http://www.bhaskar.com/news/MH-MUM-OMC-abha-singh-hit-and-run-case-main-advocate-4985472-PHO.html?seq=1
मुंबई. हिट एंड रन मामले में करीब 13 साल बाद फिल्म अभिनेता सलमान खान
को 5 साल की सजा सुनाई गई। बुधवार को ही उन्हें हाईकोर्ट ने दो दिन की
अंतरिम जमानत भी दे दी, लेकिन उनकी मुश्किल अभी खत्म नहीं हुई है। सलमान
को सजा दिलाने में जिन लोगों ने अहम रोल निभाया है। उनमें आभा सिंह का नाम
सबसे ऊपर है। पेशे से वकील आभा सिंह ने मुकदमे में देरी के मुद्दे को
सार्वजनिक रुप से उठाया था।
उन्होंने पुलिस भूमिका पर भी सवाल उठाए थे। उन्होंने एक याचिका दायर
कर आरोप लगाया था कि पुलिस सलमान को बचाने की कोशिश कर रही है। आभा ने कुल
पांच याचिकाएं दायर की थीं। आभा सिंह ने कहा था कि जब चर्चित एलिस्टर परेरा
के मुकदमे की सुनवाई एक साल में पूरी हो गई। नूरिया हवेलीवाला मामले में
फैसला आ गया तो सलमान के मुकदमे में इतना वक्त क्यों लग रहा है?
2012 में उनके सवालों के बाद ही पुलिस सलमान मामले से गायब हुई फाइलें
खोज पाई थी। फिर उन पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज करने को लेकर गंभीर
हुई थी। उन्होंने सवाल उठाया था कि जब कार में सलमान के साथ सवार रहे
रवींद्र पाटिल की मौत हो गई थी, तो उनके साथ कार में सवार रहे कमाल खान को
चश्मदीद गवाह क्यों नहीं बनाया गया?
अपनी याचिका में आभा सिंह ने घटना के वक्त सलमान के साथ रहे उनके
पुलिस बॉडीगार्ड का पक्ष बहुत सशक्त तरीके से रखा था। आभा सिंह ही वह वकील
हैं जिन्होंने आरोपी पक्ष द्वारा अशोक सिंह को ड्राइवर के रूप में पेश किए
जाने पर सख्त आपत्ति दर्ज कराते हुए अदालत में कहा था कि अशोक को 12 साल तक
अपनी गलती का अहसास क्यों नहीं हुआ। लंबे इंतजार के बाद आए इस
निर्णय को लेकर भास्कर ने आभा सिंह से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने पुलिस
से आग्रह किया है कि वे सेलिब्रिटी और आम आदमी के बीच कोई फर्क न करें।
निष्पक्षता से अपना काम करें।
सलमान को मिली सजा को किस तरह से देखती हैं?:
मुकदमें की सुनवाई निश्चित तौर पर तेजी से होनी चाहिए थी। पर, अब मैं
सिर्फ इतना कह सकती हूं कि देर आए दुरुस्त आए । इस फैसले की जो महत्वपूर्ण
बात है वह यह कि इससे नशे में गाड़ी चलाने से जुड़े मामले को मजबूती
मिलेगी। लोगों में जागरूकता और भय का निर्माण होगा।
भय से क्या मतलब है?:
सिर्फ यह है कि आप ने यदि गलती की है तो कानून आपको उसकी सजा देगा।
फिर आप चाहे कितने ही बड़े और उंचे क्यों न हो। कानून की नजर में सब एक
समान हैं। सलमान मामले से लोगों को एक बड़ा सबक मिलेगा।
इस मुकदमे में देरी की क्या वजह मानती हैं?
किसी भी मामले की दो महत्वपूर्ण चीजें होती हैं। पहले गवाह और दूसरा
आरोपपत्र। यदि पुलिस पहले ही गवाहों के बयान 164 के तहत मैजिस्ट्रेट के
सामने दर्ज कर ले तो गवाहों के न रहने की स्थिति में उसका इस्तेमाल किया जा
सकता है। साथ ही, गवाह के मुकरने की भी समस्या कम हो जाती है।
इसके साथ ही पुलिस को मजबूत आरोपपत्र दायर करने पर भी जोर देना
चाहिए। जहां तक विलंब की बात है तो पहले गवाहों के बयान दर्ज कराने में
पुलिस की ओर से देरी की गई। दूसरा पुलिस का केस को लेकर रवैया भी ढुलमुल
था।
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