Arvind Raj Swarup Cpi
सीनियर मोस्ट जज को ये कहना पड़ रहा है कि जनवाद खतरे में पड़ सकता है।
उनोहने स्थितियां बताते हुए यह भी कहा कि राष्ट्र के प्रति जो उनका कर्तव्य और कर्ज है वो उसको चुकता कर रहें है।
यह सुन कर जनवाद चाहने वालों को चिंतित होना स्वाभाविक है।
मोदी सरकार बनने के बाद से जनवादी प्रक्रियाओं पर आघात किया गया है।
जस्टिस लोया की मौत और उनके समक्ष सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले जिसमें बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम भी आया है उसका भी एक महत्वपूर्ण प्रकरण है।
जजों द्वारा उठाये गए सवालों पर निश्चय ही राष्ट्र का ध्यान आकर्षित होना चाहिए और जस्टिस लोया की मौत का मसला समुचित सीनियर जजों की अदालत की देख रेख में हल होना चाहिए।
बेजेपी वाले तो जजों की प्रेस कांफ्रेस के विरुद्ध ही विलाप करते रहंगे।
स्मरण रहे जर्मनी में हिटलर वोट से ही आया था।
आरएसएस बेजेपी का फलसफा हिटलर वादी सोच के करीब है।
इनका एक मंत्री हेगड़े देश के संविधान
को ही बदल देना चाहता है।
प्रश्न बेहद गंभीर है।
राष्ट्र को शुक्र गुज़ार होना चाहिए जजों का।
हम उम्मीद करतें हैं सुप्रीम कोर्ट अपनें विवेक से सवालों को हल कर लेगी पर राष्ट्र को सचेत ही रहना है।
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