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महात्मा गांधी जी के जन्मदिवस को अंतर्राष्ट्रीय जगत में ' अहिंसा दिवस ' के रूप में मनाया जाता है जो कि, एक आदर्श स्तुत्य कदम है। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि, उनके अपने देश में सरकार उसे नहीं मनाती है क्योंकि उसका अहिंसा पर नहीं हिंसा पर विश्वास है इसलिए सरकार ने इसे स्वच्छता दिवस के रूप में घोषित करके गांधी जी के अहिंसा के सिद्धान्त को झाड़ू से बुहार देने की गुहार लगाई है । सरकार की यह झाड़ू यह भी संकेत देती है कि, कमल के मुरझाने पर उसकी जगह झाड़ू वाली पार्टी सत्ता पर काबिज होगी जोकि उसके मंसूबों को बखूबी पूरा करती रहेगी।
गांधी जी के सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों में विश्वास रखने वाले देश के प्रबुद्ध लोगों का कर्तव्य है कि वे जनता को जागरूक करके जनतंत्र की रक्षा के लिए आगे आयें ------ आज वाल्मीकि जयंती है । महर्षि वाल्मीकि को सफाई कर्मियों के समुदाय तक सीमित करके रख दिया गया है।
मोदी की भाजपा सरकार 'स्वच्छ भारत ' अभियान महात्मा गांधी के नाम पर चलाती है परंतु महर्षि वाल्मीकि के नाम पर बनी जाति के सफाई कर्मियों की दुर्दशा को सुधारने की उसकी कोई इच्छा नहीं है।
सफाई कर्मियों की सुरक्षा और विकास के बगैर स्वच्छता अभियान न केवल बेमानी है बल्कि इस समुदाय के लिए प्रताड़णा समान है । विस्तृत एवं सराहनीय परिचर्चा इस वीडियो में देखी जा सकती है :
संकलन- विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश
महात्मा गांधी जी के जन्मदिवस को अंतर्राष्ट्रीय जगत में ' अहिंसा दिवस ' के रूप में मनाया जाता है जो कि, एक आदर्श स्तुत्य कदम है। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि, उनके अपने देश में सरकार उसे नहीं मनाती है क्योंकि उसका अहिंसा पर नहीं हिंसा पर विश्वास है इसलिए सरकार ने इसे स्वच्छता दिवस के रूप में घोषित करके गांधी जी के अहिंसा के सिद्धान्त को झाड़ू से बुहार देने की गुहार लगाई है । सरकार की यह झाड़ू यह भी संकेत देती है कि, कमल के मुरझाने पर उसकी जगह झाड़ू वाली पार्टी सत्ता पर काबिज होगी जोकि उसके मंसूबों को बखूबी पूरा करती रहेगी।
गांधी जी के सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों में विश्वास रखने वाले देश के प्रबुद्ध लोगों का कर्तव्य है कि वे जनता को जागरूक करके जनतंत्र की रक्षा के लिए आगे आयें ------ आज वाल्मीकि जयंती है । महर्षि वाल्मीकि को सफाई कर्मियों के समुदाय तक सीमित करके रख दिया गया है।
मोदी की भाजपा सरकार 'स्वच्छ भारत ' अभियान महात्मा गांधी के नाम पर चलाती है परंतु महर्षि वाल्मीकि के नाम पर बनी जाति के सफाई कर्मियों की दुर्दशा को सुधारने की उसकी कोई इच्छा नहीं है।
सफाई कर्मियों की सुरक्षा और विकास के बगैर स्वच्छता अभियान न केवल बेमानी है बल्कि इस समुदाय के लिए प्रताड़णा समान है । विस्तृत एवं सराहनीय परिचर्चा इस वीडियो में देखी जा सकती है :
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