Sunday, 15 May 2016

कवि लालटू जी की कविताओं का पाठ व परिचर्चा ------ विजय राजबली माथुर

आज साँय पाँच बजे 'जनसंदेश टाईम्स ' लखनऊ के गोष्ठी कक्ष में पंजाबी व बांग्ला भाषाओं के ज्ञाता वैज्ञानिक शिक्षक व सुप्रसिद्ध कवि 'लालटू ' जी के साथ नगर के प्रबुद्ध नागरिकों की  एक संवाद वार्ता सम्पन्न हुई जिसका कुशल संचालन कौशल किशोर जी ने किया । 
प्रारम्भ में कवि महोदय ने अपनी चुनी हुई कुछ कविताओं का पाठ किया । उन्होने अपनी कविताओं को गद्य कविता की संज्ञा दी थी। कुछ कविताओं के शीर्षक ये थे- अढ़ाई,कढ़ाई,पढ़ाई,चढ़ाई । इनके अतिरिक्त अन्य कविताओं ने भी लोगों का ध्यान आकर्षित किया। 
कविता पाठ के बाद  किरण सिंह जी  ने सर्व प्रथम विचार व्यक्त करते हुये विभिन्न कविताओं की व्याख्या करते हुये कवि के मर्म की सराहना की। सुभाष जी व दो अन्य विद्वानों ने कवि द्वारा जन को आकर्षित न कर पाने की ओर ध्यानाकर्षण किया जबकि बंधु कुशवर जी व प्रताप जी द्वारा इन कविताओं को उपयुक्त बताते हुये और व्यापक करने की मांग की गई। उषा राय जी व अनीता श्रीवास्तव जी द्वारा कवि की भावनाओं की प्रशंसा की गई तथा अनीता जी द्वारा अपनी पत्रिका 'रेवान्त ' हेतु कुछ कविताओं की मांग भी की गई। नसीम साकेती साहब तथा भग्वान स्वरूप कटियार जी  एवं राकेश जी द्वारा भी कविताओं की गूढ़ता की ओर इंगित किया गया। जनसंदेश टाईम्स के प्रधान संपादक सुभाष राय जी ने स्पष्ट कहा कि, लालटू जी की कविताओं के अर्थ समझने के लिए धैर्य व विश्लेषण क्षमता का विकसित होना ज़रूरी है तभी उनका संदर्भ पता चलेगा। 
कौशल किशोर जी द्वारा अपनी राय मांगे जाने पर विजय माथुर ने साफ साफ कहा कि उनकी दिलचस्पी भी कविता में नहीं है और कविता समझने का ज्ञान भी उनके पास नहीं है। लेकिन 51 वर्ष पूर्व पढ़ाई के दौरान जयशंकर प्रसाद जी द्वारा 'कामायनी' के एक पद्य के संबंध विभिन्न कवियों के मतांतर के संबंध मे कही गई जो बात जानी थी वह आज लालटू जी की कविताओं के संबंध में विभिन्न विचार सुन कर स्पष्ट हो गई। इस प्रकार आज लालटू जी की कविताओं के पाठ में शामिल होना काफी सार्थक रहा। 
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