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क्या ऐसा होगा?
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अयोध्या के बाबरी प्रकरण के बाद उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन की सरकार का अस्तित्व आया था। काशीराम जी को अपने गृह जनपद इटावा से मुलायम सिंह जी ने सांसद तक बनवाया था। यदि यह गठबंधन कायम रहता तो सदा-सर्वदा के लिए उत्तर प्रदेश से भाजपा का अस्तित्व समाप्त हो जाता। अतः संघप्रिय गौतम के माध्यम से मायावती जी को मुलायम सिंह जी के विरुद्ध करके वह सरकार गिरा दी गई। भाजपा के समर्थन से कई बार मायावती जी मुख्यमंत्री बनीं किन्तु उनकी सरकार भाजपा द्वारा ही हर बार गिरा दी गई। इसके बावजूद गुजरात नर-संहार के बाद 2002 में मायावती जी ने अटल व मोदी के साथ भाजपा का वहाँ प्रचार किया था।
2014 के लोकसभा चुनावों से काफी पहले व्हाईट हाउस में बराक हुसैन ओबामा द्वारा एक अंतर्राष्ट्रीय गोपनीय बैठक की गई थी जिसमें भारत से भी कई दलित कहे जाने वाले चिंतक शामिल हुये थे जिनमें से एक लखनऊ के विद्वान भी थे। वहीं पर मुस्लिमों के विरुद्ध विश्व व्यापी मुहिम चलाये जाने और उसमें प्रत्येक देश के दलित माने जाने वाले लोगों का सहयोग लेने की रूप रेखा तय की गई थी। उसी अनुसार 2014 के लोकसभा चुनावों में समस्त दलित कहे जाने वाले वर्ग का वोट बसपा के बजाए भाजपा को गया था और बसपा का एक भी सांसद न जीत सका था। उसी मुहिम का परिणाम है बसपा से हाल ही में हुई टूटन। मायावती जी को उनके खास लोगों ने उसी अंदाज़ में उनको झटका दिया है जिस अंदाज़ में 1995 में उन्होने खुद मुलायम सिंह जी को झटका दिया था तब उनको भी भाजपा का समर्थन हासिल था जिस प्रकार अब उनको झटका देने वालों को हासिल हुआ है।
2017 के आसन्न चुनावों में यदि बसपा-सपा गठबंधन बना कर चुनाव लड़ा जाये तो अब भी भाजपा के मंसूबों को ध्वस्त किया जा सकता है वरना अभी तो भाजपा बसपा को ध्वस्त करने के लिए गोपनीय समर्थन देकर सपा सरकार फिर से बनवा देगी लेकिन उसके बाद सपा को उसी प्रकार तोड़ेगी जिस प्रकार अभी बसपा को तोड़ा है। मायावती जी व मुलायम सिंह जी दूरदर्शिता का परिचय दें तो दीर्घकालीन मजबूत गठबंधन बना कर न केवल उत्तर प्रदेश में वरन सम्पूर्ण देश में भाजपा को परास्त कर सकते हैं। लेकिन क्या ऐसा होगा?
https://www.facebook.com/vijai.mathur/posts/1137504919644816
संकलन-विजय माथुर,
फौर्मैटिंग-यशवन्त यश
क्या ऐसा होगा?
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अयोध्या के बाबरी प्रकरण के बाद उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन की सरकार का अस्तित्व आया था। काशीराम जी को अपने गृह जनपद इटावा से मुलायम सिंह जी ने सांसद तक बनवाया था। यदि यह गठबंधन कायम रहता तो सदा-सर्वदा के लिए उत्तर प्रदेश से भाजपा का अस्तित्व समाप्त हो जाता। अतः संघप्रिय गौतम के माध्यम से मायावती जी को मुलायम सिंह जी के विरुद्ध करके वह सरकार गिरा दी गई। भाजपा के समर्थन से कई बार मायावती जी मुख्यमंत्री बनीं किन्तु उनकी सरकार भाजपा द्वारा ही हर बार गिरा दी गई। इसके बावजूद गुजरात नर-संहार के बाद 2002 में मायावती जी ने अटल व मोदी के साथ भाजपा का वहाँ प्रचार किया था।
2014 के लोकसभा चुनावों से काफी पहले व्हाईट हाउस में बराक हुसैन ओबामा द्वारा एक अंतर्राष्ट्रीय गोपनीय बैठक की गई थी जिसमें भारत से भी कई दलित कहे जाने वाले चिंतक शामिल हुये थे जिनमें से एक लखनऊ के विद्वान भी थे। वहीं पर मुस्लिमों के विरुद्ध विश्व व्यापी मुहिम चलाये जाने और उसमें प्रत्येक देश के दलित माने जाने वाले लोगों का सहयोग लेने की रूप रेखा तय की गई थी। उसी अनुसार 2014 के लोकसभा चुनावों में समस्त दलित कहे जाने वाले वर्ग का वोट बसपा के बजाए भाजपा को गया था और बसपा का एक भी सांसद न जीत सका था। उसी मुहिम का परिणाम है बसपा से हाल ही में हुई टूटन। मायावती जी को उनके खास लोगों ने उसी अंदाज़ में उनको झटका दिया है जिस अंदाज़ में 1995 में उन्होने खुद मुलायम सिंह जी को झटका दिया था तब उनको भी भाजपा का समर्थन हासिल था जिस प्रकार अब उनको झटका देने वालों को हासिल हुआ है।
2017 के आसन्न चुनावों में यदि बसपा-सपा गठबंधन बना कर चुनाव लड़ा जाये तो अब भी भाजपा के मंसूबों को ध्वस्त किया जा सकता है वरना अभी तो भाजपा बसपा को ध्वस्त करने के लिए गोपनीय समर्थन देकर सपा सरकार फिर से बनवा देगी लेकिन उसके बाद सपा को उसी प्रकार तोड़ेगी जिस प्रकार अभी बसपा को तोड़ा है। मायावती जी व मुलायम सिंह जी दूरदर्शिता का परिचय दें तो दीर्घकालीन मजबूत गठबंधन बना कर न केवल उत्तर प्रदेश में वरन सम्पूर्ण देश में भाजपा को परास्त कर सकते हैं। लेकिन क्या ऐसा होगा?
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