Wednesday, 11 January 2017

शास्त्री जी की पुण्यतिथी पर ------ रजनीश कुमार श्रीवास्तव


Rajanish Kumar Srivastava
भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री जी की पुण्यतिथी  पर उनका शत शत नमन।
भारतीय राजनीतिक इतिहास के क्षितिज पर 2 अक्टूबर 1904 ई० को वाराणसी के मुगलसराय में पिता शारदा प्रसाद श्रीवास्तव एवं माता रामदुलारी देवी के घर सादगी, सौम्यता,ईमानदारी और कर्तव्यपराणयता की प्रतिमूर्ति भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म हुआ था।असहयोग आन्दोलन में जेल यात्रा के साथ स्वतंत्रता संग्राम आन्दोलन में उनकी सक्रिय भागीदारी की शुरुआत हुई।भारत की आजादी की लड़ाई में 1930 ई० से 1945 ई० के बीच शास्त्री जी ने लगभग 9 वर्ष जेल में व्यतीत किए।स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्यात उ० प्र० के प्रथम मुख्यमंत्री पंड़ित गोविन्द बल्लभ पंत के मंत्रिमंडल में पहली बार शास्त्री जी ने उ० प्र० के गृहमंत्री के रूप में अपनी प्रशासनिक पहचान बनाई।1951 ई० में शास्त्री जी अखिल भारतीय कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव चुने गये।शास्त्री जी के कुशल नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने पहला आम चुनाव लड़ा और भारी सफलता अर्जित की।1952 ई० में शास्त्री जी राज्यसभा के लिए चुने जाने के उपरान्त केन्द्र सरकार में रेल एवं परिवहन मंत्री बने।जब 1956 ई० में आशीयालूर रेल दुर्घटना हुई तो शास्त्री जी ने नैतिकता के आधार पर त्यागपत्र देकर नैतिकता,ईमानदारी और उत्तरदायित्व बोध की अद्वितीय मिसाल कायम की।दूसरे आम चुनाव में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद शास्त्री जी ने परिवहन,यातायात,वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालयों का दायित्व कुशलता पूर्वक निभाया।1961 ई० में शास्त्री जी केन्द्र सरकार में गृहमंत्री बनाए गये। 27 मई 1964 में पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की मृत्यु के उपरान्त 09 जून 1964 को शास्त्री जी भारतीय गणराज्य के दूसरे प्रधानमंत्री बने।उनके अदम्य साहस और त्वरित निर्णय शक्ति के बूते मात्र बाईस दिनों में भारत ने 1965 के युद्ध में पाकिस्तान को हर मोर्चे पर पराजित किया।इसी दौरान 19 अक्टूबर 1965 ई० को शास्त्री जी ने "जय जवान जय किसान" का प्रसिद्ध नारा दिया।रूस की मध्यस्तता में पाकिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अयूब के साथ शास्त्री जी ने 10 जनवरी 1966 ई० को ताशकन्द समझौते पर हस्ताक्षर किए और इसी रात यानी 11 जनवरी 1966 को ताशकन्द में ही हृदयाघात से शास्त्री जी का निधन हो गया।दृढ़ इच्छाशक्ति के धनी ईमानदारी और सादगी की प्रतिमूर्ति भारत के इस सच्चे सपूत को मरणोपरांत भारत रत्न के सम्मान से नवाजा गया। ऐसे देशभक्त भारत के लाल लाल बहादुर शास्त्री जी की  पुण्यतिथी  पर उनका शत शत नमन।
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