Saturday, 23 June 2012

कथनी और करनी का यही अंतर ले डूबा

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हिंदुस्तान-लखनऊ-23/06/2012 
उपरोक्त स्कैन मे विद्वान ,विचरवान और एक बड़े मार्क्सवादी नेता का लेख है जो किसी भी रूप मे गलत नहीं कहा जा सकता किन्तु उनही की पार्टी 'राष्ट्रपति चुनाव' मे उसी उम्मीदवार का समर्थन कर रही है जिसे ऐसे ही प्रधानमंत्री की पार्टी ने अमेरिकी हित -संरक्षण हेतु खड़ा किया है।

पश्चिम बंगाल मे 34 वर्षों का मार्क्सवादी पार्टी का शासन 'साम्यवादी' शासन नहीं वरन 'बंगाली पार्टी' का शासन था और उसी बंगालेवाद के आधार पर इन नेता की पार्टी ने पी एम की पार्टी के उम्मीदवार को समर्थन दिया है। फिर ऐसे लेख किसको मूर्ख बनाने के लिए हैं खुद को या जनता को?







 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

1 comment:

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