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काफी दिनों से अखबारों की सुर्खियों में उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी की अंतर्कलह के तमाम किस्से छप रहे हैं । शपथ - ग्रहण के अगले दिन 16 मार्च 2012 को मैंने उसका विश्लेषण अपने ब्लाग में दिया था उसे पुनः प्रकाशित किया जा रहा है कुछ नई सूचनाओं के साथ ।
Friday, March 16, 2012
ग्रहों के आईने मे अखिलेश सरकार
http://krantiswar.blogspot.in/2012/03/blog-post_16.html
हम यहाँ आपको अखिलेश यादव जी की शपथ-कुण्डली के आधार पर ग्रह-नक्षत्रो की चाल से अवगत कराएंगे,यह जानते हुये भी कि आप मे से तथाकथित प्रगतिशील और तथाकथित विज्ञानी महानुभाव इसकी कड़ी आलोचना करेंगे।
अखिलेश यादव जी ने लखनऊ मे सुबह 11-30 मिनट पर 'पद एवं गोपनीयता की शपथ' ग्रहण की है। चैत्र कृष्ण अष्टमी विक्रमी संवत 2068,शक संवत 1933 ,गुरुवार,मूल नक्षत्र,साध्य योग एवं कौलव करण मे शपथ ग्रहण हुआ है और उस समय लखनऊ के पूर्वी क्षितिज पर 'वृष' लग्न थी,हालांकि समारोह के मध्य ही मिथुन लग्न भी लग गई और कुछ मंत्रियों का शपथ ग्रहण दूसरी लग्न मे भी हुआ परंतु हम मुख्यमंत्री की शपथ को ही सरकार के भविष्य के लिहाज से लेंगे।
पहले यह देख लें कि मतदान 08 फरवरी से 04 मार्च के मध्य उत्तर प्रदेश मे सम्पन्न हुआ था जिस समय 'शनि'और 'मंगल'वक्री चल रहे थे जिसका परिणाम सचिव,सभासद हेतु आपदा कारक था। 29 तारीख की प्रातः 'शुक्र' मेष राशि मे 'गुरु'के साथ आ गया था जिसका फल सत्ता नायक और सत्ता दल पर भारी था। अतः 06 मार्च को घोषित परिणाम बसपा सरकार के विरुद्ध गया और मायावती जी को पद छोडना पड़ा। किन्तु अखिलेश जी ने मनोनीत होने के बावजूद किसी न किसी बहाने से तुरंत शपथ नहीं ली।
स्थिर लग्न-वृष मे शपथ ग्रहण :
चैत्र कृष्ण सप्तमी =14 मार्च को 'सूर्य' 'मीन राशि' मे प्रवेश कर गया जो दलपति-नायक,राजदूत,राजपत्रित अधिकारियों हेतु शुभ है अतः अखिलेश जी ने 15 मार्च को सुबह स्थिर लग्न-वृष मे शपथ ग्रहण किया। ऊपर उस समय की कुण्डली दी गई है अवलोकन करें। तिथि अष्टमी सर्वथा शुभ तिथि होती है,नक्षत्र-'मूल' का प्रभाव यह होगा कि वह अखिलेश जी को यशस्वी,समाजसेवी,कला और विज्ञान का प्रेमी बना कर साहस,कर्मठता,नेतृत्व शक्ति का धनी और उत्तम विचारो का पोषक भी बनाएगा।
'चंद्रमा' धनु राशि मे होने के कारण हठवादी, चतुर और मधुर-भाषी बनाए रखेगा। गुरुवार का दिन तो शपथ ग्रहण के लिए शुभ होता ही है। 'वृष'लग्न स्थिर होने के कारण सामान्यतः सरकार को 'स्थिर' रखेगी। जन -समाज का स्नेह-भाजन मुख्यमंत्री को बनाने वाली लग्न रहेगी।
शपथ-ग्रहण के समय 'शुक्र' की महादशा मे 'शुक्र' की ही अंतर दशा थी जो अभी 08 जून 2015 तक चलेगी जो सरकार के लिए शुभता प्रदान करती रहेगी। शपथ-कुण्डली का दूसरा भाव (जो जनता तथा राज्य कृपा का भाव है ) तथा पंचम भाव ( जो लोकतन्त्र का है )का स्वामी होकर बुध एकादश भाव मे सूर्य के साथ है। अतः बुद्धिमानी द्वारा हानि पर नियंत्रण पाने की क्षमता बनी रहेगी।
सरकार के स्थाईत्व हेतु शुभ नहीं :
तीसरा भाव पराक्रम और जनमत का है जिसका स्वामी होकर चंद्रमा अष्टम भाव मे चला गया है जो सरकार के स्थाईत्व हेतु शुभ नहीं है।
सातवें भाव (जो सहयोगियों,राजनीतिक साथियों एवं पार्टी नेतृत्व का है )का स्वामी मंगल चतुर्थ भाव (जो लोकप्रियता व मान-सम्मान का है )मे सूर्य की राशि मे स्थित है । यह स्थिति शत्रु बढ़ाने वाली है इसी के साथ-साथ सातवें भाव मे मंगल की राशि मे 'राहू' स्थित है जो कलह के योग उत्पन्न कर रहा है।
ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार के मध्य काल तक पार्टी मे अंदरूनी कलह-क्लेश और टकराव बढ़ जाएँगे। ये परिस्थितियाँ पार्टी को दो-फाड़ करने और सरकार गिराने तक भी जा सकती हैं। निश्चय ही विरोधी दल तो ऐसा ही चाहेंगे भी।
लेकिन 09 जून 2015 से प्रारम्भ शुक्र मे सूर्य की अंतर दशा और फिर 09 जून 2016 से प्रारम्भ चंद्र की अंतर दशाओं के भी शुभ रहने एवं शपथ ग्रहण के दिन गुरुवार ,मूल नक्षत्र,और चंद्रमा के गुरु की धनु राशि मे होने तथा तिथि अष्टमी रहने के कारण अखिलेश जी अपनी कुशाग्र बुद्धि से सभी समस्याओं का निदान करने मे सफल रहेंगे ऐसी संभावनाएं मौजूद हैं और सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर सकेगी ऐसी हम आशा करते हैं ।
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काफी दिनों से अखबारों की सुर्खियों में उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी की अंतर्कलह के तमाम किस्से छप रहे हैं । शपथ - ग्रहण के अगले दिन 16 मार्च 2012 को मैंने उसका विश्लेषण अपने ब्लाग में दिया था उसे पुनः प्रकाशित किया जा रहा है कुछ नई सूचनाओं के साथ ।
Friday, March 16, 2012
ग्रहों के आईने मे अखिलेश सरकार
http://krantiswar.blogspot.in/2012/03/blog-post_16.html
हम यहाँ आपको अखिलेश यादव जी की शपथ-कुण्डली के आधार पर ग्रह-नक्षत्रो की चाल से अवगत कराएंगे,यह जानते हुये भी कि आप मे से तथाकथित प्रगतिशील और तथाकथित विज्ञानी महानुभाव इसकी कड़ी आलोचना करेंगे।
अखिलेश यादव जी ने लखनऊ मे सुबह 11-30 मिनट पर 'पद एवं गोपनीयता की शपथ' ग्रहण की है। चैत्र कृष्ण अष्टमी विक्रमी संवत 2068,शक संवत 1933 ,गुरुवार,मूल नक्षत्र,साध्य योग एवं कौलव करण मे शपथ ग्रहण हुआ है और उस समय लखनऊ के पूर्वी क्षितिज पर 'वृष' लग्न थी,हालांकि समारोह के मध्य ही मिथुन लग्न भी लग गई और कुछ मंत्रियों का शपथ ग्रहण दूसरी लग्न मे भी हुआ परंतु हम मुख्यमंत्री की शपथ को ही सरकार के भविष्य के लिहाज से लेंगे।
पहले यह देख लें कि मतदान 08 फरवरी से 04 मार्च के मध्य उत्तर प्रदेश मे सम्पन्न हुआ था जिस समय 'शनि'और 'मंगल'वक्री चल रहे थे जिसका परिणाम सचिव,सभासद हेतु आपदा कारक था। 29 तारीख की प्रातः 'शुक्र' मेष राशि मे 'गुरु'के साथ आ गया था जिसका फल सत्ता नायक और सत्ता दल पर भारी था। अतः 06 मार्च को घोषित परिणाम बसपा सरकार के विरुद्ध गया और मायावती जी को पद छोडना पड़ा। किन्तु अखिलेश जी ने मनोनीत होने के बावजूद किसी न किसी बहाने से तुरंत शपथ नहीं ली।
स्थिर लग्न-वृष मे शपथ ग्रहण :
चैत्र कृष्ण सप्तमी =14 मार्च को 'सूर्य' 'मीन राशि' मे प्रवेश कर गया जो दलपति-नायक,राजदूत,राजपत्रित अधिकारियों हेतु शुभ है अतः अखिलेश जी ने 15 मार्च को सुबह स्थिर लग्न-वृष मे शपथ ग्रहण किया। ऊपर उस समय की कुण्डली दी गई है अवलोकन करें। तिथि अष्टमी सर्वथा शुभ तिथि होती है,नक्षत्र-'मूल' का प्रभाव यह होगा कि वह अखिलेश जी को यशस्वी,समाजसेवी,कला और विज्ञान का प्रेमी बना कर साहस,कर्मठता,नेतृत्व शक्ति का धनी और उत्तम विचारो का पोषक भी बनाएगा।
'चंद्रमा' धनु राशि मे होने के कारण हठवादी, चतुर और मधुर-भाषी बनाए रखेगा। गुरुवार का दिन तो शपथ ग्रहण के लिए शुभ होता ही है। 'वृष'लग्न स्थिर होने के कारण सामान्यतः सरकार को 'स्थिर' रखेगी। जन -समाज का स्नेह-भाजन मुख्यमंत्री को बनाने वाली लग्न रहेगी।
शपथ-ग्रहण के समय 'शुक्र' की महादशा मे 'शुक्र' की ही अंतर दशा थी जो अभी 08 जून 2015 तक चलेगी जो सरकार के लिए शुभता प्रदान करती रहेगी। शपथ-कुण्डली का दूसरा भाव (जो जनता तथा राज्य कृपा का भाव है ) तथा पंचम भाव ( जो लोकतन्त्र का है )का स्वामी होकर बुध एकादश भाव मे सूर्य के साथ है। अतः बुद्धिमानी द्वारा हानि पर नियंत्रण पाने की क्षमता बनी रहेगी।
सरकार के स्थाईत्व हेतु शुभ नहीं :
तीसरा भाव पराक्रम और जनमत का है जिसका स्वामी होकर चंद्रमा अष्टम भाव मे चला गया है जो सरकार के स्थाईत्व हेतु शुभ नहीं है।
सातवें भाव (जो सहयोगियों,राजनीतिक साथियों एवं पार्टी नेतृत्व का है )का स्वामी मंगल चतुर्थ भाव (जो लोकप्रियता व मान-सम्मान का है )मे सूर्य की राशि मे स्थित है । यह स्थिति शत्रु बढ़ाने वाली है इसी के साथ-साथ सातवें भाव मे मंगल की राशि मे 'राहू' स्थित है जो कलह के योग उत्पन्न कर रहा है।
ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार के मध्य काल तक पार्टी मे अंदरूनी कलह-क्लेश और टकराव बढ़ जाएँगे। ये परिस्थितियाँ पार्टी को दो-फाड़ करने और सरकार गिराने तक भी जा सकती हैं। निश्चय ही विरोधी दल तो ऐसा ही चाहेंगे भी।
लेकिन 09 जून 2015 से प्रारम्भ शुक्र मे सूर्य की अंतर दशा और फिर 09 जून 2016 से प्रारम्भ चंद्र की अंतर दशाओं के भी शुभ रहने एवं शपथ ग्रहण के दिन गुरुवार ,मूल नक्षत्र,और चंद्रमा के गुरु की धनु राशि मे होने तथा तिथि अष्टमी रहने के कारण अखिलेश जी अपनी कुशाग्र बुद्धि से सभी समस्याओं का निदान करने मे सफल रहेंगे ऐसी संभावनाएं मौजूद हैं और सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर सकेगी ऐसी हम आशा करते हैं ।
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अभी सरकारी पार्टी के समक्ष बार - बार जो संकट दिखाई दे रहे हैं उनका एक बड़ा कारण अखिलेश जी द्वारा 5 कालीदास मार्ग के सरकारी निवास में 'रविवार ' के दिन 'गृह - प्रवेश ' करना भी है। जिस किसी ने भी उनको इस हेतु रविवार का दिन सुझाया उसको उनका हितैषी नहीं कहा जा सकता है। 'वास्तु - शास्त्र ' के अनुसार रविवार व मंगलवार के दिन तथा नवमी तिथि समेत कुछ तिथियों पर गृह प्रवेश का निषेद्ध् किया गया है अतः ऐसा सुझाव वास्तु शास्त्र के नियमों का उल्लंघन था जिसका असर पार्टी की अंदरूनी टकराहट के रूप में दिखाई दे रहा है। अखिलेश जी को तुरुप का पत्ता खूब ठोंक बजा कर ही चलना होगा, वैसे शपथ ग्रहण उनके अनुकूल है।
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बहुत से लोगों का यह मत है कि, अखिलेश सरकार को लेकर हो रही बातें उनके अपने परिवार या पार्टी का आंतरिक मामला हैं। चूंकि सरकार किसी एक परिवार के लिए या सिर्फ एक ही पार्टी के लोगों के लिए नहीं होती है उसे सारी जनता को देखना होता है। इसलिए इन बातों को पार्टी या परिवार की निजी बातें कह कर छोड़ देना बुद्धिमानी नहीं है।
वर्तमान संकट तब शुरू हुआ जब मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को पूर्व अनुमति लिए बगैर व्यापारियों / उद्योगपतियों की एक निजी पार्टी में शामिल होने के कारण हटा दिया था। बदले में उनकी पार्टी ने उनको प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया था।इतना ही नहीं उनके नज़दीकियों को भी पदों से हटा दिया और कुछ को पार्टी से ही हटा दिया था। इससे सरकार के मुखिया की स्वतन्त्रता पर प्रश्न - चिन्ह लगता है और बाहरी व्यापारिक हस्तक्षेप की पुष्टि भी होती है। यह हस्तक्षेप अलोकतांत्रिक गतिविधियों का प्रतीक है ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार कि, फासिस्ट संगठन केंद्र सरकार की गतिविधियों में हस्तक्षेप करता है। यह प्रक्रिया संविधान व जनतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। अतः जनतंत्र व संविधान के पक्षधरों को इस समय उत्तर - प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में अखिलेश यादव को नैतिक समर्थन अवश्य ही प्रदान करना चाहिए।
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बहुत से लोगों का यह मत है कि, अखिलेश सरकार को लेकर हो रही बातें उनके अपने परिवार या पार्टी का आंतरिक मामला हैं। चूंकि सरकार किसी एक परिवार के लिए या सिर्फ एक ही पार्टी के लोगों के लिए नहीं होती है उसे सारी जनता को देखना होता है। इसलिए इन बातों को पार्टी या परिवार की निजी बातें कह कर छोड़ देना बुद्धिमानी नहीं है।
वर्तमान संकट तब शुरू हुआ जब मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को पूर्व अनुमति लिए बगैर व्यापारियों / उद्योगपतियों की एक निजी पार्टी में शामिल होने के कारण हटा दिया था। बदले में उनकी पार्टी ने उनको प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया था।इतना ही नहीं उनके नज़दीकियों को भी पदों से हटा दिया और कुछ को पार्टी से ही हटा दिया था। इससे सरकार के मुखिया की स्वतन्त्रता पर प्रश्न - चिन्ह लगता है और बाहरी व्यापारिक हस्तक्षेप की पुष्टि भी होती है। यह हस्तक्षेप अलोकतांत्रिक गतिविधियों का प्रतीक है ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार कि, फासिस्ट संगठन केंद्र सरकार की गतिविधियों में हस्तक्षेप करता है। यह प्रक्रिया संविधान व जनतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। अतः जनतंत्र व संविधान के पक्षधरों को इस समय उत्तर - प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में अखिलेश यादव को नैतिक समर्थन अवश्य ही प्रदान करना चाहिए।
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04-10-2016 |
23-10-2016 |