Thursday, 23 May 2013

सौदेबाजी के नौ साल ---विजय राजबली माथुर

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उपरोक्त दोनों स्कैन कापियों का गंभीरता से अध्यन करने के बाद सहज निष्कर्ष यह निकलता है कि,सत्तारूढ़ गठबंधन की मुखिया पार्टी कांग्रेस आई और मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा दोनों ही एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों दल कारपोरेट लुटेरों के संरक्षक हैं दोनों के एजेंडे पर जनता का कोई महत्व नहीं है। दोनों मिल कर 'संसदीय लोकतन्त्र' को नष्ट कर रहे हैं। दोनों एक-दूसरे को चोर-चोर कह कर मूलभूत जन-समस्याओं से ध्यान बंटाने का खेल,खेल रहे हैं। अतः जैसा कि ऊपर वाले स्कैन में स्वीकार किया गया है कि वामपंथी दल ही 'संप्रग-1'सरकार को जन-विरोधी कदम उठाने से रोके हुये थे अब 'संप्रग-2' में वैसी रोक न होने से कांग्रेस/भाजपा की जन-विरोधी नीतियाँ कामयाब हो रही हैं। 

अब यह जनता का दायित्व है कि वह आगामी संसदीय चुनावों में  वामपंथी दलों को अग्रिम मोर्चे पर आगे लाये और 'वामपंथी नेतृत्व में 'गैर भाजपा/गैर कांग्रेस' सरकार का गठन करवाए। 

 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

1 comment:

  1. फेसबुक ग्रुप 'जनहित' में प्राप्त टिप्पणी-
    Danda Lakhnavi: सटीक विश्लेषण ...

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