इन्टरनेट यानि अंतर्जाल पर बने मित्रो के रिश्तो पर मेरा अनुभव
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पड़ोसिओ,पारिवारिक
रिश्तो अर्थात तथाकथित वास्तविक दुनिया के रिश्तो से बेहतर भावनाओ की समझ
रखने वाले,समझने वाले और समझाने वाले ,हर ख़ुशी-गम आपस में मिल बटने वाले
लोग मुझे तो इस तथाकथित आभाशी -काल्पनिक दुनिया में मिले है| अनतर्जाल पर
पता नहीं कितने प्रकार के जाल होंगे लेकिन मैं तो अपने अंतर्जाल के इन
मित्रो के स्नेह,ममत्व,अपनत्व के जाल में बहुत ही सुकून महसूस करता हूँ |
मेरे अपने जीवन के उस
मोड़ पर जब करीबी लगभग सभी रिश्तेदारों ने मुंह मोड़ लिया था
,राजनीतिक-सामाजिक लाभ ले चुके लोगो ने भी किनारा कस लिया था तो उस अकेलेपन
के दौर से गुजरने में चन्द रिश्तो की डोर ने मुझे ताकत दिया,जीवन संघर्ष
को आगे बढ़ाने के लिए मजबूर किया| यह चन्द रिश्ते ना होते तो शायद यह जीवन
भी ना होता| अकेलेपन की दुनिया से निकलने और स्वार्थी लोगो से एक दुरी
बनाये रखने के लिए इन्टरनेट का प्रयोग शुरु किया | आज यह गर्व से कह सकता
हूँ की यह इन्टरनेट की ताकत ही है कि तमाम अनजाने लोगो से मेरी जान-पहचान
हुई और उनके स्नेह ने मुझे दिनों दिन हौसला ही दिया | आज तमाम पुराने जानने
वाले स्वार्थी रिश्तेदारों से मुझे निजात मिल चुका है,अब मेरी स्थिति सभी
स्नेही जनों के आशीर्वाद से अच्छी है | उन लोगो से मिलने ,बात करने में
मेरी तनिक भी रूचि नहीं रहती जिन्होंने मेरा साथ मेरे बुरे वक़्त में नहीं
दिया | आज मैं इन्टरनेट के ही माध्यम से एक बड़े और नए रिश्तो को हशी-ख़ुशी
जी रहा हूँ,खून से बड़े स्नेह रखने वाले लोग यहाँ मुझे मिले है|फेसबुक के
सभी मित्र आज मुझे अपने परिवार के ही लगते है| मेरा अनुभव तो यही है इस
अंतर्जाल के सन्दर्भ में ......
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