Friday 4 September 2015

कवि असद जैदी साहब को 'राही मासूम रजा सम्मान' --- विजय राजबली माथुर / कौशल किशोर

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असद जैदी साहब 


  दिनांक 01 सितंबर 2015 को क़ैसर बाग स्थित राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह के जयशंकर प्रसाद सभागार में 'राही मासूम रज़ा साहित्य एकेडमी' के तत्वावधान में कवि-शायर असद जैदी साहब का सम्मान समारोह राही साहब की 88 वीं जयंती के अवसर पर आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता सुप्रसिद्ध कथाकार शेखर जोशी जी व प्रोफेसर उदय प्रताप सिंह जी (कार्यकारी अध्यक्ष,उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान) ने संयुक्त रूप से की व संचालन ऊषा राय जी ने किया।
महामंत्री राम किशोर जी की ओर से एकेडमी के उद्देश्यों का वाचन प्रज्ञा पांडे जी ने किया। बाद में राम किशोर जी ने अब तक की गतिविधियों पर व्यापक प्रकाश डाला। अध्यक्ष मण्डल व मंचस्थ विद्वानों ने असद जैदी साहब को प्रशस्ति पत्र भेंट किया। साबिया सिद्दीकी व पूनम तिवारी ने शाल आदि भेंट किए। एकेडमी की वार्षिकी का विमोचन भी मंचस्थ विद्वानों के कर कमलों से सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में  शायर जाफरी साहब व श्रीमती अनिला प्रभाकर  जी (सुपुत्री श्री के के शुक्ला जो वहाँ कार्यक्रम में उपस्थित थे  )  ने राही साहब की गज़लों का प्रस्तुतीकरण  सुमधुर गायन शैली में  किया।
विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने असद जैदी साहब का माल्यार्पण कर अभिनंदन किया। IPTA की ओर से जैदी  साहब को माल्यार्पण प्रदीप घोष साहब ने किया। IPTA की ओर से राकेश जी व प्रलेस की ओर से शकील सिद्दीकी साहब, जसम के कौशल किशोर व जन संदेश टाईम्स के प्रधान संपादक सुभाष राय साहब भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।
अखिलेश चमन साहब ने जैदी साहब का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया । राजस्थान के करौली में 1954 में जन्में असद जैदी साहब की शिक्षा आगरा व दिल्ली में भी हुई । 1970 से आप साहित्य साधना में सक्रिय हैं। 1993 में उनकी कविता " यह ऐसा समय है " को काफी सराहना मिली। उनके तीन काव्य संकलन प्रकाशित हो चुके हैं।
असद जैदी साहब ने अपने संदेश में चिंता व्यक्त की कि आज राही साहब के समय से ज़्यादा बड़ा संकट उपस्थित हो गया है। साहित्यकार के समक्ष यह विकट समस्या है कि वह क्रांति के वाहक 'मध्यम वर्ग' के बाज़ार के हाथों बिक जाने  के कारण उदासीन हो जाने की अवस्था को पुनः जाग्रत करे। इसके लिए उसे इस मध्यम वर्ग के सरोकारों के साथ खुद को जोड़ना होगा।  उन्होने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि लखनऊ के लोगों ने राही साहब को एक शायर के रूप मान्यता दी व सराहा है जबकि अन्य जगहों पर उनको एक उपन्यासकार के रूप में ही जाना जाता है। उन्होने खास ज़ोर देकर कहा कि जो जातिवादी है वह सांप्रदायिकता विरोधी हो ही नहीं सकता। उनकी चिंता थी कि पहले साम्राज्यवाद के प्रतिरोध की बात होती थी फिर पूंजीवाद के प्रतिरोध की अब तो ग्लोबलाईज़ेशन होगया है जिसमें समन्वय की बात होती है और बाजारवाद ने प्रतिरोध की क्षमता को ही कुंद  कर दिया है। यह सब मनमोहन सिंह के 25 वर्ष के शासन का परिणाम है। उन्होने इसे स्पष्ट करते हुये बताया कि बाजरवाद 1991 से मनमोहन सिंह द्वारा प्रस्तुत उदारीकरण का स्वभाविक परिणाम है।
उदय प्रताप सिंह जी ने असद साहब की इस बात का कि जातिवादी सांप्रदायिकता का विरोधी नहीं हो सकता पूर्ण समर्थन करते हुये बताया कि 'समाजवाद,धर्म निरपेक्षता और लोकतन्त्र' तीनों ही समानता पर आधारित हैं। एक क्षेत्र में समानता को मानने व अन्य क्षेत्रों में न मानने से समानता नहीं स्थापित हो सकती है।
शेखर जोशी जी ने राही साहब की नीतियों पर असद साहब को पुरुसकार प्राप्ति का सुयोग्य पात्र बताया। उन्होने एकेडमी की स्थापना में के पी सिंह जी व उनकी पत्नी नमिता जी के योगदान की विशेष चर्चा की। वंदना मिश्रा जी ने सभी अतिथियों व आगंतुकों का धनवाद ज्ञापन किया।
https://www.facebook.com/vijai.mathur/posts/934751226586854?pnref=story






संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त यश

1 comment:

  1. सुंदर प्रस्तुति हेतु आपका आभार!
    जैदी जी को हार्दिक बधाई

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