Shriram Tiwari यदि जे एनयू में पाकिस्तानी एजेंट घुसे आयें हों तो यह तो ग्रह मंत्री की ही चूक मानी जाएगी !
केंद्रीय मंत्रिमंडल के सभी मंत्रियों में संभवतः सबसे ज्यादा अनुभवी - कुशल प्रशासक एक मात्र 'सहिष्णु' - धर्मनिरपेक्षतावादी एवं राजनीति के जमीनी नेता श्री राजनाथसिंह जी की बौद्धिक क्षमता का उनके विरोधी भी सम्मान करते हैं। किन्तु इतने प्रखर विद्वान व वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री को अपनी कही हुई किसी बात में वजन लाने के लिए या कथन को सत्य सिद्ध करने के लिए पाकिस्तान में छिपे बैठे किसी भारत विरोधी आतंकी हाफिज सईद की गवाही की दरकार क्यों आन पडी ? हमारे लिए तो देश के गृहमंत्री का वयान ही काफी है। यदि जेएनयू की घटना में कोई दोषी है तो कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए ! राजनाथ जी को किसी भारत विरोधी आतंकी की आग लगाऊ वयानबाजी का सहारा नहीं लेना चाहिए। बल्कि उन्हें इस समस्या के निदान बाबत सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिये !
ग्रह मंत्री जी को हमेशा स्मरण रखना चाहिए कि जब पाकिस्तानी आतंकी भारत के सबसे सुरक्षित पठानकोट एयरबेस में घुस सकते हैं , जब वे मुंबई के ताज होटल में घुस सकते हैं, जब वे संसद में घुस सकते हैं ,तो जेएनयू में क्यों नहीं घुस सकते ? जेएनयू के कुछ उत्साही छात्रों ने कोई प्रोग्राम रखा और यदि जे एनयू में पाकिस्तानी एजेंट घुसे आयें हों तो यह तो ग्रह मंत्री की ही चूक मानी जाएगी ! यह भी समभव है कि किसी दक्षिणपंथी छात्र संगठन के बदमास शोहदे उस कार्यक्रम में पाकिस्तानी झंडा लहराने घुसे हों ! सिर्फ मीडिया के हो हल्ले या और 'माऊथ पब्लिशिटी 'के आधार पर उस कार्यक्रम के आयोजकों कोगिरफ्तार करना उचित नहीं है । हम सभी भारतीय जानते हैं कि जम्मू- कश्मीर में अभी-अभी तक भाजपा समर्थित पीडीएफ की मुफ्ती सरकार रही है । इस दौर में अनेक बार श्रीनगर-लाल चौक और कश्मीर में पाकिस्तानी झंडे लहराए गए। पाकिस्तान -जिन्दावाद के नारे भी लगाये गए। तो उन घटनाओं को देशद्रोही क्यों नहीं माना गया। और यदि माना गया है तो अब तक किस -किस पर कार्यवाही की गयी ? यदि कोई कार्यवाही नहीं की गयी तो क्यों न पूरी भाजपा सरकार और संघ परिवार को ही देशद्रोही मान लिया जाए ?
मुफ्ती सरकार को समर्थन देने वाले और उसमें शामिल भाजपाई मंत्रियों की इन देशद्रोही घटनाओं में क्या जिम्मेदारी थी ? उनसे त्यागपत्र क्यों नहीं लिया गया ? केंद्र की मोदी सरकार ने उस राज्य सरकार को बर्खास्त क्यों नहीं किया ? यदि बर्खास्त करने की ताकत नहीं थी तो कम -से -कम वहाँ राष्ट्रपति शासन ही लगाकर दिखाते ! जेएनयू के उस कार्यक्रम का जो वीडीओ सामने आया है उसमें तो एबी वी पी के विद्यार्थी चिन्हित किये गए हैं। और 'सनातन सभा ' वाले तो आरएसएस का खुलकर नाम ले रहे हैं। अब राजनाथ सिंह जी और भाजपा के प्रवक्ताओं ने अपनों को बचने के लिए और गढ़े हुए झूंठ को सच सावित करने के लिए हाफिज सईद के उस वयान का सहारा लिया है जिसमें वह 'गन्दा आदमी'जेएनयू के छात्रों के समर्थन की बात कर रहा है। क्या 'संघ परिवार' के इतने बुरे दिन आ गए कि अपनी ही न्याय पालिका का भरोसा नहीं रहा और पाकिस्तानी आतंकियों के वयानों से अपनी राजनैतिक खेती करने में जुटे हैं। इतनी गंदी राजनीति तो कांग्रेस ने भी नहीं की होगी। केंद्र सरकार और संघ परिवार ने 'राष्ट्रवाद 'का जो उन्माद फैला रखा है उसका आधार क्या यही असत्याचरण ही है ?
श्रीराम तिवारी
केंद्रीय मंत्रिमंडल के सभी मंत्रियों में संभवतः सबसे ज्यादा अनुभवी - कुशल प्रशासक एक मात्र 'सहिष्णु' - धर्मनिरपेक्षतावादी एवं राजनीति के जमीनी नेता श्री राजनाथसिंह जी की बौद्धिक क्षमता का उनके विरोधी भी सम्मान करते हैं। किन्तु इतने प्रखर विद्वान व वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री को अपनी कही हुई किसी बात में वजन लाने के लिए या कथन को सत्य सिद्ध करने के लिए पाकिस्तान में छिपे बैठे किसी भारत विरोधी आतंकी हाफिज सईद की गवाही की दरकार क्यों आन पडी ? हमारे लिए तो देश के गृहमंत्री का वयान ही काफी है। यदि जेएनयू की घटना में कोई दोषी है तो कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए ! राजनाथ जी को किसी भारत विरोधी आतंकी की आग लगाऊ वयानबाजी का सहारा नहीं लेना चाहिए। बल्कि उन्हें इस समस्या के निदान बाबत सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिये !
ग्रह मंत्री जी को हमेशा स्मरण रखना चाहिए कि जब पाकिस्तानी आतंकी भारत के सबसे सुरक्षित पठानकोट एयरबेस में घुस सकते हैं , जब वे मुंबई के ताज होटल में घुस सकते हैं, जब वे संसद में घुस सकते हैं ,तो जेएनयू में क्यों नहीं घुस सकते ? जेएनयू के कुछ उत्साही छात्रों ने कोई प्रोग्राम रखा और यदि जे एनयू में पाकिस्तानी एजेंट घुसे आयें हों तो यह तो ग्रह मंत्री की ही चूक मानी जाएगी ! यह भी समभव है कि किसी दक्षिणपंथी छात्र संगठन के बदमास शोहदे उस कार्यक्रम में पाकिस्तानी झंडा लहराने घुसे हों ! सिर्फ मीडिया के हो हल्ले या और 'माऊथ पब्लिशिटी 'के आधार पर उस कार्यक्रम के आयोजकों कोगिरफ्तार करना उचित नहीं है । हम सभी भारतीय जानते हैं कि जम्मू- कश्मीर में अभी-अभी तक भाजपा समर्थित पीडीएफ की मुफ्ती सरकार रही है । इस दौर में अनेक बार श्रीनगर-लाल चौक और कश्मीर में पाकिस्तानी झंडे लहराए गए। पाकिस्तान -जिन्दावाद के नारे भी लगाये गए। तो उन घटनाओं को देशद्रोही क्यों नहीं माना गया। और यदि माना गया है तो अब तक किस -किस पर कार्यवाही की गयी ? यदि कोई कार्यवाही नहीं की गयी तो क्यों न पूरी भाजपा सरकार और संघ परिवार को ही देशद्रोही मान लिया जाए ?
मुफ्ती सरकार को समर्थन देने वाले और उसमें शामिल भाजपाई मंत्रियों की इन देशद्रोही घटनाओं में क्या जिम्मेदारी थी ? उनसे त्यागपत्र क्यों नहीं लिया गया ? केंद्र की मोदी सरकार ने उस राज्य सरकार को बर्खास्त क्यों नहीं किया ? यदि बर्खास्त करने की ताकत नहीं थी तो कम -से -कम वहाँ राष्ट्रपति शासन ही लगाकर दिखाते ! जेएनयू के उस कार्यक्रम का जो वीडीओ सामने आया है उसमें तो एबी वी पी के विद्यार्थी चिन्हित किये गए हैं। और 'सनातन सभा ' वाले तो आरएसएस का खुलकर नाम ले रहे हैं। अब राजनाथ सिंह जी और भाजपा के प्रवक्ताओं ने अपनों को बचने के लिए और गढ़े हुए झूंठ को सच सावित करने के लिए हाफिज सईद के उस वयान का सहारा लिया है जिसमें वह 'गन्दा आदमी'जेएनयू के छात्रों के समर्थन की बात कर रहा है। क्या 'संघ परिवार' के इतने बुरे दिन आ गए कि अपनी ही न्याय पालिका का भरोसा नहीं रहा और पाकिस्तानी आतंकियों के वयानों से अपनी राजनैतिक खेती करने में जुटे हैं। इतनी गंदी राजनीति तो कांग्रेस ने भी नहीं की होगी। केंद्र सरकार और संघ परिवार ने 'राष्ट्रवाद 'का जो उन्माद फैला रखा है उसका आधार क्या यही असत्याचरण ही है ?
श्रीराम तिवारी
केंद्रीय मंत्रिमंडल के सभी मंत्रियों में संभवतः सबसे ज्यादा अनुभवी - कुशल प्रशासक एक मात्र 'सहिष्णु' - धर्मनिरपेक्षतावादी एवं राजनीति के जमीनी नेता श्री राजनाथसिंह जी की बौद्धिक क्षमता का उनके विरोधी भी सम्मान करते हैं। किन्तु इतने प्रखर विद्वान व वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री को अपनी कही हुई किसी बात में वजन लाने के लिए या कथन को सत्य सिद्ध करने के लिए पाकिस्तान में छिपे बैठे किसी भारत विरोधी आतंकी हाफिज सईद की गवाही की दरकार क्यों आन पडी ? हमारे लिए तो देश के गृहमंत्री का वयान ही काफी है। यदि जेएनयू की घटना में कोई दोषी है तो कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए ! राजनाथ जी को किसी भारत विरोधी आतंकी की आग लगाऊ वयानबाजी का सहारा नहीं लेना चाहिए। बल्कि उन्हें इस समस्या के निदान बाबत सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिये !
ग्रह मंत्री जी को हमेशा स्मरण रखना चाहिए कि जब पाकिस्तानी आतंकी भारत के सबसे सुरक्षित पठानकोट एयरबेस में घुस सकते हैं , जब वे मुंबई के ताज होटल में घुस सकते हैं, जब वे संसद में घुस सकते हैं ,तो जेएनयू में क्यों नहीं घुस सकते ? जेएनयू के कुछ उत्साही छात्रों ने कोई प्रोग्राम रखा और यदि जे एनयू में पाकिस्तानी एजेंट घुसे आयें हों तो यह तो ग्रह मंत्री की ही चूक मानी जाएगी ! यह भी समभव है कि किसी दक्षिणपंथी छात्र संगठन के बदमास शोहदे उस कार्यक्रम में पाकिस्तानी झंडा लहराने घुसे हों ! सिर्फ मीडिया के हो हल्ले या और 'माऊथ पब्लिशिटी 'के आधार पर उस कार्यक्रम के आयोजकों कोगिरफ्तार करना उचित नहीं है । हम सभी भारतीय जानते हैं कि जम्मू- कश्मीर में अभी-अभी तक भाजपा समर्थित पीडीएफ की मुफ्ती सरकार रही है । इस दौर में अनेक बार श्रीनगर-लाल चौक और कश्मीर में पाकिस्तानी झंडे लहराए गए। पाकिस्तान -जिन्दावाद के नारे भी लगाये गए। तो उन घटनाओं को देशद्रोही क्यों नहीं माना गया। और यदि माना गया है तो अब तक किस -किस पर कार्यवाही की गयी ? यदि कोई कार्यवाही नहीं की गयी तो क्यों न पूरी भाजपा सरकार और संघ परिवार को ही देशद्रोही मान लिया जाए ?
मुफ्ती सरकार को समर्थन देने वाले और उसमें शामिल भाजपाई मंत्रियों की इन देशद्रोही घटनाओं में क्या जिम्मेदारी थी ? उनसे त्यागपत्र क्यों नहीं लिया गया ? केंद्र की मोदी सरकार ने उस राज्य सरकार को बर्खास्त क्यों नहीं किया ? यदि बर्खास्त करने की ताकत नहीं थी तो कम -से -कम वहाँ राष्ट्रपति शासन ही लगाकर दिखाते ! जेएनयू के उस कार्यक्रम का जो वीडीओ सामने आया है उसमें तो एबी वी पी के विद्यार्थी चिन्हित किये गए हैं। और 'सनातन सभा ' वाले तो आरएसएस का खुलकर नाम ले रहे हैं। अब राजनाथ सिंह जी और भाजपा के प्रवक्ताओं ने अपनों को बचने के लिए और गढ़े हुए झूंठ को सच सावित करने के लिए हाफिज सईद के उस वयान का सहारा लिया है जिसमें वह 'गन्दा आदमी'जेएनयू के छात्रों के समर्थन की बात कर रहा है। क्या 'संघ परिवार' के इतने बुरे दिन आ गए कि अपनी ही न्याय पालिका का भरोसा नहीं रहा और पाकिस्तानी आतंकियों के वयानों से अपनी राजनैतिक खेती करने में जुटे हैं। इतनी गंदी राजनीति तो कांग्रेस ने भी नहीं की होगी। केंद्र सरकार और संघ परिवार ने 'राष्ट्रवाद 'का जो उन्माद फैला रखा है उसका आधार क्या यही असत्याचरण ही है ?
श्रीराम तिवारी
केंद्रीय मंत्रिमंडल के सभी मंत्रियों में संभवतः सबसे ज्यादा अनुभवी - कुशल प्रशासक एक मात्र 'सहिष्णु' - धर्मनिरपेक्षतावादी एवं राजनीति के जमीनी नेता श्री राजनाथसिंह जी की बौद्धिक क्षमता का उनके विरोधी भी सम्मान करते हैं। किन्तु इतने प्रखर विद्वान व वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री को अपनी कही हुई किसी बात में वजन लाने के लिए या कथन को सत्य सिद्ध करने के लिए पाकिस्तान में छिपे बैठे किसी भारत विरोधी आतंकी हाफिज सईद की गवाही की दरकार क्यों आन पडी ? हमारे लिए तो देश के गृहमंत्री का वयान ही काफी है। यदि जेएनयू की घटना में कोई दोषी है तो कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए ! राजनाथ जी को किसी भारत विरोधी आतंकी की आग लगाऊ वयानबाजी का सहारा नहीं लेना चाहिए। बल्कि उन्हें इस समस्या के निदान बाबत सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिये !
ग्रह मंत्री जी को हमेशा स्मरण रखना चाहिए कि जब पाकिस्तानी आतंकी भारत के सबसे सुरक्षित पठानकोट एयरबेस में घुस सकते हैं , जब वे मुंबई के ताज होटल में घुस सकते हैं, जब वे संसद में घुस सकते हैं ,तो जेएनयू में क्यों नहीं घुस सकते ? जेएनयू के कुछ उत्साही छात्रों ने कोई प्रोग्राम रखा और यदि जे एनयू में पाकिस्तानी एजेंट घुसे आयें हों तो यह तो ग्रह मंत्री की ही चूक मानी जाएगी ! यह भी समभव है कि किसी दक्षिणपंथी छात्र संगठन के बदमास शोहदे उस कार्यक्रम में पाकिस्तानी झंडा लहराने घुसे हों ! सिर्फ मीडिया के हो हल्ले या और 'माऊथ पब्लिशिटी 'के आधार पर उस कार्यक्रम के आयोजकों कोगिरफ्तार करना उचित नहीं है । हम सभी भारतीय जानते हैं कि जम्मू- कश्मीर में अभी-अभी तक भाजपा समर्थित पीडीएफ की मुफ्ती सरकार रही है । इस दौर में अनेक बार श्रीनगर-लाल चौक और कश्मीर में पाकिस्तानी झंडे लहराए गए। पाकिस्तान -जिन्दावाद के नारे भी लगाये गए। तो उन घटनाओं को देशद्रोही क्यों नहीं माना गया। और यदि माना गया है तो अब तक किस -किस पर कार्यवाही की गयी ? यदि कोई कार्यवाही नहीं की गयी तो क्यों न पूरी भाजपा सरकार और संघ परिवार को ही देशद्रोही मान लिया जाए ?
मुफ्ती सरकार को समर्थन देने वाले और उसमें शामिल भाजपाई मंत्रियों की इन देशद्रोही घटनाओं में क्या जिम्मेदारी थी ? उनसे त्यागपत्र क्यों नहीं लिया गया ? केंद्र की मोदी सरकार ने उस राज्य सरकार को बर्खास्त क्यों नहीं किया ? यदि बर्खास्त करने की ताकत नहीं थी तो कम -से -कम वहाँ राष्ट्रपति शासन ही लगाकर दिखाते ! जेएनयू के उस कार्यक्रम का जो वीडीओ सामने आया है उसमें तो एबी वी पी के विद्यार्थी चिन्हित किये गए हैं। और 'सनातन सभा ' वाले तो आरएसएस का खुलकर नाम ले रहे हैं। अब राजनाथ सिंह जी और भाजपा के प्रवक्ताओं ने अपनों को बचने के लिए और गढ़े हुए झूंठ को सच सावित करने के लिए हाफिज सईद के उस वयान का सहारा लिया है जिसमें वह 'गन्दा आदमी'जेएनयू के छात्रों के समर्थन की बात कर रहा है। क्या 'संघ परिवार' के इतने बुरे दिन आ गए कि अपनी ही न्याय पालिका का भरोसा नहीं रहा और पाकिस्तानी आतंकियों के वयानों से अपनी राजनैतिक खेती करने में जुटे हैं। इतनी गंदी राजनीति तो कांग्रेस ने भी नहीं की होगी। केंद्र सरकार और संघ परिवार ने 'राष्ट्रवाद 'का जो उन्माद फैला रखा है उसका आधार क्या यही असत्याचरण ही है ?
श्रीराम तिवारी
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