Monday, 24 December 2012

दवा,इलाज और भ्रम ---विजय राजबली माथुर

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http://www.livehindustan.com/news/editorial/subeditorial/article1-story-57-116-292305.html

आज के हिंदुस्तान मे प्रकाशित यह सम्पाद्कीय एक बहुत महत्वपूर्ण विचार को सामने लाता है कि,"चिकित्सा विज्ञान आज भी कई अर्द्ध सत्यों,भ्रमों,विश्वासों व अंध विश्वासों के सहारे चल रहा है।"

लगभग 25 वर्ष पूर्व एक होम्योपेथी  चिकित्सक डॉ डी मिश्रा से परिचय हुआ था। वह पहले पाईलेट आफ़ीसर थे और लंदन से नौकरी के दौरान होम्योपेथी चिकित्सक की डिगरी उन्होने प्राप्त कर ली थी। उनके पिताश्री होटल क्लार्क शीराज,आगरा मे जेनेरल मेनेजर रह चुके थे और तब फ़ालिज से पीड़ित थे। उनकी देख-रेख के नाम पर डॉ साहब ने नौकरी छोड़ कर प्रेक्टिस करनी शुरू कर दी थी। उनके कम्पाउंडर के पिता का बंगलोर मे देहांत होने पर भी छुट्टी देने की शर्त कोई बदले मे आदमी देने की उन्होने लगा दी थी। वह कम्पाउंडर हमारे एक परिचित डॉ साहब के मित्र थे जो नगर निगम मे शिक्षक भी थे । उस एक सप्ताह मे उनके स्थान पर मुझसे डॉ साहब को मदद देने को हमारे परिचित डॉ साहब के अनुरोध पर मैं उनके यहाँ जाता था।

एक रोज़ मेहरा आफ़सेट प्रेस के मालिक श्याम मेहरा साहब अपनी पत्नी की दवा लेने के बाद डॉ मिश्रा से बोले जो उनके लायन्स क्लब के साथी भी थे कि उनको चक्कर लग रहे हैं। मिश्रा जी ने मुझसे कहा कि माथुर साहब श्याम बाबू को BG की एक डोज़ दे दो। BG=ब्लैंक ग्लोबुल्स =सादी गोलियां। उनको तुरंत कार ड्राईव करने से रोकने हेतु दो मिनट तक गप्पें करके डॉ साहब ने पूछा श्याम बाबू कुछ राहत है वह बोले थोड़ी सी। डॉ साहब ने और रोक लिया फिर पाँच मिनट बाद पूछा तो मेहरा साहब बोले आपका  डायगनोज बढ़िया है अब बिलकुल ठीक हूँ। उनके जाने के बाद मैंने डॉ साहब से पूछा कि सादी गोलियों से मेहरा साहब को फायदा कैसे हो गया। डॉ साहब बोले जैसी बीमारी वैसी दवा उनको वहम  था जो दवा के धोखे से ठीक हो गया। चूंकि उनको कोई बीमारी थी ही नहीं तो दवा क्यों देते लेकिन वहम  तो दूर करना ही था। 

अच्छे एलोपेथी डॉ भी इस प्रकार का सहारा लेते हैं। इनके अतिरिक्त प्रार्थना-स्तुति का भी मरीज पर व्यापक प्रभाव पड़ता है और वे शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर लेते हैं। कैंसर तक के दो मरीजों को जिनको डाक्टरों ने घबड़ा दिया था मैंने स्तुति के सहारे से ठीक होने मे मदद  दी फिर डॉ भी संतुष्ट हुये। लेक्न हाल ही मे एक वैज्ञानिक संस्था के नव नियुक्त प्रदेशाध्यक्ष ने ज्योतिष और स्तुति की कड़ी आलोचना करते हुये अपने ब्लाग मे लिखा है कि ज्योतिष 100 प्रतिशत झूठा है। वस्तुतः ये लोग कारपोरेट कंपनियों के इशारे पर अपने व्यक्तिगत आर्थिक हितों के संरक्षणार्थ लोगों को गुमराह करते हैं और उनको वास्तविक इलाज नहीं मिलने देना चाहते हैं। ऐसे लोग अपने छुद्र स्वार्थ की खातिर आम लोगों को उल्टे उस्तरे से मूढ़ते हैं।


संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

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