Thursday, 29 November 2018
Sunday, 25 November 2018
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Wednesday, 21 November 2018
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Thursday, 15 November 2018
Friday, 9 November 2018
दबाव या आत्मघाती कदम ?
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आज 9 नवंबर को RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव का जन्मदिन है। तेजस्वी के जन्मदिन पर उनके रूठे बड़े भाई तेजप्रताप यादव ने फोन कर उन्हें जन्मदिन पर बधाई दी है। तेजप्रताप ने मिडिया से बातचीत में कहा कि अगर परिवार के लोग मेरी बात मान लेते हैं तो मैं घर वापस आने के लिए तैयार हूं, पर इस से पहले विपिन, नागमणि और ओमप्रकाश को घर से दूर करना होगा।
उन्होंने कहा कि ये सब मेरे दोस्तों के साथ मारपीट करते हैं और घर में भी लड़वाने का काम करते हैं. जब तक ये लोग घर में रहेंगे तब तक मैं घर नहीं लौटूंगा।तेजप्रताप ने अपने माता-पिता को लेकर कहा कि उनके चरणों में मेरा सम्पूर्ण तीर्थ है पर उन्हें भी मेरी बात समझनी होगी। मेरे माता-पिता मेरे साथ हो रहे दुर्व्यवहार को जानते हैं पर फिर भी मेरा साथ नहीं दे रहे हैं। उनको मेरी बात समझनी चाहिए और मेरा साथ देना चाहिए।
पटना अबतक नहीं पहुंचे तेजप्रताप, वृंदावन में की गोवर्धन पूजा
तेजस्वी के जन्मदिन पर भावुक हो तेजप्रताप ने कहा कि वो मेरा अर्जुन है और मैं कृष्ण के रूप में हमेशा उसकी रक्षा करूंगा। छोटे भाई के प्रति अपने प्रेम का इजहार करते हुए तेजप्रताप ने कहा कि तेजस्वी पर कोई मुसीबत आने से पहले उसे मुझसे होकर गुजरना पड़ेगा।
तेजप्रताप का तेजस्वी दिल्ली में कर रहे हैं इंतजार
एक बार फिर तेजप्रताप ने साफ कह दिया था कि वह ऐश्वर्या से तलाक लेने का अपना फैसला नहीं बदलेंगे। उनका और ऐश्वर्या का कोई मेल नहीं हैं। ऐश्वर्या अभी सिर्फ मीठी मीठी बातें कर रही हैं. अब वे किसी भी कीमत पर ऐश्वर्या के साथ नहीं रहेंगे।
तेजप्रताप के फैसले से लालू की नींद उड़ी, चेहरे पर दिख रहा तनाव
https://www.livehindustan.com/bihar/story-tej-pratap-wishes-to-brother-tejaswi-on-phone-and-says-i-will-come-home-on-this-demand-2258766.html
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश
आज 9 नवंबर को RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव का जन्मदिन है। तेजस्वी के जन्मदिन पर उनके रूठे बड़े भाई तेजप्रताप यादव ने फोन कर उन्हें जन्मदिन पर बधाई दी है। तेजप्रताप ने मिडिया से बातचीत में कहा कि अगर परिवार के लोग मेरी बात मान लेते हैं तो मैं घर वापस आने के लिए तैयार हूं, पर इस से पहले विपिन, नागमणि और ओमप्रकाश को घर से दूर करना होगा।
उन्होंने कहा कि ये सब मेरे दोस्तों के साथ मारपीट करते हैं और घर में भी लड़वाने का काम करते हैं. जब तक ये लोग घर में रहेंगे तब तक मैं घर नहीं लौटूंगा।तेजप्रताप ने अपने माता-पिता को लेकर कहा कि उनके चरणों में मेरा सम्पूर्ण तीर्थ है पर उन्हें भी मेरी बात समझनी होगी। मेरे माता-पिता मेरे साथ हो रहे दुर्व्यवहार को जानते हैं पर फिर भी मेरा साथ नहीं दे रहे हैं। उनको मेरी बात समझनी चाहिए और मेरा साथ देना चाहिए।
पटना अबतक नहीं पहुंचे तेजप्रताप, वृंदावन में की गोवर्धन पूजा
तेजस्वी के जन्मदिन पर भावुक हो तेजप्रताप ने कहा कि वो मेरा अर्जुन है और मैं कृष्ण के रूप में हमेशा उसकी रक्षा करूंगा। छोटे भाई के प्रति अपने प्रेम का इजहार करते हुए तेजप्रताप ने कहा कि तेजस्वी पर कोई मुसीबत आने से पहले उसे मुझसे होकर गुजरना पड़ेगा।
तेजप्रताप का तेजस्वी दिल्ली में कर रहे हैं इंतजार
एक बार फिर तेजप्रताप ने साफ कह दिया था कि वह ऐश्वर्या से तलाक लेने का अपना फैसला नहीं बदलेंगे। उनका और ऐश्वर्या का कोई मेल नहीं हैं। ऐश्वर्या अभी सिर्फ मीठी मीठी बातें कर रही हैं. अब वे किसी भी कीमत पर ऐश्वर्या के साथ नहीं रहेंगे।
तेजप्रताप के फैसले से लालू की नींद उड़ी, चेहरे पर दिख रहा तनाव
https://www.livehindustan.com/bihar/story-tej-pratap-wishes-to-brother-tejaswi-on-phone-and-says-i-will-come-home-on-this-demand-2258766.html
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश
Monday, 5 November 2018
Saturday, 3 November 2018
बेटी का कन्यादान क्यों ? ------ एकता जोशी
* एक समय ऐसा था कि ढोंग और पाखंड को बढ़ावा देने के लिए बहुत से लोग युवा अवस्था में ही सन्यासी बनकर मंदिरों में चले जाते थे लेकिन युवावस्था में होने के कारण अपनी हवस पर काबू नहीं कर पाते थे तब अपनी हवस को मिटाने के लिए कन्यादान का षड्यंत्र रचा गया था।
** जब उन देवदासियों की कोख से पुजारियों की नाजायज औलाद पैदा होती थी तो बड़ा होने पर उन्हें हरि की औलाद अथवा हरिजन कहा जाता था।
*** बाद में उन्हें वैश्या बनाकर कोठों पर भेज दिया जाता था और उनसे पैदा हुए बच्चों को दलाल बनाकर कोठों की देखरख करने की जिम्मेदारी दे दी जाती थी।
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** जब उन देवदासियों की कोख से पुजारियों की नाजायज औलाद पैदा होती थी तो बड़ा होने पर उन्हें हरि की औलाद अथवा हरिजन कहा जाता था।
*** बाद में उन्हें वैश्या बनाकर कोठों पर भेज दिया जाता था और उनसे पैदा हुए बच्चों को दलाल बनाकर कोठों की देखरख करने की जिम्मेदारी दे दी जाती थी।
**** सच्चाई को समझे बिना आजतक भी कन्यादान की परंपरा चली आ रही है जो कि उचित नहीं है।
एकता जोशी
02-11-2018
जब बेटी-बेटा एक समान हैं तो फिर बेटी का कन्यादान क्यों ?
मनुष्य जीवन में वैसे तो दान का बहुत बड़ा महत्व है चाहे किसी भी धर्म को मानने वाले लोग हों वे अपने अपने स्तर पर दान करते हैं इस सम्बंध में इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मोहम्मद साहब ने भी कहा था कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आय का ढाई प्रतिशत भाग जरूर दान में देना चाहिए इसी प्रकार बौद्ध धम्म के संस्थापक तथागत बुद्ध ने भी गृहस्थों से दान करने की बात कही थी तथा बाबा साहेब अंबेडकर का भी सन्देश था कि अपनी आय का पांच प्रतिशत भाग समाज हित में दान जरूर करना चाहिए लेकिन किसी भी महापुरुष ने यह नहीं कहा था कि अपनी बहन या बेटी को दान करना चाहिए।
स्वभाविक सी बात है कि दान करने के बाद उस पर हमारा किसी भी प्रकार का अधिकार नहीं रहता है मान लेते हैं कि हमने किसी व्यक्ति को दान में वस्त्र भेंट कर दिए अब दान करने के बाद उन वस्त्रों पर हमारा कोई अधिकार नहीं रहता है चाहे वह व्यक्ति उन वस्त्रों को स्वयं पहने या अन्य किसी को पहनने को दे अथवा बिक्री करे।
हमारी बहन अथवा बेटी को भी जब हम दान कर देते हैं तो उसे दूसरे को सौंपने या बिक्री करने पर क्या हम चुप रहेंगे ?
कोई समय था जब बेटे और बेटी में अंतर किया जाता था लेकिन आजकल बेटी और बेटे को समान समझा जाता है तो फिर बेटी का कन्यादान क्यों ?
तथागत बुद्ध के उपदेश को बाबा साहेब अंबेडकर ने अपने ग्रन्थ बुद्ध और उनका धम्म में लिखा है कि किसी बात को केवल इसलिए मत मानो कि वह परम्परा से चली आ रही है या बहुत से लोग उसे मानते हैं या फिर धर्म ग्रन्थों में लिखी हुई है अथवा किसी महापुरुष की कही हुई है।
आप उसे तभी मानो की वह आपकी बुद्धि विवेक एवं अनुभव पर खरी उतरती हो।
अब इस कन्यादान की परंपरा के इतिहास पर भी नजर डालना जरूरी है कि एक समय ऐसा था कि ढोंग और पाखंड को बढ़ावा देने के लिए बहुत से लोग युवा अवस्था में ही सन्यासी बनकर मंदिरों में चले जाते थे लेकिन युवावस्था में होने के कारण अपनी हवस पर काबू नहीं कर पाते थे तब अपनी हवस को मिटाने के लिए कन्यादान का षड्यंत्र रचा गया था और जनता को बेवकूफ बनाने के लिए कहा था कि मंदिरों में भगवान की सेवा ठीक से नहीं हो पा रही है इसलिए भगवान की सेवा के लिए देवदासी के रूप में अपनी कन्याओं को दान करोगे तो भगवान तुम्हारी मुरादें पूरी करेंगे और जो भी मन्नत मांगने पर वह अवश्य पूरी होगी साथ में उस कन्या की परवरिश के लिए आसपड़ोस एवं रिश्तेदारों द्वारा वस्त्र या नकद राशि दान में भी देनी चाहिए।
उस वक्त अशिक्षित लोग हुआ करते थे इसलिए इन पाखंडियों के षड्यंत्र को समझ नहीं सके और उनकी बात मानकर भगवान की सेवा में मंदिरों में कन्याओं का दान करने लगे साथ में उसकी परवरिश के लिए वस्त्र और नकद राशि रिश्तेदारों के द्वारा दान में दी जाने लगी।
जब दान में दी गई कन्याओं की उम्र 16 वर्ष के करीब होने को आती तो उनके साथ वे पाखंडी पुजारी लोग दुराचार करके अपनी हवस मिटाते थे।
जब उन देवदासियों की कोख से पुजारियों की नाजायज औलाद पैदा होती थी तो बड़ा होने पर उन्हें हरि की औलाद अथवा हरिजन कहा जाता था। बाद में यही शब्द गांधीजी ने SC समाज को देना उचित समझा।
मंदिरों में देवदासियों का बाहुल्य हो जाने पर बाद में उन्हें वैश्या बनाकर कोठों पर भेज दिया जाता था और उनसे पैदा हुए बच्चों को दलाल बनाकर कोठों की देखरख करने की जिम्मेदारी दे दी जाती थी।
सच्चाई को समझे बिना आजतक भी कन्यादान की परंपरा चली आ रही है जो कि उचित नहीं है।समझने वाली बात यह है कि जब बेटी-बेटा एक समान हैं तो फिर बेटी का कन्या दान क्यों ?
इस सच्चाई को समझने के बाद प्रत्येक जागरूक व्यक्ति को संकल्प करना चाहिए कि भविष्य में कभी भी कन्यादान नहीं करूंगा।
#आपकी एकता
एकता जोशी |
Thursday, 1 November 2018
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