Saturday, 5 January 2013

चरित्र सुधार पहली ज़रूरत है---विजय राजबली माथुर

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01/जनवरी-2012

·फेसबुक पर दिये स्टेटस और उस पर प्राप्त विद्व विचार प्रस्तुत हैं-
(अ)इस वक्त तक के समस्त दोषियों को सख्त-से-सख्त सजा तो दी ही जाये लेकिन स्थाई समाधान हेतु पोंगापंथी-ढ़ोंगी-आडम्बरकारी  पौराणिक प्रवचकों को भी सख्त से सख्त सजा देने का प्राविधान किया जाये जो समाज मे 'भ्रामक दुष्प्रचार' करते हैं कि,'योगीराज श्रीकृष्ण'रास नचाते थे और गोपियों के वस्त्र लेकर पेड़ पर चढ़ गए थे उनको निर्वस्त्र यमुना से निकलने पर बाध्य किया था या कि 'राम' ने 'लक्ष्मण' के पास और लक्ष्मण ने राम के पास 'स्वर्ण नखा--सूप नखा को नचाया था। गौतम मुनि की पत्नी अहिल्या से 'इन्द्र' ने बलात्कार किया था और वह शीला बन गई। जब तक ऐसी खुराफ़ातों पर सजा नहीं होगी कोई भी सख्त से सख्त कानून व्यर्थ सिद्ध होगा।
  • Danda Lakhnavi एक ओर दोषियों को सजा होगी....दूसरी ओर भ्रामक प्रचार करने वाले उपदेशक उसको बढ़ावा देते रहेंगे ....इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगना चाहिए .

    (ब)आज केवल कठोर कानून बनाने का शोर तो गूंज रहा है कहीं कोई कठोर 'आत्मानुशासन' लागू करने की चर्चा नहीं है।उपरोक्त स्कैन मे व्यक्त ये विचार स्वामी विवेकानंद के 'रामकृष्ण मिशन' द्वारा जारी  किए गए हैं जिनमे स्वामी दयानन्द के कठोर आत्मानुशासन की झलक मिलती है। आज ऐसे ही विचारों को अपनाने की आवश्यकता है जो समाज मे शांति-व्यवस्था स्थापित करने मे कारगर होंगे।


    • Danda Lakhnavi हर नारी के स्वाभिमान और सम्मान की रक्षा के लिए .... हर जरूरी कदम अवश्य उठाए जाने चाहिए| मात्र भावावेश में कठोर क़ानून बना देने भर से कुछ लाभ होने से रहा .... यदि आम जनता का चारित्रिक स्तर ऊँचा नहीं है .... तो कठोर कानूनों दुरुपयोग भी खूब होता है ...

      Ajit Pandey Swami ji daiwiye awtar the,unki wani amrit aur unke amrit wachan ka anusarn karna shresth hain .Mai samjhta hun atmanusasan se byakti ko sahi disha milegi aur byakti se desh ko.

 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

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