Thursday, 6 October 2016

लड़ना आसान होता है; ज़रूरत शांति के प्रयास की है - एम एस सथ्यु




 लड़ना आसान होता है; ज़रूरत शांति के प्रयास की है - एम एस सथ्यु

भारतीय जन नाट्य संघ के तीन दिवसीय 14वें राष्ट्रीय सम्मेलन और राष्ट्रीय जन सांस्कृतिक महोत्सव का शुभारंभ ‘गर्म हवा’ जैसी कालजयी फिल्म के निर्देशक श्री एम एस सथ्यु द्वारा इप्टा के ध्वज वंदना से हुई। ध्वजारोहण में उनके साथ थे कॉमरेड पेरीन दाजी, प्रलेसं के राष्ट्रीय महासचिव राजेन्द्र राजन और इप्टा के राष्ट्रीय महासचिव राकेश। ध्वजारोहण के बाद इप्टा अशोक नगर ईकाई, म.प्र और बिहार इकाई ने मिलकर शैलेंद्र द्वारा लिखित मशहूर जनगीत ‘तू ज़िंदा है तो जिंदगी की जीत पर यकीन कर’ प्रस्तुत किया। इस मौके पर कॉमरेड पेरीन दाजी ने एम एस सथ्यु का स्वागत किया। इंदौर में उनकी उपस्थिति को गौरवपूर्ण बताया। ध्वज वंदना के बाद पुस्तक एवं पोस्टर प्रदर्शनी का उद्घाटन अंजन श्रीवास्तव ने किया।

2 अक्टूबर से 4 अक्टूबर तक चलनेवाले भारतीय जन नाट्य संघ के इस तीन दिवसीय 14वें राष्ट्रीय सम्मेलन और राष्ट्रीय जन सांस्कृतिक महोत्सव का विधिवत उद्घाटन आनंद मोहन माथुर सभागार में एम एस सथ्यु की अध्यक्षता में हुआ। मंच पर उपस्थित कलाकारों, लेखकों एवं रंगकर्मियों में थे ख्यात डाक्यूमेंट्री फिल्मकार आनंद पटवर्धन, इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणवीर सिंह, उपाध्यक्ष अंजन श्रीवास्तव, राजेन्द्र राजन, राकेश, कॉमरेड पेरीन दाजी, नरहरि पटेल, वसंत शिंत्रे और मध्य प्रदेश इप्टा के अध्यक्ष हरिओम राजोरिया। मंच में उपस्थित लोगों के अतिरिक्त सभागार में देश के 25 राज्यों के लगभग 800 सौ रंगकर्मियों-संस्कृति कर्मियों के अलावा सैकड़ों की संख्या में लेखक, पत्रकार, कलाकार एवं संस्कृतिकर्मी उपस्थित थे।

अपने स्वागत भाषण में राकेश ने कहा इप्टा मोहब्बत की बात करती है। चार्ली चैप्लिन ने कहा था कि कला, कलाकार द्वारा जनता को लिखा गया प्रेमपत्र है। हम इसमें यह जोड़ते हैं कि इप्टा समय आने पर जनता की ओर से शासकों को अभियोग पत्र भी भेजती है। इप्टा के 75 साल पूरे हो रहे हैं। इसका नामकरण मशहूर वैज्ञानिक होमी जहाँगीर भाभा ने किया था। हम युद्ध के विरोध में तब भी थे और आज भी हैं। हम शांति के पक्षधर हैं। राकेश ने एम एम कलबुर्गी समेत दिवंगत अन्य विभूतियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इप्टा बेगूसराय के पुराने साथी कन्हैया कुमार सहित सभी संघर्षशील साथियों के प्रति समर्थन व्यक्त किया। विभिन्न संगठनों एवं साथियों द्वारा प्राप्त ग्रीटिंग तथा शुभकामना संदेशों का उल्लेख किय़ा।

सत्र की अध्यक्षता कर रहे एम एस सथ्यु ने मौजूदा सांस्कृतिक परिदृश्य और हमारी चुनौतियाँ विषय पर अपना वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा यह तय करना मुश्किल होता है कि किस भाषा में बात करें। मैं कन्नड़ हूँ यहाँ भारत के सभी भाषा भाषी लोग मौजूद हैं। अपने आत्मीय लहजे में सथ्यु ने दक्षिण भारतीय भाषाओं समेत हिंदी और अंग्रेज़ी में सभी का अभिवादन किया। उन्होंने कहा मै अनेक रंग संगठनों से होता हुआ 1965 में इप्टा में शामिल हुआ। लड़ना बहुत आसान होता है। लोगों से शांतिपूर्ण व्यवहार करना कठिन होता है। तकनीकि प्रगति इतनी हो चुकी है कि घर बैठे बम फेंके जा सकते हैं लेकिन शांति के प्रयास काफ़ी कठिन हैं। युद्ध के मौके पिछली सरकारों के पास भी थे। लेकिन उन्होंने हमले नहीं किये। लेकिन यह सरकार युद्ध कर रही है। आज की सरकार कम्युनल है। राहुल गांधी मोदी का युद्ध के विषय में समर्थन कर बचकानी बात कर रहे हैं। यह कांग्रेस का पक्ष नहीं राहुल गांधी की अपरिपक्वता है। मेरे विचार से सर्जिकल ऑपरेशन भारत के लिए शर्मनाक है। भारत का भरोसा आक्रमण पर नहीं होना चाहिए। कलाकार के रूप में हमें सांप्रदायिकता, चरमपंथ आदि से मुकाबला करना है। हमारे लिए धर्म, जाति और द्रोणाचार्य सभी गैरज़रूरी हैं। लाल, क्रांति का रंग है। हमे प्रिय है। हम लोकतंत्र के पक्षकार हैं। हमें आज द्रोणाचार्य नहीं चाहिए। हम लोकतांत्रिक उम्मीद के लोग हैं। रंगमंच दुमिया नहीं बदल सकता। वह लोगों को उत्प्रेरित कर उन्हें एक्टिव बनाता है। स्वीकार और निर्णय तक पहुँचाता है। मैं खुद को कलाकार मानता हूँ। मुझे बहुत खुशी होगी अगर मैं अगली बार अपना नाटक लेकर आऊँ।

प्रलेसं के राष्ट्रीय महासचिव राजेन्द्र राजन ने कहा भारत की 70 प्रतिशत से अधिक आबादी 20 रुपये प्रतिदिन से कम कमाती है। हमारा देश वित्तीय पूँजी का गुलाम हो चुका है। दूसरी दुनिया बनाने की लड़ाई अब तक बाकी है। भारतीय लोकतंत्र और विचारों की स्वतंत्रता खतरे में है। लेखकों को गुमराह किया जा रहा है उन्हें तोड़ा जा रहा है लेकिन हम टूटने भटकनेवाले नहीं निदान करनेवाले लोग हैं।

राजेन्द्र राजन के वक्तव्य के बाद इप्टा अशोक नगर के कलाकारों ने बामिक जौनपुरी का लिखा जनगीत ‘रात के समंदर में गम की नाव चलती है’ प्रस्तुत किया।

कॉमरेड शमीम फैज़ी ने कॉमरेड एबी बर्धन को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा वर्धन कल्चर, आर्ट, राजनीति और आंदोलनों से समान रूप से जुड़े थे। उनकी लिखी किताब फाइनांस कैपिटल आज टेक्स्ट बुक की तरह है। वे आयडियोलाग की तरह थे।

इस अवसर पर आनंद पटवर्धन की कॉमरेड ए बी वर्धन के अयोध्या भाषण पर आधारित डाक्यूमेंट्री फिल्म दिखाई गयी। इप्टा के पूर्व राष्ट्रीय महा सचिव कवि-कथाकार-रंगकर्मी जितेंद्र रघुवंशी पर आधारित एक फिल्म ‘सीप का मोती’ का प्रदर्शन भी किया गया। कवि और अनुवादक उत्पल बैनर्जी ने फैज़ की नज़्म 'लाजिम है कि हम भी देखेंगे' सुनायी। महाराष्ट्र के अंध विश्वास निर्मूलन समिति के कलाकारों ने सुकरात, तुकाराम और नरेन्द्र दाभोलकर एवं गोविंद पानसरे पर केन्द्रित नाटक की प्रस्तुति दी।

अंत में कॉमरेड विनीत तिवारी ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए अपने संक्षिप्त वक्तव्य में कहा कि रोहित वेमुला की हत्या सांस्थानिक थी। एम एम कलबुर्गी की हत्या से हम अब तक नहीं उबरे है। कलबुर्गी कन्नड़ के 1400 साल के इतिहास में सबसे विपुल लेखन करनेवाले साथी रहे हैं। उन्हें याद करने के साथ साथ हम अपनी लड़ाइयों और एकता के लिए प्रतिबद्ध हैं। सत्र का संचालन अरविंद पोरवाल ने किया।

साभार :
https://www.facebook.com/shashi.bhooshan.35/posts/1467367616612963

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