Friday, 29 June 2012

घर मे नहीं दाने,अम्मा चली भुनाने

स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं )
हिंदुस्तान,लखनऊ,29 जून 2012

आज़ादी के 65 वर्ष बाद भी गुलामी की बू नहीं निकली है उसी का जीता जागता उदाहरण है यह दान। देश के गरीब आदिवासी अपने घर ज़मीन से उजाड़े जा रहे हैं उनकी मदद करने की बजाए उनके हिमायतियों को जेलों मे ठूँसा जा रहा है। जिन देशों ने दुनिया को लूटा और जनता का शोषण किया उनकी सहायता मे 'दान' दिया जा रहा है -यह है लोकतान्त्रिक रूप से  साम्राज्यवाद की गुलामी।


 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Saturday, 23 June 2012

कथनी और करनी का यही अंतर ले डूबा

स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं )



हिंदुस्तान-लखनऊ-23/06/2012 
उपरोक्त स्कैन मे विद्वान ,विचरवान और एक बड़े मार्क्सवादी नेता का लेख है जो किसी भी रूप मे गलत नहीं कहा जा सकता किन्तु उनही की पार्टी 'राष्ट्रपति चुनाव' मे उसी उम्मीदवार का समर्थन कर रही है जिसे ऐसे ही प्रधानमंत्री की पार्टी ने अमेरिकी हित -संरक्षण हेतु खड़ा किया है।

पश्चिम बंगाल मे 34 वर्षों का मार्क्सवादी पार्टी का शासन 'साम्यवादी' शासन नहीं वरन 'बंगाली पार्टी' का शासन था और उसी बंगालेवाद के आधार पर इन नेता की पार्टी ने पी एम की पार्टी के उम्मीदवार को समर्थन दिया है। फिर ऐसे लेख किसको मूर्ख बनाने के लिए हैं खुद को या जनता को?







 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Wednesday, 20 June 2012

देखिये 'लोकतन्त्र का भ्रमजाल'

स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं )


(दोनों कटिंग-हिंदुस्तान,लखनऊ,दिनांक 20 जून 2012 से )

पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंघा राव जी ने पद से हट कर 'THE INSIDER' मे यों ही नहीं लिख दिया था कि,"हम स्वतन्त्रता के भ्रमजाल मे जी रहे हैं"। वस्तुतः उनको व्यावहारिक ज्ञान था । उनके बाद अटल जी ने परमाणु विस्फोट के बाद बतौर प्रधानमंत्री यू एस ए के प्रेसीडेंट जनाब बिल क्लिंटन साहब को पत्र द्वारा सूचित किया था। अब माननीय पी एम मनमोहन साहब ने ओबामा साहब को भारत मे गैस व डीजल के दाम बढ़ाने की सूचना दी है और साथ ही साथ हवाई यात्रा मे 20 प्रतिशत कटौती भी दी जा रही है तथा यूरोजों की मदद के लिए 10 अरब डालर भी दिये जा रहे हैं।

हैं न नीति निर्धारण मे परतंत्र हम आज़ादी के 65 वर्ष बाद भी। साम्राज्यवाद का यह नया स्वरूप है। राष्ट्रपति हमारे सांसद-विधायक चुनेंगे किन्तु अमेरिकी पसंद का। विधायक-सांसद जनता द्वारा निर्वाचित हैं अतः चुनाव लोकतान्त्रिक ही होगा। वाकई यह 'लोकतन्त्र का भ्रमजाल' ही है।

समाधान क्या है?यह तो बामपंथ को सोचना पड़ेगा कि कैसे वह जन-समर्थन हासिल करे?वर्तमान नीतियाँ जनता से बामपंथ को दूर रखने वाली हैं।

 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Wednesday, 13 June 2012

मंत्री जी आप आरोप न लगाएँ -आप तो कारवाई कर सकते हैं?

स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं )

हिंदुस्तान,लखनऊ,11 जून 2012

दैनिक भास्कर,10 जून 2012

पी एम कार्यालय के मंत्री जी ने अन्ना टीम का जवाब दे दिया और परवासी मंत्री जी ने उन पर अमेरिकी कारपोरेट कंपनियों से मिल कर भारत की राजनीति को अस्थिर करने का आरोप लगा दिया। एस एंड पी ने भी भारत की अंदरूनी राजनीति पर कटाक्ष किया है जिसको वित्त मंत्री जी ने खारिज कर दिया है। अभी 07 जून को वित्त मंत्रालय मे अग्निकांड हो गया जिसमे महत्वपूर्ण रिकार्ड जल गए हैं। 10 जून को यह रिपोर्ट छ्पी है कि रांची से 25 किलोमीटर दूर एक गाँव मे महिलाओं को बैलों के स्थान पर जोता गया है। रांची के एक आई ए एस आफ़ीसर जो वित्त मंत्रालय मे डेपुटेशन पर कर्नाटक से आए हैं जो 2009 के संसदीय चुनावों मे पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह जी से टकरा कर सुर्खियों मे आए थे। 11 मई को स्कूली बच्चों का जो ट्रूप अमेरिका गया था उसमे इन अधिकारी महोदय की बेटी भी शामिल थी। ये बच्चे अमेरिकी परिवारों मे ठहरे थे और बदले मे वहाँ के बच्चे इन्हीं के परिवारों मे ठहरेंगे। यह सांस्कृतिक आदान-प्रदान गोपनीय सूचनाओं के भी प्रदान के अवसर उपस्थित कर सकता है और इस प्रकार के अग्ङ्कांडोन मे और वृद्धि हो सकती है। इन अधिकारी महोदय के रांची के पैतृक निवास पर शानदार पार्टी होने जा रही है लेकिन उन्हें पास के गाँव की  चित्र मे प्रदर्शित वह दुर्दशा नहीं दीख पा रही है।

केंद्र सरकार के मंत्री गण अखबारों मे बयान जारी करने की बजाए खुद कारवाई क्यों नहीं करते?भिंडरावाला को पहले इंदिरा जी ने बढ़ाया और जब वह भस्मासुर बन गया तो उसे खत्म कराया। उसी प्रकार मनमोहन जी ने पहले अन्ना की आव-भगत की,पुष्प गुच्छ भेजे अब जब वह भस्मासुर बन कर उनके पीछे दौड़े तो अब उनका खंडन करवा रहे हैं। DIRके तहत अन्ना और उनकी टीम के विरुद्ध कारवाई किया जाना ही समय की मांग है अन्यथा भिंडरावाला कांड न दोहरा जाये?

संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Sunday, 10 June 2012

सोच को सकारात्मक बनाएँ

स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं )

कन्नौज से निर्विरोध निर्वाचित सांसद श्रीमती डिम्पल यादव



हिंदुस्तान ,लखनऊ,10 जून 2012 ,पृष्ठ-2

कन्नौज मे श्रीमती डिम्पल यादव निर्विरोध क्या जीतीं कुछ लोग जो खुद को विद्वान और महान कहते हैं 'लोकतन्त्र' और 'राजनीति' का मखौल उड़ाने लगे। जहां दहेज की खातिर बहुओं को जला कर मार डाला जाता हैं वहाँ यदि एक 'बहू' को संसद मे भेजा गया तो इसकी सराहना और प्रशंसा की जानी चाहिए थी। क्या महिला होना ही गुनाह माना जा रहा है?
· · 16 hours ago ·



  •  "हम डिम्पल यादव जी की ऐतिहासिक जीत के लिए हार्दिक बधाई देते हैं और उनके पारिवारिक,राजनीतिक,सामाजिक उज्ज्वल भविष्य के लिए मंगलकामना करते हैं।"
    (यह टिप्पणी राम शिव मूर्ती यादव जी के नोट पर मैंने दी थी) 


जब से  डिम्पल यादव जी के कन्नौज से निर्विरोध सांसद चुने जाने की घोषणा हुई है तथाकथित महान-विद्वान चिंतकों ने आसमान सिर पर ढा रखा है कि, यह भारतीय राजनीति मे सामंतशाही की शुरुआत है और लोकतन्त्र के लिए खतरे की घंटी। तमाम लोगों ने तमाम तरह के आक्षेप लगाए जिनमे 'डिम्पल जी' पर व्यक्तिगत आक्षेप भी हैं। लोकसभा के लिए यह पहला निर्विरोध निर्वाचन नहीं है। पूर्व मे और भी कई लोग निर्विरोध चुने जा चुके हैं तब से आज तक लोकतन्त्र समाप्त नहीं हुआ तो अब ही ऐसा कैसे हो जाएगा?

फ़तेहपुर सीकरी (आगरा) से सांसद श्रीमती सीमा उपाध्याय ने राज बब्बर जी को पराजित किया था जिनहोने फीरोजाबाद मे डिम्पल जी को पराजित किया और अब डिम्पल जी कन्नौज से लोक-सभा पहुँच गई हैं। अब एक दूसरे से पराजित हुये और पराजित करने वाले -सीमा उपाध्याय जी,राज बब्बर जी और डिम्पल जी एक साथ लोक-सभा मे विराजमान होंगे। यह लोकतन्त्र की मजबूती का प्रतीक हुआ या कमजोरी का?

यदि डिम्पल जी या उनकी पार्टी द्वारा सत्ता बल से दूसरों को नामांकन करने से रोका  गया होता तब तो आरोप लगाना ठीक रहता। जब राष्ट्रीय दलों ने ही अपने प्रत्याशी खड़े नहीं किए तो निश्चित हार देख कर निर्दलीय भी हट गए। जो लोग आज विरोध मे गाल बाजा रहे हैं उन महानुभावों को समुचित वक्त मे अपना नामांकन करके चुनाव सुनिश्चित कराना चाहिए था। ये बड़बोले लोग अपना खुद का वोट तो डालने जाते नहीं हैं और 'राजनीति' तथा 'राजनीतिज्ञों' को कोसने आगे आ जाते हैं ऐसे लोग ही 'लोकतन्त्र के लिए खतरा' हैं। पटना नगर निगम के चुनावों मे लगभग 67 प्रतिशत लोगों ने वोट नहीं डाले हैं। क्या इस कदम को लोकतन्त्र मजबूती का कदम कहा जाएगा?

शरद पवार जी और उनकी बेटी एवं पी ए संगमा साहब और उनकी बेटी सभी इसी लोकसभा मे सांसद हैं उन पर जब  परिवारवाद चस्पा नहीं होता तो सिर्फ 'डिम्पल जी' के सांसद बनने पर परिवारवाद का सवाल क्यों उठाया गया। यहाँ तो बेटी की जगह 'बहू' को चुना गया है। दूसरे के घर से आई बेटी को सम्मान देने पर यह सराहना जनक उदाहरण माना जाना चाहिए था। काश आक्षेप लगाने वाले लोगों की सोच सकारात्मक होती!




 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर

Friday, 1 June 2012

लखनऊ मे बामपंथी मोर्चे का मंहगाई विरोधी प्रदर्शन

स्पष्ट रूप से पढ़ने के लिए इमेज पर डबल क्लिक करें (आप उसके बाद भी एक बार और क्लिक द्वारा ज़ूम करके पढ़ सकते हैं )


हिंदुस्तान,लखनऊ,01 जून 2012 के पृष्ठ 07 पर ( अग्रिम पंक्ति मे दायें से बाएँ-भाकपा,लखनऊ के जिलामंत्री कामरेड मोहम्मद ख़ालिक़,फारवर्ड ब्लाक के प्रदेश अध्यक्ष राम किशोर जी,जन-संघर्ष मोर्चा के दिनकर कपूर और जनवादी महिला नेत्री )


आज विधानसभा मार्ग स्थित माकपा के कार्यालय पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी,भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी),अखिल भारतीय फारवर्ड ब्लाक,रिवोलुशनरी सोशलिस्ट पार्टी के नेता और कार्यकर्ता एकत्र होकर एक शांतिपूर्ण जुलूस के रूप मे जैसे ही आगे बढ़े विधायक निवास गेट के पास एक पुलिस के दारोगा ने जुलूस को जबरन रोकने का प्रयास किया। उसने माकपा के डॉ कश्यप,फारवर्ड ब्लाक के  राम किशोर जी जैसे प्रांतीय वरिष्ठ नेताओं एवं छोटे लाल पाल तथा मोहम्मद ख़ालिक़ जैसे ज़िला नेताओं एवं महिलाओं  को भी धक्का देकर रोक्न चाहा। युवा वर्ग ने आगे आकर उस पुलिस अधिकारी को ही जुलूस के आगे-आगे खींच कर चलना शुरू कर दिया। बाकी पुलिस फोर्स भी तमाशा देखते हुये आगे बढ़ा। अंततः जुलूस को निर्बाध रूप से बढ्ने दिया गया। हज़रत गंज की ओर मुड़ते वक्त भी कुछ पुलिस अधिकारियों ने रोना चाहा किन्तु उनको जल्दी ही सद्बुद्धि आ गई। नवेलती सिनेमा से लाल बाग,हजरतगंज आदि बाज़ारों मे होता हुआ जुलूस विधायक निवास के उसी गेट से अंदर प्रविष्ट हुआ जहां जाते मे रोकने का प्रयास हुआ था। भारी फोर्स होने के बावजूद इस बार रोका नहीं गया। वहीं एक सभा हुई जिसे मार्क्सवादी पार्टी के प्रदेश सचिव डॉ श्री प्रकाश कश्यप (पूर्व प्राचार्य),फारवर्ड ब्लाक के प्रदेश अध्यक्ष राम किशोर जी,भकपा के जिलामंत्री कामरेड मोहम्मद ख़ालिक़,माकपा के जिला मंत्री कामरेड छोटे लाल पाल,जन-संघर्ष मोर्चा के कामरेड दिनकर कपूर आदि ने संबोधित किया।  

वक्ताओं ने केंद्र सरकार को अमेरिकी इशारे पर न चल कर जनता के हितों के लिए काम करने,मंहगाई पर रोक लगाने और बढ़ी हुई पेट्रोल की कीमतों को वापिस लेने की मांग की। मार्ग मे जो नारे खास थे वे इस प्रकार हैं। 'मनमोहन सिंह होश मे आओ-मंहगाई पर रोक लगाओ','पेट्रोल की बढ़ी कीमतें वापिस लो-वापिस लो','बेरोजगारों को दो जीने का अधिकार',आदि-आदि। 

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से प्रदर्शन मे जिन लोगों ने भाग लिया उनमे जिलमंत्री कामरेड ख़ालिक़ के अलावा कामरेड विजय माथुर,कामरेड मोहम्मद अकरम,कामरेड शरीफ आदि प्रमुख थे। 


 संकलन-विजय माथुर, फौर्मैटिंग-यशवन्त माथुर