Thursday, 26 July 2018

भाजपा - संघ - विपक्ष और लोकसभा चुनाव ------ विजय राजबली माथुर

*ये दोनों  लेखक महोदय जनता को दिग्भ्रमित कर रहे हैं  वे भाजपा को पुन : सत्तासीन  देखना चाहते हैं। 
** वास्तविकता तो यह है कि , राहुल कांग्रेस जो  इन्दिरा जी के समय 1980 से ही संघ के निकट रही है अपने खुद के दम  पर पूर्ण बहुमत लाने की स्थिति में नहीं है इसीलिए  पी चिदंबरम ने सुझाव दिया है कि , जहां जो क्षेत्रीय दल प्रभावी है उसे आगे रख कर कांग्रेस उसे  समर्थन दे और लोकसभा में भाजपा को बहुमत न मिलने दे। इस दिशा में चर्चायेँ  चल भी रही हैं। 
***कुछ विद्वान वास्तविकता से आँखें मूँद कर दिवा - स्वप्न लोक में विचरण करते हुये जनता को उल्टे उस्तरे से मूढ़ने का प्रयास कर रहे हैं। परंतु वैसा होगा नहीं और जनता जन - विरोधी मोदी सरकार को आगामी चुनावों में उखाड़ फेंकेगी।
**** विपक्ष को यह देखना होगा कि सिर्फ भाजपा को हराने से देश का भला नहीं हो सकता उनको संघ को परास्त करने हेतु बुद्धि - चातुर्य संजोना होगा तभी देश का भला कर पाएंगे। राहुल कांग्रेस को भी संघ के चंगुल से निकालना विपक्ष का लक्ष्य होना चाहिए।


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(आ  ):: 

(ब  ) : : 


ये दोनों  लेखक महोदय जनता को दिग्भ्रमित कर रहे हैं  वे भाजपा को पुन : सत्तासीन  देखना चाहते हैं। ' (ब  )' के लेखक इसलिए चिंतित हैं कि , संघ के कार्यकर्ता मोदी - शाह के नेतृत्व वाली भाजपा से असंतुष्ट हैं। लेकिन उनको उम्मीद है कि उनके पास मोदी को चुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। 
शायद इनको यह याद नहीं रहा कि, 1980 में इन्दिरा जी व 1985 में राजीव जी की कांग्रेस को संघ ने वोट देकर भारी बहुमत से जिताया और भाजपा को हराया था। इसी प्रकार दिल्ली में AAP को जिताया व BJP को हराया था। 
वस्तुतः संघ भाजपा पर नहीं भाजपा संघ पर निर्भर है। जबकि संघ अपना दायरा बढ़ाने के लिए दूसरे दलों में भी घुसपैठ करता जा रहा है। उसका लक्ष्य सत्ता और विपक्ष दोनों को अपनी मुट्ठी में रखना है। 
मोदी - शाह ने संघ को ही अपनी मुट्ठी में समेटना चाहा जिस कारण संघ ने अपने कार्यकर्ताओं के जरिये उनको संदेश दिलवा दिया है। यदि भाजपा को बहुमत मिलता है तब इस जोड़ी को हटाया नहीं जा सकेगा इसलिए संघ आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा को शिकस्त दिलवाएगा। विपक्ष को यह भ्रम रहेगा कि ऐसा उनकी एकता से संभव हुआ है जबकि संघ और मजबूत होता जाएगा। पूर्व राष्ट्रपति महोदय को रणनीति के तहत ही नागपुर बुलाया गया था बिलावजह नहीं। 
'(आ  )' के लेखक   की चिंता यह है कि, वह कांग्रेस व विपक्षी दलों को अक्षम समझ रहे हैं।  दोनों लेख जनता के मध्य भ्रम फैलाने का काम करने वाले हैं। 
वास्तविकता तो यह है कि , राहुल कांग्रेस जो  इन्दिरा जी के समय 1980 से ही संघ के निकट रही है अपने खुद के दम  पर पूर्ण बहुमत लाने की स्थिति में नहीं है इसीलिए  पी चिदंबरम ने सुझाव दिया है कि , जहां जो क्षेत्रीय दल प्रभावी है उसे आगे रख कर कांग्रेस उसे  समर्थन दे और लोकसभा में भाजपा को बहुमत न मिलने दे। इस दिशा में चर्चायेँ  चल भी रही हैं। 

2014 में भाजपा के बहुमत में कांग्रेस से गए सौ से अधिक सांसदों का योगदान था यदि वे वापिस लौट लें तो भाजपा वैसे भी बहुमत नहीं प्राप्त कर सकती है। इस दिशा में भी संजय गांधी का परिवार मददगार हो सकता है । कुछ विद्वान वास्तविकता से आँखें मूँद कर दिवा - स्वप्न लोक में विचरण करते हुये जनता को उल्टे उस्तरे से मूढ़ने का प्रयास कर रहे हैं। परंतु वैसा होगा नहीं और जनता जन - विरोधी मोदी सरकार को आगामी चुनावों में उखाड़ फेंकेगी। 
विपक्ष को यह देखना होगा कि सिर्फ भाजपा को हराने से देश का भला नहीं हो सकता उनको संघ को परास्त करने हेतु बुद्धि - चातुर्य संजोना होगा तभी देश का भला कर पाएंगे। राहुल कांग्रेस को भी संघ के चंगुल से निकालना विपक्ष का लक्ष्य होना चाहिए। 

संकलन-विजय राजबली माथुर

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