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****** जिसके एक आह्वान पर UP ही नहीं देश के दलित सड़क पर उतर आने को आतुर हो , उसी ताकतवर दलित महिला नेत्री के विरूद्ध आक्रमक तेवर में फरार दयाशंकर की पत्नी को उसके समकक्ष दिखाने का पर्यास जिसमे स्वाति सिंह कह रही है की भाजपा के सारे कार्यकर्ता मेरे साथ
.....क्या संदेश है ? ******
***उत्तर प्रदेश की राजनीती में सवर्ण और दलितों का अलगाव और अपने अपने खेमे में जुड़ाव साफ़ नजर आने लगा है | सोसल मिडिया में तो यह अलगाव शीशे की तरह साफ़ नजर आ रहा है | स्वाभाविक मित्रों को छोड़ कर वैचारिक विरोधियों के साथ दोस्ती और जातीय प्रबंधन निष्फल दिखने लगा है |***
*** दलितों - सवर्णों का यह अलगाव 'नास्तिकता'- एथीज़्म का दावा करने वाले साम्यवादी दल के भीतर भी उतना ही मजबूत है जितना सोशल मीडिया और समाज में क्योंकि ये दल भी ब्राह्मण वादियों के ही नियंत्रण में हैं। बस फर्क सिर्फ इतना है कि, इन दलों में दलितों का समर्थन करने वाले मुखर लोग खुद दलित नहीं हैं बल्कि गैर ब्राह्मण और गैर प्रभावशाली कामरेड्स हैं । ब्राह्मण वादी /कार्पोरेटी/मोदीईस्ट कामरेड्स प्रभावशाली और दलित विरोधी मानसिकता के हैं जिनके लिए मार्क्स वाद सिर्फ सत्ता नियंत्रण का मंत्र भर है और वे अपनी कारगुजारियों से मार्क्स वाद को जनता से दूर रखने में निरंतर सफल रहे हैं । ***
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जैसे ही हजरतगंज थाने से मायावती जी सहित बसपा के दो अन्य नेतावो सतिस्चन्द्र मिश्र और नसीमुद्दीन सिद्दीकी और कर्य्कर्तावो के खिलाफ FIR दर्ज करा बाहर निकलते ही मीडियाकर्मियों से घिरी स्वाति सिंह (पत्नी भाजपा से निष्कासित नेता दयाशंकरसिंह) ने सहयोग के लिए कैमरे पर ही media का धन्यवाद दिया ,..........मुझे आजतक का वो समाचार याद आ गया मायावती जी के संसद में दयाशंकर जी के विरूद्ध प्रतिरोधस्वरूप उठाईगयी थी जिसमे उन्होंने कहा था ..'' मै देश की बेटी हू ,दया शंकर जी ने मुझ पर नहीं अपनी बेटी , बहन को ये शब्द कहे हैं"......सबसे पहले लोगो का ध्यानाकर्षित करते हुए ''आजतक'' नेकहा था मायावती जी का भी जुबान फिसल रही है .......अब जा कर यह समझ में आया की अहं से भरी स्वर्ण प्रभुत्व और मानसिकता वाली मीडिया को यह हजम न हो पा रहा था की एक दलित भी अपने मान सम्मान के लिए इतने आक्रामकता के साथ प्रतिरोध दर्ज करा सकती है ?____निचे दिए गए देश के दो प्रमुख चैनलों के है, जरा गौर कीजिये ....1, ABP न्यूज़ ....देश के सबसे ताकतवर दलित महिला के विरूद्ध अपराधिक टिपन्नी करने वाले फरार दयाशंकर सिंह की पत्नी का मीडिया से घिर bite देते 2, 'आजतक' की heading " मायावती v/s स्वाति" ____बिना इस बात की परवाह किये की जिसके एक आह्वान पर UP ही नहीं देश के दलित सड़क पर उतर आने को आतुर हो , उसी ताकतवर दलित महिला नेत्री के विरूद्ध आक्रमक तेवर में फरार दयाशंकर की पत्नी को उसके समकक्ष दिखाने का पर्यास जिसमे स्वाति सिंह कह रही है की भाजपा के सारे कार्यकर्ता मेरे साथ
.....क्या संदेश है ?........ऐसे ऐसे मायावती के मुकाबले कोई गुमनाम स्वर्ण स्वाति भी भारी है?
https://www.facebook.com/aquil.ahmed.7927/posts/668679363286163
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देश की सबसे ताकतवर महिला दलित सुप्रीमो बहन जी पर आज बड़ा सामंती हमला हुआ |उनके विरूद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 504 ,506 ,509 ,153ए और 120बी के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है |नसीमुद्दीन सिद्दीकी,राम अचल राजभर और मेवालाल गौतम सहित अज्ञात लोगों को भी इसमें आरोपी बनाया गया है |इसी के साथ उत्तर प्रदेश की राजनीती में सवर्ण और दलितों का अलगाव और अपने अपने खेमे में जुड़ाव साफ़ नजर आने लगा है | सोसल मिडिया में तो यह अलगाव शीशे की तरह साफ़ नजर आ रहा है | स्वाभाविक मित्रों को छोड़ कर वैचारिक विरोधियों के साथ दोस्ती और जातीय प्रबंधन निष्फल दिखने लगा है |बड़ी मजबूती के साथ फिर कह रहा हूँ भारत के सामंती कोढ़ की शल्य चिकित्सा केवल और केवल बहुजन अवधारणा से ही संभव है |
https://www.facebook.com/lalajee.nirmal/posts/1122617821131866
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उपरोक्त टिप्पणियों से साफ नज़र आता है कि, दलितों - सवर्णों का यह अलगाव 'नास्तिकता'- एथीज़्म का दावा करने वाले साम्यवादी दल के भीतर भी उतना ही मजबूत है जितना सोशल मीडिया और समाज में क्योंकि ये दल भी ब्राह्मण वादियों के ही नियंत्रण में हैं। बस फर्क सिर्फ इतना है कि, इन दलों में दलितों का समर्थन करने वाले मुखर लोग खुद दलित नहीं हैं बल्कि गैर ब्राह्मण और गैर प्रभावशाली कामरेड्स हैं । ब्राह्मण वादी /कार्पोरेटी/मोदीईस्ट कामरेड्स प्रभावशाली और दलित विरोधी मानसिकता के हैं जिनके लिए मार्क्स वाद सिर्फ सत्ता नियंत्रण का मंत्र भर है और वे अपनी कारगुजारियों से मार्क्स वाद को जनता से दूर रखने में निरंतर सफल रहे हैं । इसी लिए 1964 में टूट कर CPM का गठन किया गया था। यू पी में पिछले बाईस वर्षों में दो बार पार्टी विभाजन भी ब्राह्मण वाद और ब्राह्मणों के वर्चस्व का ही परिणाम था। CPM से टूटे नकसल पंथी गुटों ने कार्पोरेटी शक्तियों को मजदूरों - किसानों का दमन करने का स्वर्णिम अवसर प्रदान कर दिया है। आज का जातीय विभाजन और टकराव और कुछ नहीं सिर्फ शोषणवादी शक्तियों को ही मजबूत करेगा जो कि, सत्तारूढ़ सरकारों की गहरी कूटनीतिक चाल है। इसकी पुष्टि BBC के इस वीडियो से भी होती है
( विजय राजबली माथुर )
****** जिसके एक आह्वान पर UP ही नहीं देश के दलित सड़क पर उतर आने को आतुर हो , उसी ताकतवर दलित महिला नेत्री के विरूद्ध आक्रमक तेवर में फरार दयाशंकर की पत्नी को उसके समकक्ष दिखाने का पर्यास जिसमे स्वाति सिंह कह रही है की भाजपा के सारे कार्यकर्ता मेरे साथ
.....क्या संदेश है ? ******
***उत्तर प्रदेश की राजनीती में सवर्ण और दलितों का अलगाव और अपने अपने खेमे में जुड़ाव साफ़ नजर आने लगा है | सोसल मिडिया में तो यह अलगाव शीशे की तरह साफ़ नजर आ रहा है | स्वाभाविक मित्रों को छोड़ कर वैचारिक विरोधियों के साथ दोस्ती और जातीय प्रबंधन निष्फल दिखने लगा है |***
*** दलितों - सवर्णों का यह अलगाव 'नास्तिकता'- एथीज़्म का दावा करने वाले साम्यवादी दल के भीतर भी उतना ही मजबूत है जितना सोशल मीडिया और समाज में क्योंकि ये दल भी ब्राह्मण वादियों के ही नियंत्रण में हैं। बस फर्क सिर्फ इतना है कि, इन दलों में दलितों का समर्थन करने वाले मुखर लोग खुद दलित नहीं हैं बल्कि गैर ब्राह्मण और गैर प्रभावशाली कामरेड्स हैं । ब्राह्मण वादी /कार्पोरेटी/मोदीईस्ट कामरेड्स प्रभावशाली और दलित विरोधी मानसिकता के हैं जिनके लिए मार्क्स वाद सिर्फ सत्ता नियंत्रण का मंत्र भर है और वे अपनी कारगुजारियों से मार्क्स वाद को जनता से दूर रखने में निरंतर सफल रहे हैं । ***
Aquil Ahmed
मायावती v/s स्वाति==============
जैसे ही हजरतगंज थाने से मायावती जी सहित बसपा के दो अन्य नेतावो सतिस्चन्द्र मिश्र और नसीमुद्दीन सिद्दीकी और कर्य्कर्तावो के खिलाफ FIR दर्ज करा बाहर निकलते ही मीडियाकर्मियों से घिरी स्वाति सिंह (पत्नी भाजपा से निष्कासित नेता दयाशंकरसिंह) ने सहयोग के लिए कैमरे पर ही media का धन्यवाद दिया ,..........मुझे आजतक का वो समाचार याद आ गया मायावती जी के संसद में दयाशंकर जी के विरूद्ध प्रतिरोधस्वरूप उठाईगयी थी जिसमे उन्होंने कहा था ..'' मै देश की बेटी हू ,दया शंकर जी ने मुझ पर नहीं अपनी बेटी , बहन को ये शब्द कहे हैं"......सबसे पहले लोगो का ध्यानाकर्षित करते हुए ''आजतक'' नेकहा था मायावती जी का भी जुबान फिसल रही है .......अब जा कर यह समझ में आया की अहं से भरी स्वर्ण प्रभुत्व और मानसिकता वाली मीडिया को यह हजम न हो पा रहा था की एक दलित भी अपने मान सम्मान के लिए इतने आक्रामकता के साथ प्रतिरोध दर्ज करा सकती है ?____निचे दिए गए देश के दो प्रमुख चैनलों के है, जरा गौर कीजिये ....1, ABP न्यूज़ ....देश के सबसे ताकतवर दलित महिला के विरूद्ध अपराधिक टिपन्नी करने वाले फरार दयाशंकर सिंह की पत्नी का मीडिया से घिर bite देते 2, 'आजतक' की heading " मायावती v/s स्वाति" ____बिना इस बात की परवाह किये की जिसके एक आह्वान पर UP ही नहीं देश के दलित सड़क पर उतर आने को आतुर हो , उसी ताकतवर दलित महिला नेत्री के विरूद्ध आक्रमक तेवर में फरार दयाशंकर की पत्नी को उसके समकक्ष दिखाने का पर्यास जिसमे स्वाति सिंह कह रही है की भाजपा के सारे कार्यकर्ता मेरे साथ
.....क्या संदेश है ?........ऐसे ऐसे मायावती के मुकाबले कोई गुमनाम स्वर्ण स्वाति भी भारी है?
https://www.facebook.com/aquil.ahmed.7927/posts/668679363286163
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Lalajee Nirmal
सवर्ण और दलितों का अलगाव :देश की सबसे ताकतवर महिला दलित सुप्रीमो बहन जी पर आज बड़ा सामंती हमला हुआ |उनके विरूद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 504 ,506 ,509 ,153ए और 120बी के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है |नसीमुद्दीन सिद्दीकी,राम अचल राजभर और मेवालाल गौतम सहित अज्ञात लोगों को भी इसमें आरोपी बनाया गया है |इसी के साथ उत्तर प्रदेश की राजनीती में सवर्ण और दलितों का अलगाव और अपने अपने खेमे में जुड़ाव साफ़ नजर आने लगा है | सोसल मिडिया में तो यह अलगाव शीशे की तरह साफ़ नजर आ रहा है | स्वाभाविक मित्रों को छोड़ कर वैचारिक विरोधियों के साथ दोस्ती और जातीय प्रबंधन निष्फल दिखने लगा है |बड़ी मजबूती के साथ फिर कह रहा हूँ भारत के सामंती कोढ़ की शल्य चिकित्सा केवल और केवल बहुजन अवधारणा से ही संभव है |
https://www.facebook.com/lalajee.nirmal/posts/1122617821131866
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उपरोक्त टिप्पणियों से साफ नज़र आता है कि, दलितों - सवर्णों का यह अलगाव 'नास्तिकता'- एथीज़्म का दावा करने वाले साम्यवादी दल के भीतर भी उतना ही मजबूत है जितना सोशल मीडिया और समाज में क्योंकि ये दल भी ब्राह्मण वादियों के ही नियंत्रण में हैं। बस फर्क सिर्फ इतना है कि, इन दलों में दलितों का समर्थन करने वाले मुखर लोग खुद दलित नहीं हैं बल्कि गैर ब्राह्मण और गैर प्रभावशाली कामरेड्स हैं । ब्राह्मण वादी /कार्पोरेटी/मोदीईस्ट कामरेड्स प्रभावशाली और दलित विरोधी मानसिकता के हैं जिनके लिए मार्क्स वाद सिर्फ सत्ता नियंत्रण का मंत्र भर है और वे अपनी कारगुजारियों से मार्क्स वाद को जनता से दूर रखने में निरंतर सफल रहे हैं । इसी लिए 1964 में टूट कर CPM का गठन किया गया था। यू पी में पिछले बाईस वर्षों में दो बार पार्टी विभाजन भी ब्राह्मण वाद और ब्राह्मणों के वर्चस्व का ही परिणाम था। CPM से टूटे नकसल पंथी गुटों ने कार्पोरेटी शक्तियों को मजदूरों - किसानों का दमन करने का स्वर्णिम अवसर प्रदान कर दिया है। आज का जातीय विभाजन और टकराव और कुछ नहीं सिर्फ शोषणवादी शक्तियों को ही मजबूत करेगा जो कि, सत्तारूढ़ सरकारों की गहरी कूटनीतिक चाल है। इसकी पुष्टि BBC के इस वीडियो से भी होती है
( विजय राजबली माथुर )