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कल शाम लखनऊ में आयोजित आदरणीय राजेंद्र यादव जी की स्मृति में सम्पन्न गोष्ठी में व्यक्त विचार इस समाचार कटिंग के माध्यम से वीरेंद्र यादव जी ने अपनी वाल पर शेयर किए थे। इसके अतिरिक्त 'हिंदुस्तान',लखनऊ के लाईव अंक में एक समाचार और जुड़ा हुआ है कि वक्ताओं ने चिंता व्यक्त की कि अब 'हंस' का उत्तराधिकारी कौन?
इस प्रश्न की आवश्यकता क्या थी ?जबकि राजेन्द्र यादव जी की फेसबुक वाल पर उनकी सुपुत्री सुश्री रचना यादव जी ने यह स्टेटस दे दिया था। :
पहले मेरा विचार इस गोष्ठी में उपस्थित होकर वक्ताओं को सुनने का था। मुझे फेसबुक पर फ्रेंड स्वीकार करने में राजेन्द्र यादव जी ने बिलकुल भी संकोच नहीं किया था; मैं तो उनको एक महान साहित्यकार के रूप में जानता था जबकि मैं खुद उनके लिए अनजान व्यक्ति था।परंतु फिर यह सोच कर जाना स्थगित कर दिया कि वहाँ तो बड़े- बड़े लोग होंगे और थे भी जिनमें सिर्फ इप्टा के राकेश जी ही अभिवादन का ठीक से जवाब देते हैं बाकी लोग तो आश्चर्य से देखते हैं कि यह मामूली आदमी यहा कैसे?जब हिंदुस्तान में 'हंस' के उत्तराधिकारी के बारे में जिज्ञासा का समाचार पढ़ा तो लगा कि मैंने वहाँ उपस्थित न होकर अच्छा ही किया।
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर
समाचार फोटो वीरेंद्र यादव जी की वाल से साभार |
हिंदुस्तान लाईव,लखनऊ,पृष्ठ-26,दिनांक 31-10-2013 |
इस प्रश्न की आवश्यकता क्या थी ?जबकि राजेन्द्र यादव जी की फेसबुक वाल पर उनकी सुपुत्री सुश्री रचना यादव जी ने यह स्टेटस दे दिया था। :
मेरे
पिता श्री राजेंद्र यादव के अचानक हम सब को छोड़ कर चले जाने पर आप सभी
दोस्तों ने जितने शोक संदेश, संवेदना और श्रद्धांजलि अर्पित की है, मैं एवं
हंस परिवार के सभी कार्यकर्ता आप सभी के आभारी हैं. इस समय हम सब को आप
सभी के स्नेह, शुभकामनाओ और साथ की बहुत आवश्यकता है. पापा के हम सब में
विश्वास और आपके इसी प्यार के भरोसे हम हंस की गरिमा को बनाये रखने कि
कोशिश करेंगे और आप तक पहुँचाते रहेंगे.
परम् धन्यवाद सहित
रचना यादव एवं हंस परिवार
परम् धन्यवाद सहित
रचना यादव एवं हंस परिवार
- You, Virendra Yadav, अंजू शर्मा, Asrar Khan and 284 others like this.
पहले मेरा विचार इस गोष्ठी में उपस्थित होकर वक्ताओं को सुनने का था। मुझे फेसबुक पर फ्रेंड स्वीकार करने में राजेन्द्र यादव जी ने बिलकुल भी संकोच नहीं किया था; मैं तो उनको एक महान साहित्यकार के रूप में जानता था जबकि मैं खुद उनके लिए अनजान व्यक्ति था।परंतु फिर यह सोच कर जाना स्थगित कर दिया कि वहाँ तो बड़े- बड़े लोग होंगे और थे भी जिनमें सिर्फ इप्टा के राकेश जी ही अभिवादन का ठीक से जवाब देते हैं बाकी लोग तो आश्चर्य से देखते हैं कि यह मामूली आदमी यहा कैसे?जब हिंदुस्तान में 'हंस' के उत्तराधिकारी के बारे में जिज्ञासा का समाचार पढ़ा तो लगा कि मैंने वहाँ उपस्थित न होकर अच्छा ही किया।
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर