Thursday 5 January 2017

बैंकों की घटती विश्वसनीयता : गंभीर संकट और कैशलेस डकैती ------ प्रो . हिमांशु / गिरीश मालवीय

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Girish Malviya
05-01-2017
कैशलेस हो जाने के खतरे............... इस लेख का तात्पर्य आपको डराना नहीं है लेकिन पैसो के मामले में कैशलेस हो जाने से जो सामान्य आदमी के मन मे चिंताए उपजति है उसे समझना भी बेहद जरुरी है.....................
सबसे महत्वपूर्ण चिंता है सुरक्षा की, क्या हमारा मेहनत से कमाया पैसा इन कैशलेस उपायों को बिना सोचे समझे अपनाने से सुरक्षित है इसे कुछ इस तरह से समझिए..............
फर्ज कीजिये कि एक सुनसान रात मे आप जरूरी काम से जा रहे है और आपके बटुए मे हजारो रुपये है अचानक आपके पीछे कुछ लुटेरे लग जाते है, आप उन्हें आते हुए देख लेते हो अब आपके पास कम से कम एक ऑप्शन है कि आप पूरा जोर लगाकर दौड़ लगा देते हो और आप बच भी जाते हो................
अब यही परिस्थिति आप साइबर वर्ल्ड की समझे.......... पिछली वाली परिस्थिति मे आप खतरा आसानी से भाप गए थे..और आपने दौड़ लगा दी लेकिन साइबर वर्ल्ड मे आपका पैसा बिलकुल खुले में पड़ा है और कौन सा लुटेरा आप के पैसे पर निगाह डाल कर बैठा है आप नहीं जानते कोई अमेरिका से आपके अकाउंट को हैक कर रहा है कोई चीन मे बैठा आपके ट्रांसिक्शन पर निगाह लगाये है, कोई कलकत्ता से फोन कर आपकी एटीएम कार्ड की डिटेल जानना चाहता है, लेकिन आप इन सब से अंजान है...........
यहाँ आप दौड़ नहीं लगा सकते 
यहाँ चोरी नहीं होगी होगी तो सीधे डकैती होगी............
और हम यह भी नहीं जान पाएंगे कि हम कैसे लुट गए...........
दूसरी चिंता थोड़ी उदारवादी दृष्टिकोण लिए हुए है........
आप सब लोग मॉल तो गए ही होंगे माल में जितनी भी दुकाने होती है उनके पैटर्न पर कभी आप गौर करना जिस सामान की हमारे दैनंदिन जीवन में बेहद अधिक उपयोगिता होती है उसे सबसे अधिक छुपाकर रखा जाता है और जो सामान लग्जरी होता है जिसे बेचने मे दूकान दार का फायदा होता है उसे हमेशा आगे रखा जाता है 
कैशलेस समाज मे इस तरह की मार्केटिंग को और अधिक वरीयता मिलेगी क्योकि आपको अब सब डिजिटल फार्म में करना है आपको दिनरात ऐसी चीजे जचायी जायेगी जो वास्तव मे आपके काम की नहीं है लेकिन उसे भी उपयोगी बताकर बेचा जायेगा जैसा क़ि नापतोल जैसे चैनल आज खुलकर कर रहे है...........
कैशलेस मे लोगो मे बिना सोचे समझे खर्च करने की प्रव्रत्ति को बढ़ावा मिलेगा...........
और भी बहुत से पहलू है इस कैशलेस संस्कृति के कभी फुरसत मे चर्चा की जायेगी...........

    संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश

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