Tuesday, 4 December 2012

प्रधान मंत्री का चयन विदेश से होगा ---विजय राज बली माथुर

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हिंदुस्तान,लखनऊ,दिनांक-03/12/2012 ,पृष्ठ-14
एक लंबे अरसे से अमेरिकी मीडिया राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी को अगले प्रधानमंत्री के लिए अपनी पसंद बताता रहा है। अब ब्रिटिश मीडिया ने भी चिदम्बरम और मोदी का नाम प्रस्तुत कर दिया है। इस संबंध मे विस्तृत विवरण हिमांशु कुमार जी ने अपने ब्लाग पर दिया है-
http://dantewadavani.blogspot.in/2012/12/blog-post_3.html 

हिमांशु जी का विश्लेषण सटीक और व्यवहारिकता को दर्शाता है। 

साम्राज्यवादियो ने भारत विभाजन सांप्रदायिकता के सहारे से अपने हितों हेतु ही करवाया था और शुरू से ही पाकिस्तान तो उनके खुले चंगुल मे चला जबकि भारत मे लोकतन्त्र का आवरण रखा गया। नेहरू जी साम्राज्यवादियो की पसंद थे किन्तु शास्त्री जी नहीं इसी लिए उनको मार्ग से हटा दिया गया। दोबारा सत्ता मे आने के बाद इन्दिरा जी भी खुल कर साम्राज्यवादियो के हितों का संरक्षण करती रहीं,उनके बाद भी साम्राज्यवादियो को कोई दिक्कत न हो इस हेतु अपने शिष्य आतंकवादियों के सहारे से उनकी हत्या करा दी गई जिससे उनके पुत्र राजीव जी सहानुभूति की लहर पर सवार होकर सुगमता से सत्तासीन हो गए जिन्होने सरकार को एक कारपोरेट उद्योगपति के रूप मे  ढाल दिया।उनकी भी  हत्या अपने शिष्य आतंकवादियो  के सहारे से करने के बाद नरसिंघा राव जी के लिए रास्ता बन सका जिनको वित्तमंत्री मनमोहन जी को बनाना पड़ा पूरी स्वतन्त्रता के साथ पद से हटने के बाद उन्होने अपने THE INSIDER मे  कुबूल किया कि हम स्वतन्त्रता के 'भ्रम जाल 'मे जी रहे हैं।

वी पी सिंह,देवगौड़ा और गुजराल सरकारों का पतन साम्राज्यवादियो ने कारपोरेट घरानों की मदद से करा दिया।एन डी ए शासन यद्यपि साम्राज्यवादियों के लिए मुफीद रहा किन्तु जनता मे वह अलोकप्रिय  होने के कारण यू पी ए को साम्राज्यवादियों  का समर्थन मिल गया जबकि परिवर्तन दिखाने को उसे बामपंथी समर्थन हासिल करना पड़ा। फिर निर्लज्जता के साथ बामपंथियों को हटा कर खुले रूप मे साम्राज्यवादियों के हितार्थ परमाणु सम्झौता किया गया। 

आज जब यू पी ए /एन डी ए अलग-अलग बोतल मे एक ही शराब हो चुके हैं इनके एक-एक प्रतिनिधि को भारत के प्रधानमंत्री हेतु विदेशी मीडिया के जरिये प्रस्तुत किया जा रहा है। 

चूंकि सोनिया जी खुद और अपनी किसी संतान को प्रधानमंत्री नहीं बनाना चाहती हैं जैसा कि उनके अपने पीहर वाले भी चाहते हैं। इसलिए मनमोहन जी के बाद चिदम्बरम साहब का नाम उभरा है। चिदम्बरम साहब सोनिया जी के बहुत पुराने वफादार भी हैं। राजीव जी के शासन मे जब उनके ममेरे भाई अरुण नेहरू साहब ने गृह-मंत्री के रूप मे सोनिया जी की फाईल सी बी आई से तैयार कारवाई थी तब उनको हार्ट अटेक पड़ने पर गृह-राज्यमंत्री के रूप मे चिदम्बरम साहब ने राजीव जी को वह फाईल दिखा दी थी जिसके बाद अरुण नेहरू साहब का मंत्रालय बादल दिया गया था। विभिन्न सरकारों मे वित्तमंत्री के रूप मे वह साम्राज्यवादियों के हित-साधन करते रहे है इसलिए उनकी पसंद भी है और सोनिया जी की भी। 

साम्यवादियों-बामपंथियों का इस समय यह गुरुतर दायित्व है कि वे राष्ट्र-हित मे देश की जनता को जाग्रत करके अपने नेतृत्व मे सरकार गठन का प्रयास करे न कि किसी अन्य को समर्थन दे।   






 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

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