* मलिक साहब मेरठ कालेज, मेरठ के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे हैं । जिस वर्ष 1969 में मैंने वहाँ प्रवेश लिया उसी वर्ष उन्होने कालेज छोड़ा था किन्तु कालेज से संपर्क लगातार बनाए रखा था।
**इसी सभा में एक बहुत महत्वपूर्ण जानकारी भी सत्यपाल मलिक साहब द्वारा दी गई थी। उन्होने मशहूर शायर ' फिराक गोरखपुरी ' साहब के हवाले से बताया था कि , 1857 से तब तक जितने भी आंदोलन कानपुर - मेरठ के डायगनल से शुरू हुये हैं विफल रहे हैं। जबकि बलिया - आगरा के डायगनल से शुरू हुये सभी आंदोलन सफल रहे हैं।
*** राजनीतिशास्त्र के प्रोफेसर कैलाश चंद्र गुप्ता जी के अनुसार उस छात्र - संसद का अवलोकन करने के लिए उस समय के लोकसभा अध्यक्ष सरदार हुकुम सिंह ( जो बाद में राजस्थान के राज्यपाल बने थे ) भी आए थे और उन्होने सत्यपाल मलिक साहब की उनके द्वारा राजनारायन सिंह जी ( जिनहोने बाद में रायबरेली में इन्दिरा जी को परास्त किया था ) की गई भूमिका की भूरी - भूरी प्रशंसा की थी।
**** नेताजी सुभाष जयंती पर निरंतर 1975 तक मेरठ में रहते हुये मैंने उनको सुना और समझा है। अतः मैं अनुमान लगा सकता हूँ कि, वह अपने पूर्ववर्ती द्वारा लिए गए निर्णय को यूं ही नहीं रद्द कर देंगे इसके लिए तेजस्वी यादव को नीतीश सरकार को बिहार विधानसभा में पहले परास्त करना होगा तभी वह राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा आमंत्रित किए जा सकेंगे।
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* बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक साहब ने बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को आज दिनांक 18 मई 2018 को दिन के एक बजे मिलने का समय दिया है। पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने राज्यपाल महोदय से इसलिए मिलने का समय लिया है कि, वह उनके समक्ष बिहार में सबसे बड़ी पार्टी और गठबंधन के आधार पर सरकार बनाने का दावा पेश कर सकें। राज्यपाल महोदय ने तेजस्वी को मिलने का समय दिया है और उनकी पूरी बात भी सुनेंगें लेकिन चूंकि नीतीश सरकार के गठन का निर्णय उनके पूर्ववर्ती राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी साहब का है इसलिए उसे रद्द करने की कोई संभावना नहीं है। वह संभवतः तेजस्वी यादव से यही कहेंगें कि, विधानसभा पटल पर यदि नीतीश सरकार पराजित हो जाती है तब वह तेजस्वी यादव को सरकार गठन का निमंत्रण दे सकते हैं। * हालांकि त्रिपाठी साहब उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष व हाई कोर्ट के वकील भी रहे हैं और मलिक साहब भी पूर्व केन्द्रीयमन्त्री और सुप्रीम कोर्ट के वकील रहे हैं।
* मलिक साहब मेरठ कालेज, मेरठ के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे हैं । जिस वर्ष 1969 में मैंने वहाँ प्रवेश लिया उसी वर्ष उन्होने कालेज छोड़ा था किन्तु कालेज से संपर्क लगातार बनाए रखा था। उनसे संबन्धित खास खास तीन - चार अवसरों की बात का उल्लेख करना उनकी कार्य - प्रणाली को समझने के लिए आवश्यक है।
* जब मुख्यमंत्री चौधरी चरण सिंह जी द्वारा छात्र संघों की सदस्यता की अनिवार्यता समाप्त कर ऐच्छिक करने का आदेश जारी किया गया तब पूरे प्रदेश में छात्रों द्वारा सरकार के विरुद्ध संघर्ष छेड़ दिया गया था। मेरठ कालेज छात्रसंघ के निवर्तमान अध्यक्ष महावीर प्रसाद जैन ( जिनका संबंध इन्दिरा कांग्रेस से था ) और महासचिव विनोद गौड़ ( जिनका संबंध जनसंघ से था ) छात्रों की विरोध सभा में अपना समर्थन व आशीर्वाद देने आए पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सत्यपाल मलिक साहब ( जिनका संबंध संसोपा से था ) का जोरदार स्वागत किया था।
* इस सभा में मलिक साहब ने बहुत स्पष्ट कहा था कि, यद्यपि चौधरी चरण सिंह से उनके परिवार के बहुत घनिष्ठ संबंध हैं और उनके परिवार से चौधरी साहब की पार्टी को चंदा भी जाता है ( उनके परिवार की दौराला आदि में चीनी मिलें थीं ) किन्तु वह छात्रों के आंदोलन के साथ हैं और चौधरी साहब के इस निर्णय का पुरजोर विरोध करते हैं।
* इसी सभा में एक बहुत महत्वपूर्ण जानकारी भी सत्यपाल मलिक साहब द्वारा दी गई थी। उन्होने मशहूर शायर ' फिराक गोरखपुरी ' साहब के हवाले से बताया था कि , 1857 से तब तक जितने भी आंदोलन कानपुर - मेरठ के डायगनल से शुरू हुये हैं विफल रहे हैं। जबकि बलिया - आगरा के डायगनल से शुरू हुये सभी आंदोलन सफल रहे हैं। अतः छात्र - आंदोलन को सफल बनाने के लिए आगरा के छात्रों को शामिल कर उनका सहयोग लेने का सुझाव भी दिया और अपनी ओर से प्रयास का आश्वासन भी। अंततः वह सफल रहे ।
* जिस वर्ष सत्यपाल मलिक साहब ने मेरठ कालेज, मेरठ में प्रवेश लिया उस वर्ष वहाँ छात्रसंघ की ओर से एक छात्र - संसद का आयोजन किया गया था। राजनीतिशास्त्र के प्रोफेसर कैलाश चंद्र गुप्ता जी के अनुसार उस छात्र - संसद का अवलोकन करने के लिए उस समय के लोकसभा अध्यक्ष सरदार हुकुम सिंह ( जो बाद में राजस्थान के राज्यपाल बने थे ) भी आए थे और उन्होने सत्यपाल मलिक साहब की उनके द्वारा राजनारायन सिंह जी ( जिनहोने बाद में रायबरेली में इन्दिरा जी को परास्त किया था ) की गई भूमिका की भूरी - भूरी प्रशंसा की थी।
*जब पाकिस्तान द्वारा इंडियन एयर लाईन्स के विमान का अपहरण करके लाहौर में फूँक दिया गया था तब मेरठ कालेज से छात्रों व शिक्षकों का एक संयुक्त विरोधन - प्रदर्शन जलूस निकला था जिसका नेतृत्व संयुक्त रूप से प्राचार्य डॉ बी भट्टाचार्य व सत्यपाल मलिक साहब ने किया था।
*बांग्लादेश की निर्वासित सरकार को मान्यता देने हेतु पूरे देश में सभाएं व गोष्ठियाँ चल रही थीं उसी क्रम में समाजशास्त्र - परिषद द्वारा भी कालेज में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया था जिसमें मुझको छोड़ कर सभी छात्रों व शिक्षकों ने बांग्लादेश को मान्यता दिये जाने का समर्थन किया था । सिर्फ मैंने डॉ राममनोहर लोहिया की पुस्तक ' इतिहास चक्र ' के आधार पर विश्लेषण करते हुये कहा था कि, बांगलादेश भारत के लिए बफर स्टेट नहीं होगा इसलिए मान्यता न दी जाये ।
* सत्यपाल मलिक साहब के साथ मेरठ कालेज छात्रसंघ के उपाध्यक्ष रहे राजेन्द्र सिंह यादव ( जो बाद में वहीं सोशियोलाजी के अध्यापक बने ) ने मलिक साहब से मेरी बांगलादेश को मान्यता के विरोध की बात शिकायत के तौर पर कही थी। परंतु मलिक साहब ने मुझसे कहा था कि तुमने डॉ लोहिया की बात का गलत मतलब निकाला है लेकिन फिर भी मैं खुश हूँ कि, सबके विरोध की परवाह किए बगैर अपनी बात पूरी मजबूती से रखी। इस साहस को सदैव बनाए रखना।
* प्रतिवर्ष जीमखाना मैदान , मेरठ में 23 जनवरी को आजाद हिन्द संघ द्वारा आयोजित होने वाली जनसभा में सत्यपाल मलिक साहब को विशिष्ट रूप से आमंत्रित किया जाता था और अपने बेबाक वक्तव्यों से वह जनता को प्रभावित करने में सफल रहते थे। नेताजी सुभाष जयंती पर निरंतर 1975 तक मेरठ में रहते हुये मैंने उनको सुना और समझा है। अतः मैं अनुमान लगा सकता हूँ कि, वह अपने पूर्ववर्ती द्वारा लिए गए निर्णय को यूं ही नहीं रद्द कर देंगे इसके लिए तेजस्वी यादव को नीतीश सरकार को बिहार विधानसभा में पहले परास्त करना होगा तभी वह राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा आमंत्रित किए जा सकेंगे।
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश
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