Tuesday, 26 May 2015

इप्टा के स्थापना दिवस पर लखनऊ में 'कर्मकांड पर कटाक्ष '

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कल साँय इप्टा कार्यालय, क़ैसर बाग , लखनऊ में इप्टा के 73वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में एक गोष्ठी सम्पन्न हुई जिसके उपरांत नाटक 'गंगा लाभ ' का मंचन किया गया। इस नाटक के माध्यम से  मृत्यु के अवसर का भी पोंगा-पंडितों द्वारा अपनी आजीविका के हित में शोषण हेतु  प्रयोग किया जाना बड़े ही मर्म स्पर्शी ढंग से प्रस्तुत किया गया। किस प्रकार गरीब की  भूमि का दबंगों द्वारा कब्जा किया जाता है उस पर भी नाटक में प्रकाश डाला गया है। 

जब मोदी सरकार की वार्षिकी मनाई जा रही थी तब इस सरकार के भूमि अधिग्रहण संबंधी काले कानून की तलवार भी किसानों पर लटक रही थी अतः इस नाटक के मंचन का समय बिलकुल उचित रहा। लेकिन एक दिन पूर्व गंजिंग के अवसर पर एक लाख लोगों की उपस्थिती के मुक़ाबले इस नाटक के दर्शकों की उपस्थिति नगण्य थी। आमंत्रित विद्वत जनो के अतिरिक्त कलाकार और पार्टी सदस्य ही दर्शक व श्रोता थे। साधारण जनता की भागीदारी नहीं थी जबकि नाटक जन सरोकारों से संबन्धित था। कार्यालय प्रांगण के स्थान पर सार्वजनिक स्थान पर इस नाटक का मंचन जनता को आकर्षित कर सकता था। जन नाट्य संघ (IPTA) के स्थापना दिवस पर जन (People ) का न होना चिंताजनक परिस्थितियों का परिचायक है। नब्बे के दशक में आगरा -IPTA द्वारा सार्वजनिक चौराहों, पार्कों, मंदिरों के निकट इस प्रकार के नाटक आयोजित किए जाते थे जिनमें पूर्व सूचना के बिना भी जनता की भागीदारी हो जाती थी। किन्तु आज के उदारीकरण और विकास के युग में बिना प्रचार और कड़ी मशक्कत के बगैर ऐसा हो पाना संभव भी नहीं है। अगले माह जून में लखनऊ में ही IPTA का राष्ट्रीय सम्मेलन भी होने जा रहा है जिससे साधारण जनता को भी सम्बद्ध किया जाना चाहिए।

 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश

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