स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं )
राजनीति :
जब लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री थे तब उन्होने पैर छूने - चरण स्पर्श की परंपरा का विरोध किया था लेकिन अब जे एन यू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार द्वारा उनके पैर छू कर आशीर्वाद लेने पर कन्हैया की आर एस एस व कारपोरेट समर्थक वामपंथियों द्वारा कड़ी आलोचना की जा रही है। विभिन्न विद्वानों के मत संकलित कर प्रस्तुत किए गए हैं। व्यक्तिगत रूप से राजनीति में पैर छूने या चरण स्पर्श की प्रक्रिया का मैं समर्थन नहीं करता लेकिन मैंने यह भी देखा है कि, भाकपा, यू पी के प्रदेश कार्यालय में बैठ कर पार्टी के सीताराम केसरी बने कोषाध्यक्ष ब्राह्मण कामरेड AISF व AIYF के नेता रहे ब्राह्मण व यादव युवाओं से अपनी कुर्सी पर बैठे-बैठे पैर छुवाते - चरण स्पर्श करवाते हैं। तब कामरेडशिप आड़े नहीं आती है क्योंकि वह ब्राह्मण कामरेड हैं । लालू जी के चरण स्पर्श पर समस्या इसलिए है कि वह ब्राह्मण नहीं हैं। यह भेदभाव ही तो
' ब्राह्मण वाद ' है।
विज्ञान :
हाथ और पैरों में अंगूठा समेत दस- दस उँगलियाँ होती हैं । इनमें पैर की उँगलियों के नाखूनों द्वारा 'ऊर्जा' बाहर निकलती है जबकि हाथ की उँगलियों के नाखूनों द्वारा 'ऊर्जा' ग्रहण की जाती है। पैर छूने अथवा चरण स्पर्श का विज्ञान यह है कि यदि किसी विद्वान के चरण हाथ द्वारा स्पर्श किए जाएँ तो ज्ञान का अंश हाथों द्वारा प्राप्त किया जाता है। इसी लिए सबके चरण स्पर्श का विधान भी नहीं था। आजकल उस लायक कोई विद्वान भी नहीं है।
चरण स्पर्श की भी वैज्ञानिक विधि यह है कि, चरण स्पर्श करने वाला ज्ञान पिपासू अपने दाहिने हाथ के नाखून विद्वान के दाहिने पैर के नाखूनों पर इस प्रकार रखे कि अंगूठा अंगूठे पर तर्जनी तर्जनी पर , मध्यमा मध्यमा पर , अनामिका अनामिका पर और कनिष्ठा कनिष्ठा पर रहे। इसी प्रकार बायाँ हाथ बाएँ पैर पर रहे। अर्थात हथेली को उलट कर X चरण स्पर्श करना होता है। तभी विद्वान के पैरों के पर्वतों से निकालने वाली ज्ञान रश्मियेँ इच्छुक जिज्ञासु के हाथों द्वारा उसके शरीर में प्रविष्ट होती है।
आज व्यवहार में पैर छूने चरण स्पर्श की जो प्रक्रिया है वह मात्र दिखावा भर है कि किसी बड़े को सम्मान दिया गया है। बड़े को सम्मान देना कोई गुनाह नहीं है अतः कन्हैया की आलोचना सिर्फ उनकी लोकप्रियता की प्रतिक्रिया में उत्पन्न खिसियाहट भर है।
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश
**************************************************************
Facebook comments :
राजनीति :
जब लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री थे तब उन्होने पैर छूने - चरण स्पर्श की परंपरा का विरोध किया था लेकिन अब जे एन यू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार द्वारा उनके पैर छू कर आशीर्वाद लेने पर कन्हैया की आर एस एस व कारपोरेट समर्थक वामपंथियों द्वारा कड़ी आलोचना की जा रही है। विभिन्न विद्वानों के मत संकलित कर प्रस्तुत किए गए हैं। व्यक्तिगत रूप से राजनीति में पैर छूने या चरण स्पर्श की प्रक्रिया का मैं समर्थन नहीं करता लेकिन मैंने यह भी देखा है कि, भाकपा, यू पी के प्रदेश कार्यालय में बैठ कर पार्टी के सीताराम केसरी बने कोषाध्यक्ष ब्राह्मण कामरेड AISF व AIYF के नेता रहे ब्राह्मण व यादव युवाओं से अपनी कुर्सी पर बैठे-बैठे पैर छुवाते - चरण स्पर्श करवाते हैं। तब कामरेडशिप आड़े नहीं आती है क्योंकि वह ब्राह्मण कामरेड हैं । लालू जी के चरण स्पर्श पर समस्या इसलिए है कि वह ब्राह्मण नहीं हैं। यह भेदभाव ही तो
' ब्राह्मण वाद ' है।
विज्ञान :
हाथ और पैरों में अंगूठा समेत दस- दस उँगलियाँ होती हैं । इनमें पैर की उँगलियों के नाखूनों द्वारा 'ऊर्जा' बाहर निकलती है जबकि हाथ की उँगलियों के नाखूनों द्वारा 'ऊर्जा' ग्रहण की जाती है। पैर छूने अथवा चरण स्पर्श का विज्ञान यह है कि यदि किसी विद्वान के चरण हाथ द्वारा स्पर्श किए जाएँ तो ज्ञान का अंश हाथों द्वारा प्राप्त किया जाता है। इसी लिए सबके चरण स्पर्श का विधान भी नहीं था। आजकल उस लायक कोई विद्वान भी नहीं है।
चरण स्पर्श की भी वैज्ञानिक विधि यह है कि, चरण स्पर्श करने वाला ज्ञान पिपासू अपने दाहिने हाथ के नाखून विद्वान के दाहिने पैर के नाखूनों पर इस प्रकार रखे कि अंगूठा अंगूठे पर तर्जनी तर्जनी पर , मध्यमा मध्यमा पर , अनामिका अनामिका पर और कनिष्ठा कनिष्ठा पर रहे। इसी प्रकार बायाँ हाथ बाएँ पैर पर रहे। अर्थात हथेली को उलट कर X चरण स्पर्श करना होता है। तभी विद्वान के पैरों के पर्वतों से निकालने वाली ज्ञान रश्मियेँ इच्छुक जिज्ञासु के हाथों द्वारा उसके शरीर में प्रविष्ट होती है।
आज व्यवहार में पैर छूने चरण स्पर्श की जो प्रक्रिया है वह मात्र दिखावा भर है कि किसी बड़े को सम्मान दिया गया है। बड़े को सम्मान देना कोई गुनाह नहीं है अतः कन्हैया की आलोचना सिर्फ उनकी लोकप्रियता की प्रतिक्रिया में उत्पन्न खिसियाहट भर है।
संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश
**************************************************************
Facebook comments :
03-05-2016 |
05-05-2016 |
05-05-2016 |
No comments:
Post a Comment
कुछ अनर्गल टिप्पणियों के प्राप्त होने के कारण इस ब्लॉग पर मोडरेशन सक्षम है.असुविधा के लिए खेद है.