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1981 में एक रात मुझे भी डल झील में 'शिकारा ' में गुजरना पड़ा , उस वक्त किराया रु 15/- था। शिकारा मालिक का व्यवहार वाकई काफी अच्छा था।
कश्मीर वस्तुतः ' पर्यटन उद्योग ' पर निर्भर है इसलिए वहाँ के लोग मूलतः शान्तिप्रिय हैं। यू एस ए से प्रभावित जो अंतर्राष्ट्रीय शक्तियाँ वहाँ अशांति के लिए जिम्मेदार हैं उनका उद्देश्य कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र - द्रास में 'ज़ोजिला ' दर्रा में दबे हुये ' प्लेटिनम ' पर है। प्लेटिनम से यूरेनियम प्राप्त किया जाता है जो परमाणु ऊर्जा का स्त्रोत है। वैसे भी प्लेटिनम धातु स्वर्ण से भी अधिक मूल्यवान है। इसीलिए पाकिस्तान के माध्यम से कश्मीर को हड़पने की कोशिश की गई थी। यदि संविधान में अनुच्छेद 370 का प्राविधान न होता तो विदेशी शक्तियाँ उस क्षेत्र में भूमि क्रय कर इस प्लेटिनम को ले जातीं। श्रीनगर से लेह जाने वाले मार्ग में सुरंग - टनेल बनाने का प्रस्ताव प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के पास आया था । यदि यह सुरंग बन जाती तो एक ही दिन में सफर तय हो जाता। अभी रात्रि विश्राम कर्गिल में करना पड़ता है क्योंकि पर्यटकों को रात्रि में सेना सफर नहीं करने देती है। कनाडाई फार्म नाम - मात्र के शुल्क और जर्मन फार्म बिलकुल मुफ्त में टनेल बनाने को तैयार थीं। शर्त यह थी कि, ज़ोजिला की सुरंग खुदाई में निकलने वाला मलवा वे ले जाएँगे जिससे प्लेटिनम हासिल किया जा सके । किन्तु इन्दिरा गांधी मालवा देने को तैयार नहीं थीं बल्कि पूरा खर्च देने को तैयार थीं। बिना मलवा हासिल किए वे फर्म्स काम करने को तैयार नहीं हुईं ।
जो लोग संविधान में संशोधन करके अनुच्छेद 370 को हटाना चाहते हैं वे वस्तुतः विदेशी शक्तियों को लाभ पहुंचाना चाहते हैं। देशहित को ध्यान में रखते हुये ही सरदार वल्लभ भाई पटेल और शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 का प्रविधान करवाया था वरना महाराजा हरी सिंह तो यू एस ए / ब्रिटेन की चाल में फंस कर अलग रहने का ऐलान कर ही चुके थे। उनको हटा कर उनके पुत्र युवराज कर्ण सिंह को सदर - ए - रियासत बनाया गया था।
विदेशी शक्तियों की चालों को विफल करने हेतु भारत और पाकिस्तान में मित्रता व शांति परमावश्यक है जिससे कश्मीर में भी शांति बहाल होकर यहाँ के पर्यटन उद्योग को विस्तार व जनता को खुशहाली मिल सके।
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश
1981 में एक रात मुझे भी डल झील में 'शिकारा ' में गुजरना पड़ा , उस वक्त किराया रु 15/- था। शिकारा मालिक का व्यवहार वाकई काफी अच्छा था।
कश्मीर वस्तुतः ' पर्यटन उद्योग ' पर निर्भर है इसलिए वहाँ के लोग मूलतः शान्तिप्रिय हैं। यू एस ए से प्रभावित जो अंतर्राष्ट्रीय शक्तियाँ वहाँ अशांति के लिए जिम्मेदार हैं उनका उद्देश्य कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र - द्रास में 'ज़ोजिला ' दर्रा में दबे हुये ' प्लेटिनम ' पर है। प्लेटिनम से यूरेनियम प्राप्त किया जाता है जो परमाणु ऊर्जा का स्त्रोत है। वैसे भी प्लेटिनम धातु स्वर्ण से भी अधिक मूल्यवान है। इसीलिए पाकिस्तान के माध्यम से कश्मीर को हड़पने की कोशिश की गई थी। यदि संविधान में अनुच्छेद 370 का प्राविधान न होता तो विदेशी शक्तियाँ उस क्षेत्र में भूमि क्रय कर इस प्लेटिनम को ले जातीं। श्रीनगर से लेह जाने वाले मार्ग में सुरंग - टनेल बनाने का प्रस्ताव प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के पास आया था । यदि यह सुरंग बन जाती तो एक ही दिन में सफर तय हो जाता। अभी रात्रि विश्राम कर्गिल में करना पड़ता है क्योंकि पर्यटकों को रात्रि में सेना सफर नहीं करने देती है। कनाडाई फार्म नाम - मात्र के शुल्क और जर्मन फार्म बिलकुल मुफ्त में टनेल बनाने को तैयार थीं। शर्त यह थी कि, ज़ोजिला की सुरंग खुदाई में निकलने वाला मलवा वे ले जाएँगे जिससे प्लेटिनम हासिल किया जा सके । किन्तु इन्दिरा गांधी मालवा देने को तैयार नहीं थीं बल्कि पूरा खर्च देने को तैयार थीं। बिना मलवा हासिल किए वे फर्म्स काम करने को तैयार नहीं हुईं ।
जो लोग संविधान में संशोधन करके अनुच्छेद 370 को हटाना चाहते हैं वे वस्तुतः विदेशी शक्तियों को लाभ पहुंचाना चाहते हैं। देशहित को ध्यान में रखते हुये ही सरदार वल्लभ भाई पटेल और शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 का प्रविधान करवाया था वरना महाराजा हरी सिंह तो यू एस ए / ब्रिटेन की चाल में फंस कर अलग रहने का ऐलान कर ही चुके थे। उनको हटा कर उनके पुत्र युवराज कर्ण सिंह को सदर - ए - रियासत बनाया गया था।
विदेशी शक्तियों की चालों को विफल करने हेतु भारत और पाकिस्तान में मित्रता व शांति परमावश्यक है जिससे कश्मीर में भी शांति बहाल होकर यहाँ के पर्यटन उद्योग को विस्तार व जनता को खुशहाली मिल सके।
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश
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