Friday 21 November 2014

जातीय गृह-युद्ध की आहट सुनिए लोकतंत्र के प्रति ईमानदार हो जाइये--- Subhash Chandra

सवर्ण जातियां,विशेष रूप से जातियों में सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण मित्र गौर करें
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कृपया निम्न दो समकालीन घटनाओं पर आप गम्भीरता से चिन्तन मनन करें

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पोस्ट पर कमेन्ट या लाइक न भी करें पर चिन्तन मनन ज़रूर करें
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एक तरफ संत रामपाल हैं जो ब्राह्मण -वेद-पुराण का खंडन करते हैं , विरोध करने वाले आर्य समाजियों की हत्या के उन पर आरोप हैं इस के बाद भी वो कोर्ट हाज़िर नही हो रहे हैं उनके निम्न जाति के कमांडो ट्रेनिंग प्राप्त भक्त हथियार बंद होकर पुलिस-प्रशासन से क्षमता भर सशस्त्र संघर्ष कर रहे हैं - ये लोकतंत्र में स्तब्ध कर देने वाली घटना है
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दूसरी तरफ बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी हैं जो सवर्णों को विदेशी आर्य /सगे नही हैं आदि आदि कहकर समाज की जातीय विद्वेष को स्पष्ट विभाजक रेखा बना रहे हैं
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इन दोनों घटनाओं के सन्दर्भ में हमें ये समझना पड़ेगा कि रामपाल जैसे दबंग संत देश में सदियों से चले आ रहे धार्मिक जातिभेद की आनुवांशिक बीमारी की वज़ह से ही पैदा हुए हैं और उन्हें समाज और धर्म से अपमानित शूद्र जातियों के नागरिकों के बड़े समूह का मानसिक आर्थिक समर्थन उन्हें प्राप्त है
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जीतन राम मांझी भले ही वोट की राजनीति के लिए ऐसा कर रहे हों पर सोशल मीडिया से लेकर हर छोटी जाति के संगठन में इस बयान को छोटी जातियों के स्वाभिमान और देश पर असली मालिक होने की हैसियत के रूप में देखा जा रहा है इसकी बानगी आप मांझी के समर्थन में सोशल मीडिया पर समर्थन की उमड़ती भीड़ के रूप में देख सकते हैं
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मेरा निवेदन सिर्फ इतना है कि
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बहुसंख्यक जातियों का अपमान करने वाले धार्मिक जातिभेद की गन्दगी का इलाज़ करके सबको सम्मान देने वाले स्वस्थ समाज निर्माण की ओर कदम जल्द नहीं उठाये गये तो जातिभेद के गटर से हजारों लाखों रामपाल और जीतन राम मांझी पैदा होने से आप नही रोक सकते
जो भारत को गृह युद्ध की विभीषिका की ओर ले जायेंगे और लोकतंत्र को लहुलुहान करेंगे

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एक अंधेरी सुरंग में हमारा देश समाज प्रवेश कर रहा है। यह शुभ संकेत नहीं हो सकते
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जातीय गृह-युद्ध की आहट सुनिए लोकतंत्र के प्रति ईमानदार हो जाइये

https://www.facebook.com/rajubhaiya1978/posts/828387797225472 
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1947 में जब ब्रिटिश साम्राज्यवाद ने भारत को आज़ादी दी तो अमेरिकी इशारे पर भारत का विभाजन करके सांप्रदायिकता की आग में झोंक दिया था। अब एक लंबे अरसे से अमेरिकी साम्राज्यवाद भारत को 25-30 हिस्सों में विभक्त करने की योजना पर चलता आ रहा है। कभी मेंका गांधी को आगे किया गया था जिनको भाजपा उपाध्यक्ष विजय राजे सिंधिया का खुला समर्थन था। फिर कांशी राम को आगे किया गया था उनको भी भाजपा का समर्थन था और मायावती को भी। लेकिन ये लोग सफल न हो सके। 2011 में हज़ारे/केजरीवाल/रामदेव ने अमेरिकी साम्राज्यवाद के हितार्थ और कारपोरेट के संरक्षणार्थ सत्ता विरोधी आंदोलन चलाया था जिसे तत्कालीन पी एम मनमोहन सिंह जी का भी अप्रत्यक्ष समर्थन मिला था और उसी के परिणाम स्वरूप आज मोदी जी सत्ताशीन हैं। अब अमेरिकी योजना को सफल बनाने हेतु मूल निवासी आंदोलन चलाया जा रहा है जो आर्य को जाति/धर्म का प्रतीक यूरोपीय निष्कर्षों के आधार पर बताता है। 

'आर्य' =  आर्ष =श्रेष्ठ अर्थात जिन मनुष्यों के 'कर्म' श्रेष्ठ हों वे सब जाति /देश/काल से परे आर्य -आर्ष-श्रेष्ठ हैं। लेकिन शोषण-उत्पीड़न-ढोंग-पाखंड के सिद्धांतकार ब्राह्मणों ने जातिगत -व्यवस्था जो चला रखी है वह ही साम्राज्यवादियों के मंसूबे सफल करेगी। प्रत्येक राजनीतिक दल का नेतृत्व ब्राह्मण जातीय लोगों ने हथिया रखा है और वे अपने-अपने दल को शोषको व लुटेरों के पक्ष में नीतियाँ बनाने हेतु प्रेरित कर लेते हैं। 'सत्य ' बोलने और ढोंग - पाखंड का विरोध करने वालों को उत्पीड़ित किया जाता है। परिस्थितियाँ साम्राज्यवादियो के अनुकूल हैं।  
(विजय राज बली माथुर ) 
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