Sunday, 29 November 2015

बैंक के नियमों के विरुद्ध जनमत तैयार हो वर्ना हम यूं ही अन्याय का शिकार होते रहेंगे ------ प्रकाश सिन्हा

** डिजिटलाईज़ेशन के इस युग में बैंक इन्टरनेट, ATM और मोबाईल  फोन के ज़रिए कार्य करना चाह रहे हैं। अनावश्यक sms भेजते रहते हैं और उसका चार्ज खाताधारक से काट लेते हैं। इन्टरनेट, ATM से लेन-देन पर भी बैंक द्वारा शुल्क काट लिया जाता है और इन शुल्कों पर सर्विस टैक्स भी जोड़ा जाता है। छह माह से अधिक समय तक कोई लेन-देन न होने पर एकाउंट ठप कर दिया जाता है। फिर से वेरिफिकेशन करने को कहा जाता है। आसमान से भी ऊपर उड़ रही मंहगाई में साधारण इंसान कहाँ से और कैसे बचत करे जो बैंक में जमा किया जा सके। जब नई बचत न हो रही हो तब क्या पुरानी किसी बचत को यों ही निकाल कर उड़ाया जा सकता है। अतः छह माह की अनावश्यक पाबंदी, sms शुल्क व ATM/इन्टरनेट पर लगने  वाला चार्ज बैंकों द्वारा समाप्त कराने हेतु साधारण जनता को एकजुट होकर प्रतिवाद करना चाहिए। सरकार बैंकों को केवल धनवानों तक ही सीमित रखना चाहती इसलिए अनावश्यक बोझ जनता पर लाद दिया गया है जबकि पहले चेकबुक, स्टेशनरी आदि सब बैंको की ओर से निशुल्क प्रदान किया जाता था तब भी उनको लाभ रहता था।

यदि प्रतिवाद न किया गया तो साधारण जन का यों ही शोषण होता रहेगा।
Vijai RajBali Mathur shared Prakash Sinha's post.


बैंक आजकल बेमतलब के sms भेजते रहते हैं और फिर sms चार्ज भी काट लेते हैं। छह माह लेनदेन न  होने पर एकाउंट बंद का देते हैं। इतनी मंहगाई में बचत होती नहीं है , जमा कैसे हो और जब जमा नया नहीं हो रहा तब पुराना निकाला क्यों जाये? लेकिन ट्रांज्कशन न होने पर एकाउंट बंद करना ये मुद्दे भी ज्यादती के हैं।------

Prakash Sinha
5 hrsEdited
मेरे मित्रों, अगर कोई चेक बैंक में पर्याप्त रकम न होने की वजह से बाउन्स हो जाता है तो बैंक दोनों पक्षों से फाइन की रकम वसूल करता है । अब अगर चेक पानेवाले से फाइन लिया जाता है तो उसका कसूर क्या है ? एक तो उसे अपने पैसे नहीं मिले और ऊपर से फाइन की रकम भी भरनी पड़ी । क्या यह बैंक का न्यायपूर्ण नियम है ? क्या ऐसे चेक जारी करनेवाले से ही सारी रकम नहीं वसूलनी चाहिए ? हम इन बातों को छोटी बात समझकर नजरअंदाज कर देते हैं । पर क्या आपको भी लगता है कि ऐसी बातें नजरअंदाज कर देनी चाहिए?


Comments
Prakash Sinha बैंक के खिलाफ क्या कोई आंदोलन चलाना चाहिए या हमें पहले जनमत तैयार करना चाहिए?दरअसल हम छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज कर देते हैं । पर बात कोई भी हो, छोटी नहीं होती । आम जनता का जागना जरूरी है वर्ना हम यूं ही छोटी-छोटी बातों की वजह से अन्याय का शिकार होते रहेंगे ।
LikeReply4 hrsEdited
Prakash Sinha विजय जी, आप जो कह रहे हैं, मैं खुद उसका शिकार हो चुका हूं । ट्रांजेक्शन न होने की वजह से मेरा बैंक एकाउंट बंद हो चुका था । जब उसे रि-ओपेन करवाया तो पता चला मेरा चेक बाउंस हो चुका है और दंडस्वरूप 91/- भरने पड़े । अब बताइए, अगर चेक बाउंस हो गया तो इसमें मेरी क्या गलती थी ? एक तो मुझे रकम नहीं मिली और ऊपर से दंड भी भरना पड़ा । कोई भी नियम अगर अन्यायपूर्ण हो तो हमें उसके विरुद्ध कोई आवाज नहीं उठाना चाहिए? मैं चेक जारी करनेवाले के खिलाफ कार्रवाई कर सकता था , पर मैं चाहता हूं कि सबसे पहले बैंक के नियमों के विरुद्ध जनमत तैयार हो । इसलिए मैंने फेसबुक जैसे सोशल साइट का सहारा लिया ताकि कोई जनमत तैयार हो सके ।सभी लोग बैंक के खिलाफ अपनी शिकायतों को यहां शेयर कर सकें ।
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Vijai RajBali Mathur जी हाँ आपका प्रयास सही है इसीलिए मैंने और बातें जोड़ दी थीं। सबको ही इस अभियान का साथ देना चाहिए।
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Prakash Sinha जी, धन्यवाद । हम रोज-रोज किसी-न-किसी गलत बातों का शिकार होते रहते हैं, लेकिन चुप रहते हैं । यह सहिष्णुता नहीं बल्कि कायरता है।जो व्यक्ति जहां हैं वहीं से सक्रियतापूर्वक अपनी आवाज उठा सकता है । अगर हर नागरिक जुझारू हो तो बहुत सारी गलत बातें निचले स्तर पर ही खत्म हो सकती हैं । समाज के प्रति हमारी प्रतिबद्धता और सक्रियता लोकतंत्र के लिए बहुत जरूरी हैं ।

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