देन है जो स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ इस्तेमाल की जाती थी।

मगर कांग्रेस के इन्तहा पसंद विचारधारा से संबंधित लोगों के दबाव के कारण यह कोड भारत की आजादी के बाद भी हमारे संविधान और कानून का हिस्सा रह गया। पूर्व न्यायाधीश अशोक कुमार गांगुली ने इंडियन पैनल कोड के 124-A में संशोधन की वकालत करते हुए कहा कि इस बार राजनीतिक हितों के अधिग्रहण के लिए इस्तेमाल हो रहा है।

उन्होंने कहा कि जेएनयू के जिन छात्रों विशेषकर कन्हैया कुमार, खालिद उम्र व अन्य के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया है वह देश के होनहार और क्षमता स्वस्थ छात्र हैं।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय शिक्षा की जगह होती है जहां चिंता और विचार, बहस और वैज्ञानिक जांच होते रहे हैं। विद्यालय में अगर बहस और विचार का माहौल खत्म कर दिया जाएगा तो छात्रों में रचनात्मकता समाप्त हो जाएगी।

कोलकाता प्रेस क्लब में आयोजित ” फार्म फॉर डेमोक्रेसी एंड कम्युनल अमीटी ” द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति गांगुली ने मौजूदा भाजपा सरकार को अंग्रेजी उपनिवेशवादियों से भी बदतर करार दिया और कहा कि अंग्रेजों ने गांधी, नेहरू और मौलाना आजाद जैसे लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया था मगर कॉलेजों और विश्वविद्यालय के छात्रों के खिलाफ कभी भी इस अधिनियम को लागू नहीं किया गया मगर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार देश के शैक्षिक संस्थानों में एक विशेष सिद्धांत और चिंता को थोपने के लिए इस बदनाम ज़माने के अधिनियम का उपयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण प्रक्रिया है और देश विभाजन की ओर बढ़ रहा है।

http://sadaebharat.com/2016/03/07/the-current-government-is-worse-than-the-english-colonists-former-justice-ashok-kumarganguli/

No comments:

Post a Comment

कुछ अनर्गल टिप्पणियों के प्राप्त होने के कारण इस ब्लॉग पर मोडरेशन सक्षम है.असुविधा के लिए खेद है.