Sunday, 16 November 2014

चित्रगुप्त श्रीवास्तव---Dhruv Gupt








जन्मदिन / चित्रगुप्त:


चल उड़ जा रे पंछी कि अब ये देश हुआ बेगाना !




फिल्म संगीत के सुनहरे दौर के सबसे सुरीले संगीतकारों में से चित्रगुप्त भी एक थे। चल उड़ जा रे पंछी, तेरी दुनिया से दूर चले होके मज़बूर, एक रात में दो दो चांद खिले, मुझे दर्दे दिल का पता न था मुझे आप किसलिए मिल गए, महलों ने छीन लिया बचपन का प्यार मेरा, लागी छूटे ना अब तो सनम, उठेगी तुम्हारी नज़र धीरे-धीरे, मुफ्त हुए बदनाम किसी से हाय दिल को लगा के, दिल का दीया जलाके गया ये कौन मेरी तन्हाई मेबांके पिया कहो ना दगाबाज़ हो, छेड़ो न मेरी ज़ुल्फ़ें सब लोग क्या कहेंगे, चली चली रे पतंग मेरी चली रे, मैं कौन हूं मैं कहां हूं मुझे ये होश नहीं, कोई बता दे दिल है जहां क्यों होता है दर्द वहां, छुपा कर मेरी आंखों को वो पूछे कौन हो जी तुम, ये पर्बतों के दायरें ये शाम का धुंआ, न तो दर्द गया न दवा ही मिली, रंग दिल की धड़कन भी लाती तो होगी, आज की रात नया चांद लेके आई है, मुस्कुराओ कि जी नहीं लगता, तुम्ही हो माता पिता तुम्ही हो, महलों में रहने वाली दिल है गरीब का, जाग दिले दीवाना रूत जागी वस्ले यार की, देखो मौसम क्या बहार है - जैसे सैकड़ों कालजयी गीतों के रचयिता को वह वह चर्चा नहीं मिली जिसके वे सही मायने में हक़दार थे। उस युग के कई महान संगीतकारों की भीड़ में वे हमेशा पृष्ठभूमि में ही रहे। बिहार के गोपालगंज जिले के एक छोटे से गांव के चित्रगुप्त श्रीवास्तव संगीत के प्रति अपने जुनून के कारण पटना कॉलेज में लेक्चरर की नौकरी छोड़ 1946 में बम्बई आए और संगीतकार एस.एन त्रिपाठी के सहायक बन गए। स्वतंत्र संगीत निर्देशक के रूप में उनकी पहली फिल्म थी 'फाइटिंग हीरो', लेकिन उन्हें शोहरत मिली फिल्म 'भाभी' के संगीत से। उन्होंने 139 हिंदी तथा भोजपुरी फ़िल्मों में संगीत दिया जिनमें प्रमुख हैं - भाभी, बरखा, चांद मेरे आजा, जबक, मैं चुप रहूंगी, ऊंचे लोग, ओपेरा हाउस, गंगा की लहरें,हम मतवाले नौजवां, आकाशदीप, पूजा के फूल, औलाद, एक राज, मैं चुप रहूंगी,अफ़साना, बिरादरी, परदेशी, वासना, बारात, मेरा कसूर क्या है, किस्मत, काली टोपी लाल रूमाल, गंगा मईया तोहे पियरी चढ़बो, लागी नहीं छूटे राम, गंगा किनारे मोरा गांव, बलम परदेसिया और भैया दूज। उनकी मृत्यु के बाद उनके दो पुत्रों - आनंद-मिलिन्द ने अस्सी के दशक में हिंदी फिल्म संगीत में कुछ अरसे तक अपनी छाप छोड़ी थी।




जन्मदिन पर मरहूम चित्रगुप्त को हार्दिक श्रद्धांजलि !

1 comment:

  1. रोचक पोस्ट !

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