Wednesday 26 December 2012

वार पाँच गुरुदेव के,नीति न्याय अवरोध---विजय राजबली माथुर



आजकल एक फैशन चला हुआ है जिसके तहत क्या विज्ञानवादी क्या प्रगतिशील सब ज्योतिष विज्ञान की निंदा व आलोचना करके अपनी पीठ थपथपाते रहते हैं। पोंगापंथी-ढ़ोंगी-आडंबरवादी और कारपोरेट समर्थक इनकी हौसला अफजाई करते रहते हैं जिससे कि वास्तविकता जनता के समक्ष आने ही न पाये वरना उल्टे उस्तरे से जनता को मूढ़ने का धंधा जो चौपट हो जाएगा।
16 दिसंबर को घटित दुर्भाग्यपूर्ण जघन्य कांड और उसके बाद प्रस्फुटित जनाक्रोश,हिंसा-प्रतिहिंसा सब कुछ अनायास ही नहीं हो गया। यदि 'ज्योतिष विज्ञान' के आंकलनों पर ध्यान दिया जाता खास कर केंद्रीय व राज्य सरकारों के खुफिया विभाग इन पर नज़र रख कर बचाव के उपाय करते तो इतनी हानि,व सरकारों की बदनामी न होती। संभवतः अपराधी भी अपराध से पूर्व ही पकड़ मे आ जाते।

लेकिन हाल ही मे एक वैज्ञानिक संगठन के नव नियुक्त प्रदेशाध्यक्ष ने अपने ब्लाग के माध्यम से फतवा जारी किया है कि ज्योतिष के आंकलन 100 प्रतिशत झूठे होते हैं। IBN7 का एक कारिंदा तो अप्रैल 2012 से लगातार ज्योतिषीय आंकलनों को गलत ठहरा ही रहा था। ऐसे ही लोग ऐसे वीभत्स कांडों पर सरकारों पर प्रहार करने मे अग्रणी हैं। पीड़ितों को राहत पहुंचाने से इनको कोई सरोकार नहीं है इनको अपने व्यापार/धंधे को चमकाने की पड़ी रहती है। अतः ये लोग पोंगापंथ और ढोंग तथा आडंबर और उत्पीड़न का विरोध न करके 'धर्म' और 'ज्योतिष विज्ञान' पर प्रहार करते हैं।

'चंड मार्तंड' निर्णय सागर पंचांग के पृष्ठ-46 पर स्पष्ट उल्लेख (29 नवंबर से 28 दिसंबर 2012 की अवधी के लिए)मिलता है----
"चार पाँच ग्रह का बने,युति चार गति चार। वर्षा अथवा द्वंद से आंदोलित संसार। ।
हिम प्रपात -पर्वत पतन,ऋतु कोप अधिचार। निर्णय गणना गोचरी ,लहर शीत संचार। ।
वार पाँच भ्रगुदेव के,भौतिक पंथ अपार। वस्तु सुगंधी-गंध की,भाव तेज उच्चार। ।
देश-दिशा पश्चिम विषय,विग्रह प्रांत विरोध। वार पाँच गुरुदेव के ,नीति न्याय अवरोध। ।
चक्रवात आंधी पवन,सागर देश विदेश । संहारक रचना गति ,जन धन मध्य विशेष। ।
संम सप्तक गुरु शुक्र का,वृषभ वृश्चिकी सार। भाषा मुद्रा न्याय हित ,नहीं सुखद संचार। ।
आरक्षण शिक्षण विषय ,शासन तंत्र प्रहार। आंदोलित जन साधना ,निर्णय कथन विचार। ।
चलन कल न गुरु मंद का,षडष्टाकी अभिसार। पद लोलुप नायक सभी,राज काज व्यापार। ।
शांति विश्व मे न्यूनता,कूटनीति विस्तार। संधि लेख की शून्यता ,अस्त्र शस्त्र प्रतिभार। । "  

11 दिसंबर 2012 को शुक्र के वृश्चिक राशि मे प्रवेश के साथ ही चार ग्रहों का जमावड़ा हो गया था जिसके परिणामस्वरूप 'आरक्षण' के पक्ष-विपक्ष मे आंदोलन चला। फिर 16 दिसंबर कांड के विरोध मे जनता आंदोलित रही। पाँच ब्रहस्तिवार के योग से दिल्ली व केंद्र सरकारें नीति-न्याय का पालन नहीं कर सकीं। यदि 'ज्योतिष' की आलोचना न होती और खुफिया तंत्र इंनका उपयोग नीति-निर्धारण मे करते हुये सावधानी बरतता तो जो नुकसान हुआ उससे बचा जा सकता था। अतः ज्योतिष की वैज्ञानिकता को नकारने वाले तथाकथित वैज्ञानिक संगठनों के बड़बोले प्रवक्ताओं एवं थोथे  प्रगतिशील लोगों को वर्तमान संकट हेतु उत्तरदाई ठहराया जाना चाहिए।    

 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

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