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#इतिहास के #झरोखे से !!
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#भारत का पहला #पत्रकार_हिक्की
भी हुआ था #गिरफ्तार !!
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#हिक्की भारत का पहला पत्रकार था, जो ब्रिटिश नागरिक था. उसका अंत कैसे हुआ पता नहीं ! उसने ब्रिटिश हुकूमत के अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोला था. गिरफ्तारी के बाद उस पर मुकदमा चला था. बाद में उसे हथकड़ी लगाकर पानी की जहाज से वापस भेज दिया गया इंग्लैंड ! वहां पहुंचा कि नहीं या उसका अंत कैसे हुआ ? यह पता नहीं. उसके द्वारा प्रकाशित की गई खबर व सूचनाओं को #हिक्की_गजट के रूप में जाना जाता है.
ब्रिटेन से सामान लेकर आने वाली जहाजों के बारे में वह प्रारम्भ में सूचनाएं देता था, जिससे यहां के व्यापारियों को जानकारी उपलब्ध हो जाती थी कि कौन सी जहाज क्या सामान लेकर कब आ रही है. वह अंग्रेजों के रात्रि क्लब में भी जाता था, जिससे अंग्रेज अफसरों की व्यक्तिगत जिंदगी के बारे में उसे अनेक प्रकार की जानकारियां मिल जाती थीं.
बाद में हिक्की ने अंग्रेज अफसरों और उनकी बीबीयों की प्रेम प्रसंग की खबरें भी छापना शुरू कर दिया था, जिससे अधिकारियों के बीच उसकी खबरें चर्चा का विषय बन गईं. उसे कई बार चेतावनी मिली और ऐसा न करने को कहा गया. इसके बावजूद वो अपनी खबरें देता रहा. अंतत: उसे गिरफ्तार करके मुकदमा चला और उसे वापस इंग्लैंड भेज दिया गया लेकिन वहां पहुंचा की नहीं यह कोई नहीं जानता है.
हिक्की को "फाॅदर आॅफ द इंडियन जर्नलिज्म" भी कहा जाता है. 29 जनवरी, 1780 को उसने कोलकाता से अपना अखबार निकाला था, जिसे "हिक्कीज बंगाल गजट" के नाम से जाना जाता है. संक्षेप में इसे हिक्की गजट भी कहते हैं. अपनी विवादास्पद खबरों के कारण वह कई बार गिरफ्तार हुआ था. उस पर कोलकाता में मुकदमा भी चला था. 1782 में उसका अखबार बंद हो गया. आर्थिक संकट से भी वह जूझता रहा. बाद में पुन: उसने अखबार निकालने की कोशिश की लेकिन अपने प्रयास में सफल नहीं हो सका.
तत्कालीन गवर्नर जनरल के खिलाफ भी वो खबरें लिखता था. जिसके कारण अंग्रेज अफसर उससे नाराज हो गए थे, जिसका खामियाजा भी उसे भुगतना पड़ा था. मूलत: वह व्यापारी था और अपने व्यवसाय के सिलसिले में भारत आया था. व्यवसाय की दृष्टि से उसे कोई सफलता नहीं मिली लेकिन परिस्थितियों ने उसे पत्रकार जरूर बना दिया.
तमाम संकटों व दबाव के बावजूद वह कभी झुका नहीं और संघर्ष करता रहा. बाद में उसकी तबीयत भी खराब हो गई थी. उसके बारे हुए कुछ शोध के मुताबिक 1808 में उसका निधन हो गया. काशी हिंदू विश्वविद्यालय पत्रकारिता विभाग के प्रोफेसर अंजन कुमार बनर्जी कहते थे कि भारत के पहले पत्रकार को जिन संकटों का सामना करना पड़ा था, उससे यहां के पत्रकार आज भी जूझ रहे हैं.
#सुरेश_प्रताप
https://www.facebook.com/sureshpratap.singh.1422/posts/1081290925398060
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश
Suresh Pratap Singh
#इतिहास के #झरोखे से !!
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#भारत का पहला #पत्रकार_हिक्की
भी हुआ था #गिरफ्तार !!
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#हिक्की भारत का पहला पत्रकार था, जो ब्रिटिश नागरिक था. उसका अंत कैसे हुआ पता नहीं ! उसने ब्रिटिश हुकूमत के अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोला था. गिरफ्तारी के बाद उस पर मुकदमा चला था. बाद में उसे हथकड़ी लगाकर पानी की जहाज से वापस भेज दिया गया इंग्लैंड ! वहां पहुंचा कि नहीं या उसका अंत कैसे हुआ ? यह पता नहीं. उसके द्वारा प्रकाशित की गई खबर व सूचनाओं को #हिक्की_गजट के रूप में जाना जाता है.
ब्रिटेन से सामान लेकर आने वाली जहाजों के बारे में वह प्रारम्भ में सूचनाएं देता था, जिससे यहां के व्यापारियों को जानकारी उपलब्ध हो जाती थी कि कौन सी जहाज क्या सामान लेकर कब आ रही है. वह अंग्रेजों के रात्रि क्लब में भी जाता था, जिससे अंग्रेज अफसरों की व्यक्तिगत जिंदगी के बारे में उसे अनेक प्रकार की जानकारियां मिल जाती थीं.
बाद में हिक्की ने अंग्रेज अफसरों और उनकी बीबीयों की प्रेम प्रसंग की खबरें भी छापना शुरू कर दिया था, जिससे अधिकारियों के बीच उसकी खबरें चर्चा का विषय बन गईं. उसे कई बार चेतावनी मिली और ऐसा न करने को कहा गया. इसके बावजूद वो अपनी खबरें देता रहा. अंतत: उसे गिरफ्तार करके मुकदमा चला और उसे वापस इंग्लैंड भेज दिया गया लेकिन वहां पहुंचा की नहीं यह कोई नहीं जानता है.
हिक्की को "फाॅदर आॅफ द इंडियन जर्नलिज्म" भी कहा जाता है. 29 जनवरी, 1780 को उसने कोलकाता से अपना अखबार निकाला था, जिसे "हिक्कीज बंगाल गजट" के नाम से जाना जाता है. संक्षेप में इसे हिक्की गजट भी कहते हैं. अपनी विवादास्पद खबरों के कारण वह कई बार गिरफ्तार हुआ था. उस पर कोलकाता में मुकदमा भी चला था. 1782 में उसका अखबार बंद हो गया. आर्थिक संकट से भी वह जूझता रहा. बाद में पुन: उसने अखबार निकालने की कोशिश की लेकिन अपने प्रयास में सफल नहीं हो सका.
तत्कालीन गवर्नर जनरल के खिलाफ भी वो खबरें लिखता था. जिसके कारण अंग्रेज अफसर उससे नाराज हो गए थे, जिसका खामियाजा भी उसे भुगतना पड़ा था. मूलत: वह व्यापारी था और अपने व्यवसाय के सिलसिले में भारत आया था. व्यवसाय की दृष्टि से उसे कोई सफलता नहीं मिली लेकिन परिस्थितियों ने उसे पत्रकार जरूर बना दिया.
तमाम संकटों व दबाव के बावजूद वह कभी झुका नहीं और संघर्ष करता रहा. बाद में उसकी तबीयत भी खराब हो गई थी. उसके बारे हुए कुछ शोध के मुताबिक 1808 में उसका निधन हो गया. काशी हिंदू विश्वविद्यालय पत्रकारिता विभाग के प्रोफेसर अंजन कुमार बनर्जी कहते थे कि भारत के पहले पत्रकार को जिन संकटों का सामना करना पड़ा था, उससे यहां के पत्रकार आज भी जूझ रहे हैं.
#सुरेश_प्रताप
https://www.facebook.com/sureshpratap.singh.1422/posts/1081290925398060
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश
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