Thursday, 18 October 2012

जीवित दुर्गा के दर्शन

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 पौराणिकों ने नारी को दोयम दर्जे का बना दिया है। विशेषकर 'भागवत' पुराण ने भारत का सर्वाधिक अनिष्ट किया है और कारपोरेट दलालों,ढोंगियों-पाखंडियों के द्वारा आज भागवत -पाठ को सनक की हद तक बढ़ावा दे रखा है। नवरात्र की अवधारणा एक वैदिक -विदुषी महिला के दृष्टिकोण से जानें---


 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

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