Tuesday, 13 December 2011

अन्ना आंदोलन-संसद पर हमला

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कुछ तथाकथित प्रकांड पंडित अन्ना-आंदोलन को जन-आंदोलन कहते नहीं थक रहे हैं। ये लोग मध्यम वर्ग के उन लोगों को जो उच्च वर्ग की नकल करता रहता है को ही असली जनता बताते फिर रहे हैं। सुप्रसिद्ध मजदूर नेता और लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी साहब के लेख की इस स्कैन कापी का अवलोकन करें और सच्चाई से वाकिफ हों। यह लेख हिंदुस्तान,लखनऊ के 13 दिसंबर 2011 के अंक मे  प्रकाशित हुआ है।

आज 13 दिसंबर को संसद पर आतंकवादी हमला हुये 10 वर्ष व्यतीत हो चुके हैं। लेकिन इधर 06 माह से अन्ना और उनकी टीम लगातार जो संसद पर हमला कर रही है वह उस आतंकवादी हमले से ज्यादा गंभीर और खतरनाक है। यह अर्द्ध सैनिक तानाशाही स्थापित करने की गंभीर साजिश है।








 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

2 comments:

  1. सही मुद्दे को लेकर आपने बहुत ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है! सटीक लेख!

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  2. मैं पूर्ण रूप से सहमती नहीं हूँ इस बात से की संसद ही सही जगह है हर मुद्दे के लिए ... और वो जब भ्रष्टतम लोग संसद में बैठे होँ और अपने फायदे के अलावा कुछ सोच भी नहीं सकते ...

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