Vinayak Vijeta |
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भगवन्! कुछ भी कीजौ पर ‘अगले जनम मुझे बिटिया ना दीजौ........’
‘क्रांतिवीर’ सुरेश भट्ट की तीनों बेटियां हैं दुर्भाग्य का शिकार
प्रसिद्ध कवि आलोक धन्वा ने भी छल से किया था असीमा से विवाह
धन्वा आज तक न तो अपने ससुराल नवादा गए न ही ली पत्नी की सुध
बेटियों का दुर्भाग्य और उनका दुख देख कोई भी मां भगवान से शायद यही प्रार्थना करेगी कि भगवन्! कुछ भी कीजौ पर ‘अगले जनम मुझे बिटिया ना दीजौ........’ यह कहानी है 1974 के जयप्रकाश आंदोलन के उस समर्पित नेता सुरेश भट्ट के परिवार और बेटियों की जो सुरेश भट्ट जब आंदोलन के दौरान सड़कों पर निकलते थे तो उस समय लालू प्रसाद सहित आज के सत्ता शीर्ष पर बैठे दर्जनों नेता उनके पीछे यह नारा लगाते हुए चलते थे कि ‘अगल-बगल हट्ट, आ रहे सुरेश भट्ट।’ मूल रुप से नवादा के रहने वाले सुरेश भट्ट ने संपूर्ण क्रांति आंदोलन के दौरान अपनी लगभग सारी संपति कुर्बान कर दी। उन्होंने न तो कभी अपने लिए और ही न अपने परिवार के लिए कुछ अर्जित किया। संपत्ति के नाम पर नवादा में एक विजय सिनेमा हॉल ही रहा जिसपर उनके सौतेले भाई ने कब्जा कर रखा है। दिल्ली के एक ओल्ड एज होम में पांच वर्षों तक गुमनामी की जिंदगी जीने वाले सुरेश भट्ट की कभी भी उनके किसी समाजवादी चेलों ने सुध नहीं ली। दिल्ली में ही उनका नवम्बर 2012 में देहांत हो गया। सुरेश भट् जैसे कांतिवीर के परिवार की दारून दशा मन को व्यथित कर देने वाली है। सुरेश भट्ट की तीन पुत्रियों में सबसे बड़ी पुत्री असीमा भट्ट उर्फ क्रांति भट्ट कभी पटना में एक दैनिक अखबार में कार्यरत थीं उसी समय उनका परिचय प्रसिद्ध कवि आलोक धन्वा से हुआ। एक दूसरी युवती से तब संबंध रहते हुए भी आलोक धन्वा ने असीमा को अपने जाल में फंसा उनसे विवाह कर लिया। असीमा भट्ट के साथ आलोक धन्वा ने इतना अन्याय और उन्हें प्रताड़ित किया कि असीमा को उनका घर छोड़ना पड़ा। 2005 को असीमा भट्ट के नाम एक माफीनामा पत्र लिखने वाले आलोक धन्वा शायद देश के ऐसे पहले दामाद हैं जिन्होंने कभी न तो अपने ससुराल का चौखट देखा नही ससुर-सास और उनके अन्य परिजनों की सुध ही ली। असीमा भट् बीते कई वर्षों से मुंबई में रहते हुए अभिनय क्षेत्र में कार्यरत हैं। असीमा ने आलोक धन्वा से अपने बने और बिगड़े संबंध और कारणों को लेकर एक लंबी आत्मकथा भी लिखी थी जो तीन वर्ष पूर्व ‘कथादेश’ नामक चर्चित साहित्यिक पत्रिका में छपी थी और कई लोगों इसे अपने ब्लॉग में भी लिया था।सुरेश भट्ट की दुसरी पुत्री प्रतिभा भट्ट शादी सहरसा में हुई उनकी एक पुत्री भी है पर उनके पति ने भी एक तरह से उनका परित्याग कर रखा है। ऐसी ही हालत सुरेश भट्ट की तीसरी और सबसे छोटी पुत्री प्रगति भट्ट का है। मधेपुरा के आलम नगर में ब्याहता प्रगति भी बीते कई वर्षों से अपने मायके में रहने को बाध्य हैं। जबकि सुरेश भट्ट का इकलौता बेटा प्रकाश बेरोजगार है। अपने सौतेले देवर द्वारा कब्जा कर रखे गए विजय सिनेमा हॉल में बने केबिन के कमरे में अपनी दो पुत्रियों और एक बेटे के साथ वर्षों से रहकर गुजारा कर रहीं सरस्वती भट्ट * जिनकी माली हालत भी काफी खराब है के दिल पर क्या गुजरती होगी इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
तस्वीर
1. असीमा भट्ट (बीच में) अपनी दोनों बहनों के साथ
2. असीमा उर्फ क्रांति भट्ट के साथ आलोक धन्वा
3. वर्ष 2002 में असीमा को आलोक धन्वा द्वारा भेजा गया माफीनामा पत्र
https://www.facebook.com/asima.bhatt/posts/10202963524918001
* सरस्वती भट्ट http://krantiswar.blogspot.in/2014/09/blog-post_48.html
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