Wednesday, 24 February 2016

हिंदू राष्ट्रवादी सरकार की तानाशाही प्रवृत्ति ------ विदेशी अखबार

भाजपा समर्थकों ने पुलिस के सामने पत्रकारों और छात्रों को पीटा, अखबार ने इसके लिए मोदी को ही जवाबदेह बताया है.

अमेरिका और फ्रांस के मशहूर अखबारों ने जेएनयू विवाद को लेकर मोदी सरकार की जमकर आलोचना की है. अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने संपादकीय में आरोप लगाया है कि कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी में छात्र संगठन एबीवीपी और मोदी सरकार द्वारा नियुक्त जेएनयू का नया प्रशासन शामिल था. अखबार ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह के उस बयान की भी निंदा की है जिसमें उन्होंने कहा था, ‘अगर कोई भी भारत विरोधी नारे लगाता है और राष्ट्र की एकता और अखंडता पर सवाल उठाता है तो उन्हें बख़्शा नहीं जाएगा.’ अखबार लिखता है कि शायद राजनाथ सिंह यह नहीं जानते हैं कि लोकतंत्र में असहमति जाहिर करना एक अधिकार है, अपराध नहीं. न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्षधर लोगों और सरकार के बीच टकराव में सरकार समर्थक हिंदू दक्षिणपंथी भी उसकी मदद कर रहे हैं. उसके अनुसार कन्हैया कुमार को गिरफ्तारी के बाद जब कोर्ट ले जाया गया तो वहां भाजपा समर्थकों ने पुलिस के सामने पत्रकारों और छात्रों को पीटा, अखबार ने इसके लिए मोदी को ही जवाबदेह बताया है. साथ ही उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सलाह दी है कि उन्हें अपने मंत्रियों और अपनी पार्टी पर लगाम लगाते हुए इस संकट को शांत करने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि ऐसी घटनाएं देश की प्रगति में बाधक बनेंगी साथ ही इनसे भारतीय लोकतंत्र को भी खतरा पैदा हो सकता है.
उधर, फ़्रांस के प्रतिष्ठित अखबार ल मॉन्ड  ने ‘भारत में मोदी का चिंताजनक राष्ट्रवाद’ नामक शीर्षक देते हुए अपने संपादकीय में लिखा है कि भारत की हिंदू राष्ट्रवादी सरकार ने देशद्रोह के आरोप में जेएनयू के एक छात्र और दिल्ली के एक पूर्व प्रोफेसर को उस कानून के तहत गिरफ्तार किया है जिसके तहत अंग्रेजों ने कभी महात्मा गांधी को गिरफ्तार किया था. अखबार ने इस निर्णय को चौंकाने वाला और हिंदू राष्ट्रवादी सरकार की तानाशाही प्रवृत्ति की नई मिसाल बताया है. ल मॉन्ड ने भारत में चल रहे इस संकट पर चिंता जताते हुए फ्रांसीसी सरकार से इस मामले में दखल देने को कहा है.
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