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2013-14 का जो बजट लोकसभा मे पेश हुआ है और उसके जो ब्यौरे हिंदुस्तान,लखनऊ के 02 मार्च के अंक मे छपे हैं उनके अनुसार सार्वजनिक चिकित्सा का खर्च कम हुआ है और जनता को दी जाने वाली सहायता मे कटौती हुई है। सोने और हीरों के आयात पर टैक्स मे छूट के चलते वर्ष 2012-13 मे सरकारी खजाने को 61035 करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है। यह कुल राजस्व हानि का 20 .5 प्रतिशत है जो सर्वाधिक है। पिछले वर्ष भी इस मद मे 65975 करोड़ रुपए की राजस्व हानि हुई थी।
सोने और हीरे के आयात पर होने वाली हानि पेट्रोलियम उत्पाद तथा कच्चे तेल चलते होने वाली राजस्व हानि से अधिक है। कच्चे तेल के आयात से वित्त वर्ष 2012-13 मे 57752 करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान।
श्री ए के शिव कुमार,सदस्य-राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का कहना है कि,"अगर बढ़ती मंहगाई के हिसाब से आंकलन करें,तो इस बजट मे स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए जो प्रावधान किया गया है,वह पिछले साल से भी कम है"। वह कहते हैं कि हमारी स्वास्थ्य सेवा की जितनी भी खामियान हैं,उनका मूल कारण यही है कि स्वास्थ्य क्षेत्र पर सार्वजनिक खर्च बहुत ही कम है। उनका कहना है कि,"हमे यह नहीं भूलना चाहिए कि स्वास्थ्य रक्षा सार्वजनिक हित से जुड़ा मसला है"। ......"प्राथमिक स्वास्थ्य की अनदेखी मंहगी पड़ सकती है"।
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
Hindustan-lucknow-02/03/2013 |
2013-14 का जो बजट लोकसभा मे पेश हुआ है और उसके जो ब्यौरे हिंदुस्तान,लखनऊ के 02 मार्च के अंक मे छपे हैं उनके अनुसार सार्वजनिक चिकित्सा का खर्च कम हुआ है और जनता को दी जाने वाली सहायता मे कटौती हुई है। सोने और हीरों के आयात पर टैक्स मे छूट के चलते वर्ष 2012-13 मे सरकारी खजाने को 61035 करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है। यह कुल राजस्व हानि का 20 .5 प्रतिशत है जो सर्वाधिक है। पिछले वर्ष भी इस मद मे 65975 करोड़ रुपए की राजस्व हानि हुई थी।
सोने और हीरे के आयात पर होने वाली हानि पेट्रोलियम उत्पाद तथा कच्चे तेल चलते होने वाली राजस्व हानि से अधिक है। कच्चे तेल के आयात से वित्त वर्ष 2012-13 मे 57752 करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान।
श्री ए के शिव कुमार,सदस्य-राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का कहना है कि,"अगर बढ़ती मंहगाई के हिसाब से आंकलन करें,तो इस बजट मे स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए जो प्रावधान किया गया है,वह पिछले साल से भी कम है"। वह कहते हैं कि हमारी स्वास्थ्य सेवा की जितनी भी खामियान हैं,उनका मूल कारण यही है कि स्वास्थ्य क्षेत्र पर सार्वजनिक खर्च बहुत ही कम है। उनका कहना है कि,"हमे यह नहीं भूलना चाहिए कि स्वास्थ्य रक्षा सार्वजनिक हित से जुड़ा मसला है"। ......"प्राथमिक स्वास्थ्य की अनदेखी मंहगी पड़ सकती है"।
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
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